उत्तर प्रदेश में अखिलेश को साइकिल का सहारा

साइकिल को प्रोत्साहित करने के साथ गरीब मजदूरों को मुफ्त साइकिल बांटने की उत्तर प्रदेश सरकार की अब तक की सबसे बड़ी योजना.

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आशीष मिश्र

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  • 08 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 4:05 PM IST

एक तूफान है ये साइकिल, सपा का निशान है ये साइकिल, सूर्य नया ले आए जो, वो युग विहान है ये साइकिल. अक्तूबर में संपन्न हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अधिवेशन में गूंजता यह गीत कार्यकर्ताओं में उत्साह भर रहा था. यह महज संयोग नहीं है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद सपा की समाजवादी छवि को चमकाने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साइकिल को आगे कर दिया है. यूपी में पहली बार बड़े पैमाने पर साइकिल से जुड़ी योजनाओं को पंख लग गए हैं.

16 सितंबर को आए विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से जैसे ही हार पर थोड़ा मरहम लगा तो तीन दिन बाद 19 सितंबर को ही अखिलेश यादव ने मजदूरों को मुफ्त साइकिल बांटने की प्रदेश की अब तक की सबसे बड़ी योजना लॉन्च कर दी. लखनऊ की सरोजनीनगर निवासी 24 वर्षीया मालती और 28 वर्षीय दीपकदास को भी इसी दिन मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर साइकिल देकर रवाना किया. सुल्तानपुर रोड पर बन रही आइटी सिटी में मजदूरी करने वाले ये दंपती अब साइकिल से मजदूरी करने जाते हैं और शाम को गांव लौटकर बूढ़े मां-बाप की सेवा का समय भी निकाल लेते हैं.

उनके जैसे तकरीबन एक लाख दूसरे मजदूर समाज कल्याण विभाग की इस योजना से लाभान्वित हुए हैं. योजना के मास्टमाइंड समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव शैलेश कृष्ण कहते हैं, ''हम मजदूरों को साइकिल पर तीन हजार रु. की सब्सिडी दे रहे हैं और इतने में नई साइकिल आ जाती है. मजदूर अपनी पसंदीदा कंपनी की साइकिल खरीद सकते हैं. विभाग एक साल में 20 लाख साइकिल बांटने का लक्ष्य पूरा करेगा. ''

सितंबर में यूपी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नीदरलैंड के दौरे पर गए अखिलेश यादव को वहां का साइकिल यातायात बहुत अच्छा लगा था. यूपी के चुनिंदा शहरों में इस मॉडल को लागू करने के लिए अधिकारियों का चार सदस्यीय दल अगले हफ्ते नीदरलैंड का दौरा कर इसके तकनीकी पहलुओं का अध्ययन करेगा. दरअसल पूर्व की मायावती सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए अखिलेश यादव ने पूरे प्रदेश में 50,000 किमी से अधिक की साइकिल यात्रा की थी. अब अपनी सरकार के खिलाफ बने माहौल से उबरने के लिए भी अखिलेश ने साइकिल का सहारा लिया है. लखनऊ के कान्यकुब्ज कॉलेज में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनोद चंद्रा कहते हैं, ''साइकिल के जरिए अखिलेश ने न केवल समाज के निचले तबके, बल्कि युवाओं तक अपनी सरकार को सीधे जोडऩे की रणनीति तय की है. '' साइकिल पर लगने वाले वैल्यू ऐडेड टैक्स (वैट) को खत्म करना इस दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है. इसके अलावा सरकार साइकिल यात्रियों का बीमा कराने पर भी विचार कर रही है. इस बारे में राजस्व विभाग से प्रस्ताव भी मांगा गया है.

साइकिल फ्रेंड्ली शहरों पर नजर
मजदूरों और युवाओं की बड़ी आबादी को ध्यान में रखते हुए सपा सरकार ने लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा को साइकिल फ्रेंड्ली शहर घोषित किया है. विदेशी पर्यटकों की खासी तादाद वाला शहर आगरा भी अब साइकिल फ्रेंड्ली बनेगा. इन शहरों में होने वाले विकास कार्य साइकिल चालकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किए जाएंगे (देखें बॉक्स). लखनऊ और नोएडा में साइकिल ट्रैक बनाने का काम शुरू भी हो गया है. यहां साइकिल किराए पर भी उपलब्ध होगी.

