बिहार में 'यादव' भरोसे चुनावी जंग जीतने की तैयारी में बीजेपी

बिहार चुनाव को लेकर हर दल और गठबंधन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. सड़क से लेकर कागज तक लोगों को जोड़ने और वोटरों को रिझाने का काम जारी है. वहीं, इन सब के बीच राज्य में जीत के लिए जरूरी जाति के समीकरण को साधने की भी कोशि‍श की जा रही है. इसी का असर है कि लालू प्रसाद के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने अभी तक 22 यादव उम्मीदवारों को 'कमल' की छांव में जगह दी है.

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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2015,
  • अपडेटेड 4:06 PM IST

बिहार चुनाव को लेकर हर दल और गठबंधन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. सड़क से लेकर कागज तक लोगों को जोड़ने और वोटरों को रिझाने का काम जारी है. वहीं, इन सब के बीच राज्य में जीत के लिए जरूरी जाति के समीकरण को साधने की भी कोशि‍श की जा रही है. इसी का असर है कि लालू प्रसाद के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने अभी तक 22 यादव उम्मीदवारों को 'कमल' की छांव में जगह दी है.

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रविवार को बीजेपी ने तीन यादव उम्मीदवारों को तरजीह दी है. इसके तहत फुला देवी को गोविंदपुर से, रामसुंदर यादव को फुलपारस से और बिरेंद्र गोप को इस्लामपुर से टिकट मिला है, वहीं एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि एनडीए गठबंधन तीन और यादव उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में है. राज्य की कुल जनसंख्या में 14.6 फीसदी यादव हैं.

बदले-बदले से तेवर
यह आंकड़े दिलचस्प हैं, क्योंकि अभी तक बीजेपी को सवर्णों की पार्टी के तौर पर देखा जाता रहा है. यही नहीं, पार्टी ने अभी तक राज्य में कभी भी दो अंकों में यादवों को टिकट नहीं दिया, लेकिन इस बार जाहिर तौर पर तेवर बदले हैं. बीजेपी के लिए इस बार मौका भी है और दस्तूर भी. जेडीयू के साथ गठबंधन की स्थि‍ति में बीजेपी को सीटों के मामले में हमेशा दो अंकों की संख्या से ही संतोष करना पड़ा, लेकिन इस बार पार्टी 160 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

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बीजेपी की पहली कोशि‍श यादव वोट बैंक में सेंध लगाना है, क्योंकि राज्य में यादव और मुसलमान की जोड़ी के बल पर ही आरजेडी-जेडीयू बीजेपी के खि‍लाफ सांप्रदायवाद की कथि‍त लड़ाई लड़ रही है. ऐसे में अगर वह यादवों को तोड़ने में कामयाब रहती है तो इससे महागठबंधन को बड़ा झटका लगेगा. यही नहीं, लालू प्रसाद की पार्टी 101 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है, जबकि 101 सीटें नीतीश के खाते में है और समझा जा रहा है कि जेडीयू यादव उम्मीदवारों को कम तरजीह देगी.

क्या कहता है आंकड़ों का गणित
बिहार की कुल जनसंख्या में 16 फीसदी मुस्लिम आबादी है. यानी यादव और मुसलमान मिलाकर कुल 30 फीसदी की आबादी हो जाती है. बात चाहे बीजेपी नीत एनडीए की हो या जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस के महागठबंधन की, हर किसी की नजर इसी वोट बैंक पर है.

हालांकि, इन सब के बीच राज्य में इस बार असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी चुनाव के मैदान में है और इससे मुस्लि‍म वोट के बिखरने की संभावना है. इसी तरह तीसरा मोर्चा बनाकर मैदान में उतरी सपा और एनसीपी भी महागठबंधन की खि‍लाफत कर अपनी जमीन तलाशने की तैयारी में हैं.

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