OROP को लेकर अपनी ही पार्टी पर बरसे शत्रुघ्न, कहा- विरोधी हमारे दुश्मन नहीं

वन रैंक वन पेंशन के लिए आत्महत्या करने वाले रामकिशन ग्रेवाल और उसके बाद के राजनीतिक हालात पर ट्वीट करते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने लिखा कि दिल्ली में उत्पन्न हालात को और बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था. जाहिर सी बात है शत्रुघ्न सिन्हा का निशाना खुद अपनी सरकार पर था. उन्होंने ट्वीट किया, 'काश दिल्ली में पूर्व सैनिक के आत्महत्या के बाद उत्पन्न हालात को बेहतर, परिपक्व, व्यवहारिक और निष्पक्ष तरीके से संभाला गया होता'.

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शत्रुघ्न सिन्हा शत्रुघ्न सिन्हा

अंजलि कर्मकार / रोहित कुमार सिंह

  • पटना,
  • 05 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 10:50 PM IST

लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार अपनी ही पार्टी को कोसते रहे बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा ने एक बार फिर से बीजेपी की किरकिरी करने पर तुले हैं. इस बार शत्रुघ्न सिन्हा ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) के मुद्दे पर बीजेपी को आड़े हाथों लिया. दिल्ली में पूर्व फौजी रामकिशन ग्रेवाल की आत्महत्या और इसके बाद अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी को हिरासत में लिए जाने पर शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी ही पार्टी की निंदा की है. बीजेपी सांसद ने कहा कि केंद्र में सरकार स्थायी नहीं है.

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वन रैंक वन पेंशन के लिए आत्महत्या करने वाले रामकिशन ग्रेवाल और उसके बाद के राजनीतिक हालात पर ट्वीट करते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने लिखा कि दिल्ली में उत्पन्न हालात को और बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था. जाहिर सी बात है शत्रुघ्न सिन्हा का निशाना खुद अपनी सरकार पर था. उन्होंने ट्वीट किया, ‘काश दिल्ली में पूर्व सैनिक के आत्महत्या के बाद उत्पन्न हालात को बेहतर, परिपक्व, व्यवहारिक और निष्पक्ष तरीके से संभाला गया होता.’

 

केजरीवाल-राहुल की हिरासत का किया विरोध
शत्रुघ्न सिन्हा ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की है कि पूर्व फौजी की आत्महत्या का विरोध करने पर जिस तरीके से कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया, उससे सरकार की किरकिरी हुई. केंद्र सरकार को समझना पड़ेगा कि विरोधी दल के नेता हमारे दुश्मन नहीं हैं.

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समझदारी से काम ले बीजेपी
शत्रुघ्न सिन्हा ने ट्वीट किया, 'ऐसे राजनेता जिनके समर्थक हैं, जो समाज के लिए जरूरी हैं, उन्हें हिरासत में लिया गया और उन पर बल प्रयोग किया गया. हम क्यों नहीं समझ पा रहे हैं के विरोधी दल के नेता दुश्मन नहीं हैं. हम क्या साबित करना चाह रहे हैं कि सत्ता स्थायी होती है? तमाम दल के सभी नेताओं को समझदारी से काम लेना चाहिए. यह जितना जल्दी होगा उतना बेहतर है'.

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