दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी अब बिहार को साधने की कोशिश में हैं. साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले केंद्र सरकार राज्य को एक लाख करोड़ का पैकेज देने की तैयारी भी कर चुकी है.
सूत्रों के मुताबिक, इस पैकेज में सरकारी खर्च से राज्य को कई नए प्रोजेक्ट का तोहफा मिल सकता है. इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बिहार से आने वाले केंद्रीय मंत्रियों और अन्य मंत्रियों से भी बात कर ली है. अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' ने यह खबर दी है.
बताया जा रहा है कि बिहार प्लान में 4 हजार मेगावॉट का अल्ट्रा-मेगा पावर प्लांट, बरौनी में ऑइल रिफाइनरी का विस्तार, यहां पर ही एक फर्टिलाइजर प्लांट को फिर से शुरू करना और मोकामा में गंगा पर नए रेल ब्रिज का निर्माण शामिल है.
केंद्र ग्रामीण इलाकों की सड़कों और हाइवे प्रोजेक्ट्स पर भी जोर देने वाला है. वहीं, निजी सेक्टर की भागीदारी से कुछ नए फूड पार्क्स की सौगात देने की तैयारी हो चुकी है. इसके साथ ही, मुनाफे में चल रही पब्लिक सेक्टर की तेज, ऊर्जा और खनन कंपनियों से भी सीएसआर फंड के तहत राज्य में स्कूल और टॉयलेट बनवाने को कहा जा सकता है.
बिहार को यह पैकेज ऐसे समय में मिलने जा रहा है जब राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव मिलकर बिहार में अपनी ताकत बढ़ाने की तैयारी कर चुके हैं. देश में 6 दलों के विलय से एक नया दल बनने वाला है. इस विलय में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की जेडीएस और ओमप्रकाश चौटाला की इनेलो भी शामिल होंगी. इस मोर्चे का मकसद एक होकर बीजेपी को राज्य की सत्ता में आने से रोकना है.
विशेष पैकेज पर वित्त मंत्री ने की बैठक
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष पैकेज पर मंत्रिमंडल के अपने सहयोगियों व शीर्ष अधिकारियों के साथ चर्चा की. बजट में इन पैकेजों की घोषणा की गई थी.
बैठक में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और बिजली मंत्री पीयूष गोयल शामिल हुए. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र और बिहार में विपक्ष के नेता सुशील मोदी भी इस बैठक में शामिल हुए. हालांकि बैठक के बाद बिहार को कितना पैकेज दिया जाएगा, इसकी औपचारिक जानकारी नहीं दी गई.
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता सुशील मोदी ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘आज, विभिन्न मंत्रालयों के मंत्री व सचिवों की बैठक हुई. विभिन्न विभागों ने अपने सुझाव दिए. वित्त मंत्री उन पर विचार करेंगे और प्रधानमंत्री से सलाह करने के बाद यह फैसला करेंगे कि बिहार को किस तरह की मदद दी जा सकती है.’
उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक विभाग ने सुझाव दिया कि बिहार के विकास के लिए क्या किया जा सकता है.’ जेटली ने अपने बजट भाषण में बिहार को भी उसी तरह की विशेष सहायता देने का प्रस्ताव किया था जिस तरह की सहायता भारत सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश के मामले में उपलब्ध कराई गई है.
हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी और उन्हें बताया था कि राज्य को 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू किए जाने की वजह से 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. वह चाहते हैं कि केंद्र की ओर से इसकी भरपाई की जाए.
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