तीन तलाक पर मोदी सरकार लाई अध्यादेश, ओवैसी ने बताया गलत

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल तीन तलाक की प्रथा पर पाबंदी लगा दी थी. लेकिन यह प्रथा अब भी जारी रहने के कारण इसे दंडनीय अपराध बनाने के लिए एक विधेयक लाया गया है.

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AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी

जावेद अख़्तर

  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST

केंद्रीय कैबिनेट ने एकसाथ तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जिसका कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक के खिलाफ अध्यादेश लाने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की है.

ओवैसी ने कहा है कि यह अध्यादेश पूरी तरह मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है. यहां तक कि ओवैसी ने मोदी सरकार के इस फैसले को समानता के मूलभूत अधिकार के खिलाफ बताया है.

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मोदी कैबिनेट द्वारा लाए गए अध्यादेश का विरोध करने के साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस्लाम के तहत शादी एक सिविल कॉन्ट्रैक्ट है और उसमें आपराधिक प्रावधान लागू करना बिल्कुल गलत है. ओवैसी ने मांग की है कि सरकार तीन तलाक कानून का आपराधिकरण करने के बजाय उन 24 लाख शादी-शुदा महिलाओं के लिए कानून लाए, जिन्हें बिना तलाक दिए उनके पति छोड़ चुके हैं.

उधर, कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन तलाक की कुप्रथा पर पाबंदी लगाए जाने के बाद भी यह जारी है, जिसके कारण अध्यादेश लागू करने की आवश्यकता पड़ी. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह वोट बैंक की राजनीति के कारण राज्यसभा में लंबित 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक' को पारित करने में सहयोग नहीं कर रही है.

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रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक की प्रथा को 'बर्बर और अमानवीय' करार देते हुए कहा कि करीब 22 देशों ने तीन तलाक का नियमन किया है. बहरहाल, वोट बैंक की राजनीति के कारण भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में लैंगिक न्याय की पूरी अनदेखी की गई.

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