उत्तराखंड‌ः कड़ी टक्कर के बाद थराली में BJP ने बचाई अपनी सीट

बीजेपी विधायक मगनलाल शाह के फरवरी में लंबी बीमारी के कारण निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी. इस बार यहां पर उपचुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी की मुन्नी देवी और कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व विधायक जीतराम के बीच था.

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सोमवार को यहां कुल 53.43 फीसदी मतदान हुआ सोमवार को यहां कुल 53.43 फीसदी मतदान हुआ

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2018,
  • अपडेटेड 1:28 PM IST

उत्तराखंड के चमोली जिले का थराली विधानसभा क्षेत्र में राज्य की सत्तारुढ़ पार्टी बीजेपी जीत हासिल करने के साथ ही अपनी सीट सुरक्षित रखने में कामयाब रही है.

थराली उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच लगातार कांटे की टक्कर दिखी. शुरुआती रुझान में दोनों दल एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देते भी दिखे, लेकिन 15 दौर तक चले मतगणना के बाद बीजेपी प्रत्याशी मुन्नी देवी ने 1,872 मतों के अंतर से जीत हासिल कर ली.

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यह विधानसभा क्षेत्र भी देश के उन 10 विधानसभा क्षेत्रों में शामिल है जहां 28 मई को उपचुनाव कराए गए थे. सोमवार को यहां कुल 53.43 फीसदी मतदान हुआ. हालांकि पिछले साल की तुलना में कम मतदान हुआ था. 2017 में यहां पर 58.04 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.

बीजेपी विधायक मगनलाल शाह के फरवरी में लंबी बीमारी के कारण निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी. इस बार यहां पर उपचुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी की मुन्नी देवी और कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व विधायक जीतराम के बीच था.

बीजेपी ने दिवंगत मगनलाल शाह की पत्नी मुन्नी देवी को टिकट देकर क्षेत्र से सहानुभूति वोट पाने की कोशिश की है. फिलहाल मुन्नी देवी जिला पंचायत चमोली की अध्यक्ष भी हैं.

इस उपचुनाव की खास बात यह रही कि थराली के देवाल क्षेत्र में पड़ने वाले देवसारी गांव के लोगों ने सड़क नहीं बनाए जाने से नाराज होकर मतदान के बहिष्कार की घोषणा की और इसमें हिस्सा नहीं लिया था.

थराली विधानसभा क्षेत्र में 50,991 पुरुष और 48,301 महिलाओं समेत कुल 99,292 मतदाता हैं. इसके अतिरिक्त क्षेत्र के 3,277 सर्विस वोटर्स भी हैं.

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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के अलावा प्रदेश बीजेपी के कई बड़े नेता और मंत्रियों ने क्षेत्र के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए चुनावी रैलियां कीं, वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने थराली उपचुनाव में सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया. कांग्रेस ने इस उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बताते हुए पूरी ताकत लगा दी थी. पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार के आखिरी समय में पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व विधायक और विधायकों ने गांव-गांव में चुनाव प्रचार किया था.

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