स्कार्फ पहनकर आई छात्रा, प्रिंसिपल ने कहा- इस्लामिक स्कूल में जाओ

प्रधानाचार्य ने ये भी कहा कि छात्रा को किसी इस्लामिक स्कूल में दाखिले के लिए मजबूर नहीं किया गया है. लेकिन छात्रा के अभिभावक से ये जरूर कहा गया है कि अगर उन्हें स्कूल के नियमों में कोई असुविधा है तो वह अपनी बच्ची को यहां से निकालकर कहीं और भेज सकते हैं.

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छात्रा के स्कार्फ पहनने पर ऐतराज छात्रा के स्कार्फ पहनने पर ऐतराज

शिवेंद्र श्रीवास्तव / खुशदीप सहगल

  • बाराबंकी,
  • 24 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

यूपी के बाराबंकी के एक स्कूल में एक छात्रा सिर पर स्कार्फ पहन कर आई तो स्कूल प्रबंधन ने सख्त ऐतराज जताया. साथ ही छात्रा को हिदायत दी गई कि वो दोबारा कभी सिर पर स्कार्फ पहनकर स्कूल ना आए.

छात्रा के पिता ने जब स्कूल को चिट्ठी भेजकर कारण जानना चाहा तो स्कूल प्रबंधन ने लिखित जवाब में कहा कि इस विषय पर सवाल ना करें और अगर दिक्कत है तो छात्रा का दाखिला किसी इस्लामिक स्कूल में करा दें.

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स्कूल का ये फरमान छात्रा के पिता के गले नहीं उतर रहा है. स्कूल ने छात्रा के पिता को अपनी ड्रेस कोड का हवाला देते हुए किसी भी प्रकार की छूट देने से इनकार करते हुए बेवजह प्रश्न नहीं करने के लिए कहा है.

ये घटना बाराबंकी के नगर कोतवाली इलाके के आनंद भवन स्कूल में हुई है. आनंद भवन स्कूल मूलतः ईसाई मिशनरी स्कूल के रूप में विख्यात है. यहां सभी धर्मों से जुड़े बच्चे पढ़ते हैं. इसी स्कूल में मौलाना मोहम्मद रजा रिजवी की बेटी भी पढ़ती है. एक दिन ये छात्रा स्कूल में स्कार्फ पहनकर आई तो उसे दोबारा कभी ऐसा नहीं करने के लिए कहा गया.

स्कूल के इस फरमान पर छात्रा के पिता रिजवी ने कहा कि यह स्कूल अल्पसंख्यकों का माना जाता है और इसमें ज्यादातर शिक्षक और स्टाफ इसाई धर्म के मानने वाले हैं. रिजवी के मुताबिक इस्लाम धर्म में एक निश्चित आयु तक लड़कियों को सिर ढकने के लिए सिर पर स्कार्फ बांधने की बाध्यता है और इसलिए मेरी बेटी स्कूल में सिर पर स्कार्फ बांधकर गई थी. इसी मुद्दे पर जब स्कूल की प्रधानाचार्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारा इरादा किसी धर्म के व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था.

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प्रधानाचार्य ने ये भी कहा कि छात्रा को किसी इस्लामिक स्कूल में दाखिले के लिए मजबूर नहीं किया गया है. लेकिन छात्रा के अभिभावक से ये जरूर कहा गया है कि अगर उन्हें स्कूल के नियमों में कोई असुविधा है तो वह अपनी बच्ची को यहां से निकालकर कहीं और भेज सकते हैं.

प्रधानाचार्य ने ये भी कहा कि जब कोई अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला स्कूल में कराता है तो एडमिशन फॉर्म पर स्कूल के सभी नियम लिखे होते हैं. अभिभावक उन लिखे हुए नियमों पर हस्ताक्षर अपनी सहमति देते हैं. स्कूल का अपना ड्रेस कोड है, अपने नियम हैं, जिनका पालन सभी स्टूडेंट्स और अभिभावकों को करना पड़ता है. अगर इन नियमों को पालन करने किसी को परेशानी है तो वे अपने बच्चे को स्कूल से निकाल सकते हैं और यही बात मैंने कही है.

जिस छात्रा को स्कार्फ पहनने से मना किया गया, उसका कहना है कि वो अब घर से स्कूल तक स्कार्फ पहनकर आती है लेकिन क्लास में जाने से पहने स्कार्फ उतार लेती है, क्योंकि इसे पहनकर क्लास में जाने की अनुमति नहीं है.

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