बिहार विधान परिषद के लिए सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत 7 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया. इसमें जनता दल यू की तरफ से 3, बीजेपी के 3 और कांग्रेस की तरफ से एक पर्चा दाखिल हुआ. सोमवार को पर्चा दाखिल करने का आखिरी दिन था. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी समेत 4 आरजेडी उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया था. बिहार विधान परिषद के 11 रिक्त पदों के लिए 26 अप्रैल को चुनाव होना है लेकिन 11 उम्मीदवारों के पर्चा भरने के कारण अब चुनाव नहीं होगा और उम्मीदवारों की जीत बस औपचारिकता रह गई है.
विधान परिषद के जरिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने सामाजिक समीकरण के हिसाब से उम्मीदवारों को चुना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे और कांग्रेस के प्रवक्ता प्रेमचंद्र मिश्रा को छोड़ दें तो बाकी सभी उम्मीदवार अपने समाजिक ताने-बाने की वजह से उम्मीदवार बनाए गए हैं.
बाकी 5 उम्मीदवारों में पहला नाम संजय पासवान का आता है. संजय बीजेपी के पुराने दलित नेता हैं. एक जमाने में उन्हें रामविलास पासवान के समकक्ष खड़ा करने की बात होती थी. हांलाकि, वो वाजपेयी सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रहे लेकिन कार्यकाल के बीच में ही मंत्री पद से हटाये गए. पेशे से प्रोफेसर संजय पासवान ने इस बीच बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन जीत नहीं सके. पार्टी उन्हें खास तरजीह नहीं दे रही थी लेकिन हाल में दलितों के लिए जब राजनीति ने जोर पकड़ा तो संजय पासवान के दिन भी फिरे.
'जेडीयू के उम्मीदवारों की सबसे ज्यादा चर्चा'
सबसे ज्यादा चर्चा जनता दल यू के दो उम्मीदवारों को लेकर हो रही है. उनमें से एक हैं रामेश्वर कुशवाहा, जो कि सीतामढ़ी के रहने वाले हैं. इन्होंने 2104 का लोकसभा चुनाव भी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी से लड़ने की कोशिश की थी लेकिन सफलता नहीं मिली. बाद में ये जनता दल यू में शामिल हुए. जनता दल यू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह कहते हैं कि ये योग्य नेता हैं, इन्हें जो भी जिम्मेदारी दी गई उन्होंने निभाया. रामेश्वर कुशवाहा का कोई खास राजनीतिक इतिहास नहीं है, लेकिन इनके पास धन की भी कमी नहीं है. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में इनका अपना घर है. साथ ही इनका चीनी-मिट्टी के कप प्लेट बनाने का कारखाना भी है.
45 दिन पहले पार्टी से जुड़े और अब जाएंगे विधान परिषद
दूसरे हैं खालिद अनवर, कल तक खालिद अनवर को कोई नहीं जानता था. उनका खुद कहना है कि जनता दल यू की सदस्यता उन्होंने करीब 45 दिन पहले ही ली है. लेकिन रविवार को पटना के गांधी मैदान में आयोजित 'दीन बचाओ देश बचाओ' रैली में ये संयोजक थे. उस रैली में लाखों की संख्या में मुस्लिम नेता आये थे. यह रैली कम गैरराजनीतिक कफ्रेंस थी लेकिन रैली के समाप्त होते ही खालिद अनवर को उच्च सदन में बैठने का टिकट मिल गया. हांलाकि, इस रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जमकर निशाना बनाया गया. ये हमारा समाज नाम से एक अखबार भी निकालते हैं.
एनडीए छोड़ने का मिला 'तोहफा'
आरजेडी ने खुर्शिद मोहसिन को उम्मीदवार बनाया है जो लालू प्रसाद यादव के लिए साग सब्जी उगते रहें हैं, इनका लालू परिवार से काफी पुराना संबंध है और उन्हें शायद इसी का इनाम मिला है. इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बेटे संतोष मांझी को टिकट उनके एनडीए छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने की वजह से मिला.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विधान परिषद के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए इस बार स्टेट यूनिट को अधिकृत किया गया था और जिन उम्मीदवारों का चयन हुआ है उसकी जिम्मेदारी प्रदेश की है. इन सबके बीच जनता दल यू ने अपने प्रमुख प्रवक्ता संजय सिंह का टिकट काट दिया. संजय सिंह के टिकट कटने से भी पार्टी में काफी रोष है, क्योंकि संजय सिंह ने हर स्तर पर चाहे जनता दल यू आरजेडी के साथ महागठबंधन में हो या फिर बीजेपी के साथ एनडीए में पार्टी का पक्ष मजबूती से रखा. संजय सिंह को सबसे पहले 2006 में रामविलास पासवान ने एमएलसी बनाया था, उसके बाद 2009 में ये जनता दल यू में आ गए और 2012 में जनता दल यू ने उन्हें एमएलसी बनाया.
अजीत तिवारी