शह और मात: राज्यपाल ने क्यों टाला सत्र का प्रस्ताव, क्या है गहलोत का प्लान?

राजस्थान का सियासी दंगल अभी भी जारी है. अब अदालत से बाहर आकर ये लड़ाई राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच में अटक गई है.

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राजस्थान में जारी है सियासी लड़ाई राजस्थान में जारी है सियासी लड़ाई

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 27 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST

  • विधानसभा सत्र को लेकर राज्यपाल बनाम सीएम की लड़ाई
  • सत्र बुलाने के लिए दो बार चिट्ठी लिख चुके हैं CM

राजस्थान में विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र में टकराव जारी है. राज्यपाल कलराज मिश्र ने दूसरी बार भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल की विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश यह कहते हुए लौटा दी कि जो हमने प्रश्न उठाए थे उसके उत्तर नहीं हैं.

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साथ ही कलराज मिश्र ने कहा है कि राज्य में कोरोना वायरस बढ़ता जा रहा है. राज्य सरकार ने अपने प्रस्ताव में ये नहीं बताया है कि 200 विधायकों और 1000 कर्मचारियों के बैठने की क्या व्यवस्था होगी, जिसकी वजह से कोरोना का संक्रमण नहीं हो और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया. राज्यपाल की जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार के पास ऐसी कोई व्यवस्था विधानसभा के अंदर नहीं है. ऐसे में इस विपरीत परिस्थिति में राज्यपाल अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए विधानसभा सत्र बुलाने से रोक सकता है.

राज्यपाल ने आगे अपने जवाब में कहा है कि ऐसा नहीं है कि वह सदन नहीं बुलाना चाहते हैं मगर उनकी जिम्मेदारी है कि सभी सदस्यों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए. अगर सरकार को कोरोना पर चर्चा करना चाहती है, तो बिना एक साथ जुड़े हुए कई ऐसे माध्यम हैं कि दूर बैठकर गंभीर चर्चा की जा सकती है.

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इसके आगे राज्यपाल लिखते हैं कि कैबिनेट की तरफ से आए प्रस्ताव में विश्वास मत हासिल करने की कोई बात नहीं है. मगर मीडिया में यह बयान दिया जा रहा है कि विश्वास मत हासिल करना चाहते हैं, तो फिर इसके लिए बटन दबाकर हां या ना के जरिए विश्वास मत हासिल किया जाए और पूरे मसले का लाइव प्रसारण हो.

दरअसल, कांग्रेस की योजना है कि एक बार विधानसभा सत्र शुरू हो जाए तो किसी बिल के जरिए मत विभाजन करवा लिया जाए. उससे पहले व्हिप जारी कर दिया जाए. व्हिप के दौरान अनुपस्थित रहने वाले पायलट गुट के 19 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया जाए, जिसकी वजह से विधानसभा की कुल स्ट्रेंथ कम हो जाएगी.

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मान लीजिए कि विधानसभा में कुल स्ट्रेंथ 180 हो गई, तो बहुमत साबित करने के लिए 90 विधायकों की जरूरत होगी. ऐसे में कांग्रेस आसानी से विश्वास मत हासिल कर लेगी. बीजेपी और सचिन पायलट गुट अशोक गहलोत की इस चाल को को समझते हैं. लिहाजा यह कोशिश कर रहे हैं कि किसी न किसी तरीके से विधानसभा के सत्र को टाला जाए.

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अब तीसरी बार विधानसभा सत्र बुलाने के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पारित करवाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज शाम कैबिनेट की बैठक बुला सकते हैं. और राज्यपाल कलराज मिश्र ने जिन बिंदुओं पर सवाल उठाए हैं उनपर जवाब दे सकते हैं.

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