गैंग्स ऑफ वासेपुर, मसान और फुकरे जैसी फिल्मों में नजर आईं एक्ट्रेस रिचा चड्ढा ने लखनऊ में हुए लल्लनटॉप शो में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने महिलाओं के हक, उनकी सुरक्षा और अपनी फिल्मों पर बात की.
रिचा ने कहा, 'जब तब हम महिलाओं को समान अधिकार नहीं देते, तब तक सब ऐसा ही चलता रहेगा. हमें अब आजादी की आदत हो गई है. अब हम दबने वाले नहीं हैं. हम ऐसे समाज में रह रहे हैं, जहां नवरात्र में लड़कियां पिट जाती हैं. आप कैसे लड़कियों पर लाठियां चला सकते हैं. लड़कियों की असुरक्षा का मसला सिर्फ यूपी का नहीं है, ये पंजाब और हरियाणा में भी है. आखिर लड़कियों का यही कहना था कि हमें छेड़ा न जाए, हम पढ़ना चाहते हैं."
नेपोटिज्म पर
रिचा ने बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर भी बात की. उन्होंने कहा, ये हमारे समय की रियलिटी है, स्टास किड्स की परवरिश अलग तरह से होती है. लेकिन यदि आपमें टैलेंट है तो आप आगे जा सकते हैं. इसमें एक डिलेमा की स्थिति भी बनी हुई है. यदि कल को मेरा बेटा कहे कि मुझे डायरेक्शन में जाना है तो क्या मैं उसका सपोर्ट नहीं करूंगी? ये गंभीर स्थिति है. इस सबके बीच लेगेसी एक अलग चीज है. खान या कपूर परिवार ने कमाल का काम किया है. जिस दिन हम लेगेसी और नेपोटिज्म में फर्क सीख जाएंगे, उस दिन मुश्किल हल हो जाएगी.
ट्रोलिंग पर
रिचा ने सोशल मीडिया पर अपनी ट्रोलिंग के सवाल पर कहा, मुझे लगता कि इस देश में कई लोग बेरोगजार हैं, उनके पास भी कोई काम होना चाहिए. कुछ लोग ट्रोलिंग करके ही अपना घर चला रहे हैं. लेकिन रियल नहीं है, इसलिए मेरे लिए ट्रोलिंग कोई मायने नहीं रखती है'.
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अपनी फिल्म और फेवरेट्स पर
रिचा ने अपनी फिल्मों के डायलॉग्स भी बोले- उन्होंने जहां गैंग्स ऑफ वासेपुर का डायलॉग 'खाना खाओ ताकत आएगा, बाहर जाकर बेइज्जती मत कराना' बोला, वहीं फुकरे का डायलॉग 'जो मेरा पैसा डूबा...' भी बोला. रिचा से जब रैपिड फायर राउंड के दौरान नसीरुद्दीन शाह, ओमपुरी और पंकज कपूर में से किसी एक को चुनने को कहा गया तो उन्होंने कहा 'मेरी औकात नहीं है, इनमें से किसी को चुनने की'. वही अन्य सवाल में उनसे आमिर, शाहरुख और सलमान में से किसी एक को चुनने को कहा गया तो उन्होंने आमिर को अपना फेवरेट बताया.
अपने स्ट्रगल पर
रिचा ने बताया कि एक्टिंग की तरफ बचपन से ही उनका झुकाव था. वे जब 3-4 साल की थीं, तब मेकअप कर अपनी मां से कहती थीं कि एक दिन में बड़ी एक्ट्रेस बनूंगी. रिचा ने कहा कि कॉलेज समय में वे एक्टिंग करती रहती थीं. उनके कॉलेज में शेक्सपीयर सोसाइटी थी, लेकिन ये उन्हें भाव नहीं देती थी. रिचा को लगा कि वहां उनका टैलेंट नहीं समझा जाएगा और वे मुंबई आ गईं. जहां से उनका असली सफर शुरू हुआ.
महेन्द्र गुप्ता