फिलहाल सभी अस्पतालों के खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005, के सेक्शन 58 के तहत मामला दर्ज कर लिया है. इसके अलावा अस्पताल के बाहर लाइसेंस रद्द किए जाने का बैनर भी लगाया गया है. हालांकि अस्पताल में अभी भी मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मुनीष मौदगिल ने कहा कि सभी अस्पतालों को निर्देश का पालन करते हुए जरुरतमंद लोगों के लिए 50 प्रतिशत बेड छोड़ना चाहिए था. फिलहाल 19 अस्पताल मालिकों और सीईओ के खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005, के सेक्शन 58 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है.
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जिन अस्पतालों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं- अनुग्रह विट्ठला अस्पताल, विनायक अस्पताल, प्रशांत अस्पताल, राधा-कृष्ण अस्पताल, गुरुश्री अस्पताल, कालभैरेश्वर अस्पताल, पद्मश्री अस्पताल, मारुति अस्पताल, प्रोमेद अस्पताल, एनयू अस्पताल, दीपक अस्पतला, सेवाक्षेत्र अस्पताल, उद्भव अस्पताल, गंगोत्री अस्पताल, एक्यूरा अस्पताल, करनाथ अस्पताल, एचसीजी कैंसर अस्पताल, त्रिनिटी अस्पताल और मैया अस्पताल.
नोलान पिंटो