बिहार में कांग्रेस के चार एमएलसी को पार्टी ने निकाला या पहले विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दिया मुद्दे पर विवाद हो सकता है. हालांकि महागठबंधन सरकार टूटने के बाद कांग्रेस में टूट की जो खबरें आ रही थी, वो सही साबित हुई. चारों एमएलसी अशोक चौधरी, दिलीप चौधरी, तनवीर अख्तर और रामचन्द्र भारती ने जेडीयू का दामन थाम लिया है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और दलित नेता अशोक चौधरी ने साफ कहा कि वो अब नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करेंगे.
बुधवार को सुबह से ही बिहार की राजनीति में हलचल मची रही. सुबह दस बजे अचानक आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के आवास पर पहुंचे. मांझी ने तेजस्वी की मौजूदगी में कहा कि वो अब एनडीए में नहीं रहेंगे. जीतनराम मांझी हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और अपनी पार्टी के इकलौते विधायक हैं. जीतनराम मांझी की इच्छाओं की पूर्ति एनडीए के साथ पूरी नहीं हो पा रही थी. जीतनराम मांझी दलित नेता हैं और उनके अचानक चले जाने की भरपाई कैसे हो, ये सवाल एनडीए के नेताओं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने था. तय हुआ कि काफी पहले से जनता दल (यू) में आने को इच्छुक कांग्रेसी नेता अशोक चौधरी को बुलाकर नहले पर दहला दिया जाये.
खबरों के मुताबिक अशोक चौधऱी के नेतृत्व में काफी पहले 4 एमएलसी ने विधान परिषद के सभापति को अपने अलग बैठने की व्यवस्था के लिए आवेदन दिया था. काफी दिनों से यह मामला टल रहा था. जैसे ही जीतन राम मांझी के एनडीए छोड़ने की खबर आई. उसके बाद पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने रात साढ़े आठ बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाया और उसमें ऐलान कर दिया कि पार्टी उन्हें अपमानित कर रही है और ठीक उसी समय कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष कोकब कादरी ने चारों एमएलसी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आधार पर पार्टी से निकालने का फरमान जारी कर दिया. अशोक चौधऱी ने कहा कि उन्होंने शाम पांच बजे सभापति से अलग बैठने की व्यवस्था करने की मांग की है. अशोक चौधरी महागठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री थे. उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते महागठबंधन के साथ मिलकर 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 27 सीटें मिली थी.
अंकुर कुमार / सुजीत झा