लेकिन इस योजना को मूर्त रूप देना आसान नहीं है. 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने साइकिल सवारों के लिए लखनऊ में लोहिया पथ के दोनों किनारों पर सात किमी लंबे साइकिल ट्रैक का निर्माण करवाया था. समय के साथ वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अखिलेश यादव सरकार ने पिछले साल लोहिया पथ पर बने साइकिल ट्रैक तुड़वा दिए. लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता धर्मराज यादव कहते हैं, ''साइकिल सवारों को उचित वातावरण देने के लिए विभाग अध्ययन करवाएगा. नतीजों के आधार पर ही नए कॉरिडोर और व्यवस्थाएं विकसित की जाएंगी. ''

पुलिस भी मारेगी पैडल
भविष्य में यूपी पुलिस के सिपाही भी साइकिल पर सवार अपराधियों का पीछा करते दिखें तो चौंकिएगा नहीं. सपा सरकार बहुत घने रिहाइशी इलाकों में चौकसी के नए तरीके आजमाने जा रही है. शुरू में विभाग ने लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मथुरा, आगरा और गाजियाबाद में ऐसे कुल 450 पुलिस कर्मियों को तैयार करने का निर्णय लिया है. योजना की सफलता के बाद इसे छोटे जिलों तक पहुंचाया जाएगा. पुलिस विभाग के एक अधिकारी कहते हैं, ''हाइटेक साइकिल की कीमत 42,000 रु. है. इनकी खरीद पर कुल 1.8 करोड़ रु. का खर्च आएगा. ''

गड़बडिय़ों के दाग
इस योजना की राह में अभी बड़ी चुनौतियां हैं. रामपुर में जन्मदिन मनाने पहुंचे मुलायम सिंह ने 22 नवंबर को यहां मजदूरों को साइकिल बांटकर जिले में योजना को गति दी थी, लेकिन एक हफ्ते के भीतर ही इसमें गड़बडिय़ों की बू आने लगी है. कद्दावर कैबिनेट मंत्री आजम खान के इस जिले में अब तक कुल 979 मजदूरों को साइकिलें दी जा चुकी हैं और इनमें से 124 केवल दो गांवों में बंटी हैं. चमरौला ब्लॉक के सिकरौल और बहरपुरी गांव में कई ऐसे लोगों को भी साइकिल मिल गई है, जिनके पास मोटरसाइकिलें हैं. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की जिला इकाई ने श्रम विभाग की इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया है. बीकेयू के एक पदाधिकारी राम सिंह कहते हैं, ''श्रम विभाग में दलालों का दखल है और साइकिल वितरण में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है. '' बीकेयू ने मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अमित किशोर को दी गई लिखित शिकायत में श्रम विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. अमित किशोर कहते हैं, ''इस प्रकरण की जांच पहले सहायक श्रम आयुक्त को सौंपी गई थी. लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए अब मैं खुद पड़ताल करूंगा. '' रामपुर जैसे हाइप्रोफाइल जिले में साइकिल वितरण घोटाले की आहट से विपक्षियों के कान खड़े हो गए हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजेपयी कहते हैं, ''पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार की साइकिल दौड़ रही है. सपा सरकार केवल चहेते बिल्डरों के प्रोजेक्ट में काम करने वाले मजदूरों को ही साइकिल बांट रही है. ''

योजना तो अच्छी है, लेकिन इसकी सफलता मंत्रियों, अफसरों के ईमानदार और कुशल प्रबंधन पर ही निर्भर करेगी. शायद ऐसा ही कुछ संदेश सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में गूंज रहा गीत भी दे रहा था: जाति धर्म से ऊपर आओ, इस साइकिल का मान बढ़ाओ. इस पर अपनी मुहर लगाओ, फिर अपनी सरकार बनाओ.

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