संतों का मोदी सरकार को अल्टीमेटम: 31 जनवरी तक शुरू करो मंदिर निर्माण

आम चुनाव से पहले एक बार फिर राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन जोर पकड़ने लगा है. सूत्रों के अनुसार वीएचपी के साथ संतों की बैठक में सरकार पर इसके लिए अध्यादेश लाने का दबाव बनाने का फैसला लिया गया है.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

हिमांशु मिश्रा / सुरेंद्र कुमार वर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 5:23 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में 29 अक्टूबर से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़ी विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर मुकदमे की नियमित सुनवाई शुरू होने से पहले राम मंदिर के निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने तेवर कड़े कर लिए. शुक्रवार को हुई अहम बैठक में संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को चार महीने का अल्टीमेटम दिया है.

संतों ने साफ कहा है कि सरकार 31 जनवरी तक मंदिर निर्माण का सरकार रास्ता तलाशे . इसके अलावा संतों ने राम मंदिर के निर्माण पर केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने के लिए दबाव बनाने का फैसला लिया है.

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संतो ने कहा कि 31 जनवरी तक सरकार कोई फैसला नहीं करती है तो फिर 1 फरवरी को धर्म संसद में आगे की रणनीति बनाई जाएगी. इसके अलावा नंबवर महीने में देश के सभी सांसदों से मिलकर राममंदिर निर्माण के मुद्दे को संसद में उठाने के लिए दबाव बनाएंगे.

इसके अलावा  6 दिसंबर से 18 दिसंबर ( गीता जयंती ) तक देश भर के मंदिरो, गुरुद्वारों में राम मंदिर निर्माण के लिए कार्यक्रम करने की संतों ने योजना बनाई है.

शुक्रवार को हुई संतों की बैठक में वीएचपी की राम मंदिर के निर्माण को लेकर प्रस्ताव पास किया. प्रस्ताव में कहा गया हैं कि सभी राज्यों में धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ देश के सभी राज्यों के राज्यपाल से मुलाकात कर राम मंदिरन निर्माण को लेकर जनभावना से अवगत कराएंगे. इसके अलाव राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करने की योजना संतों ने बनाई है.

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वीएचपी से जुड़े देश के करीब 40 संतों ने शुक्रवार को दिल्ली में बैठक कर आगे की रणनीति तय की. संतों की उच्चाधिकार समिति के साथ बैठक में कई संतों ने राम मंदिर के निर्माण पर केंद्र सरकार के रूख पर नाराजगी जताई और कहा कि अगर केंद्र सरकार अगर कोर्ट में लंबित होने के बाद एससी/एसटी अट्रोसिटी एक्ट को संसद से कानून बना सकती है, तीन तलाक बिल पर अध्यादेश ला सकती है तो राम मंदिर के निर्माण के लिए ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता.

आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद ने बैठक के कहा कि देशभर में लोग पूछते हैं कि क्या सोच कर आप लोगों ने मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाया, मंदिर तो बना नहीं. रामलीला मैदान में सभा हो, मोदी जी को उसमें बुलाया जाए. वहीं महामंडलेश्वर डॉ रामेश्वरदास वैष्णव जी महाराज ने मांग करते हुए कहा कि कानून से पहले सरकार तीन तलाक की ही तरह राम मंदिर निर्माण के लिए भी अध्यादेश लाए.

1989 का वादा भूली बीजेपी

बैठक के दौरान कई संतों ने यह याद दिलाया कि 1989 ने पालनपुर में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह प्रस्ताव पास किया गया था कि केंद्र में जब भी उनकी सरकार आएगी तो वह राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगी.

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लेकिन संतों की ओर से यह शिकायत की गई कि पिछले 20 साल में दो बार केंद्र में बीजेपी नेतृत्व की सरकार बन चुकी हैं लेकिन अभी तक राम मंदिर का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़ा हुआ है.

संतों ने यह तय किया कि केंद्र सरकार से वह मांग करेंगे कि राम मंदिर के निर्माण को लेकर जल्दी ही अध्यादेश लाया जाए और अगले संसद के सत्र में अध्यादेश पर कानून बनाया जाए.

बड़े आंदोलन की तैयारी

संतों ने ये भी कहा कि अगर केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून नहीं बनाती है तो वीएचपी की राम मंदिर निर्माण के संतों की उच्चाधिकार समिति के नेतृत्व में हिंदू समाज एक बार मंदिर के निर्माण के कारसेवा के जरिये बड़ा आंदोलन करेगा.

सूत्रों के अनुसार खबर यह भी है कि बैठक में एक प्रस्ताव पास किया जाएगा जिसमें यह मांग भी की जाएगी कि केंद्र सरकार जन भावना को देखते हुए राम मंदिर के निर्माण पर अध्यादेश लाए जिसके बाद राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया जाए.

अयोध्या से श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की अगुवाई में कई संत दिल्ली आए हुए हैं. वहीं अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तपस्वी छावनी मंदिर के महंत राम परमहंस दास सोमवार से आमरण अनशन कर रहे हैं.

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संत उच्चाधिकार समिति की बैठक में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के वरिष्ठ सदस्य महंत कमलनयन दास, न्यास सदस्य पूर्व सांसद रामविलासदास वेदांती, महंत सुरेश दास, संत समिति अध्यक्ष महंत कन्हैया दास शामिल हैं.

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