उत्तराखंड में चीन से लगने वाली सरहद पर सेना की गढ़वाल स्कॉउट्स के जवान दिन रात सरहद की निगरानी कर रहे हैं. आजतक की टीम जोशी मठ से होते हुए बद्रीनाथ होते हुए माणा पास की फॉरवर्ड पोस्ट पर पहुंचे. बद्रीनाथ से माणा पास तक पहुंचने का रास्ता बेहद ऊबड़खाबड़ और पहाड़ियों से भरा है. जोशी मठ से माणा पास की फॉरवर्ड पोस्ट तक पहुंचने के लिए हमनें करीब 100 किलोमीटर का मुश्किल पहाड़ी रास्ता तय किया.
उत्तराखंड में चीन से लगने वाली सरहद पर माणा पास से गढ़वाल स्कॉउट्स के जवानों के लिए ऊंचे गिलेशियर पर चढ़कर दुश्मन के खिलाफ किसी कार्रवाई को अंजाम देना बाएं हाथ का खेल है. माउंटेन वारफेयर की इस खास ट्रेनिंग के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत होना बहुत जरूरी है. गढ़वाल स्कॉउट्स की इस खास ट्रेनिंग के बारे में सूबेदार शैलेन्द् मोहन ने हमें जानकारी दी, जो कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के छोटे भाई हैं.
यहां हमारी मुकालात सेना की एक ऐसी यूनिट से हुई, जिसने करगिल युद्ध में पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए थे. 13 जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री के कैप्टन विक्रम बत्रा और संजय कुमार को इस युद्ध में उनकी वीरता के लिए परमवीर चक्र से नवाजा गया. इस टुकड़ी के ये जवान अब माणा सरहद पर चीन की हरकत का जवाब देने के लिए हर तरह से तैयार हैं. 15 हजार फीट पर तैनात सेना के ये जवान मोर्टार फायरिंग की ट्रेनिंग ले रहे हैं. मोर्टार से इन ऊंचे पहाड़ी इलाकों में पांच किलोमीटर पहाड़ी के दूसरी तरफ दुश्मन की पोस्ट को बर्बाद किया जा सकता है.
चमोली जिले में माणा पास की कई फॉरवर्ड पोस्ट पर सेना की तैनाती है. कई फॉरवर्ड पोस्ट तक पहुंचने के लिए 6 से 8 किलोमीटर पैदल जाना होता है. हालांकि पिछले सालों से इन इलाकों में सामरिक रोड बनाने का काम तेज हुआ है. अब आपको दिखाते हैं कैसे 16 हजार फ़ीट ऊंचे गिलेशियर में सेना के जवान पेट्रोलिंग करके ड्रैगन की हर हरकत पर नजर रखते हैं. 10 जवानों की टुकड़ी हथियारों और जरूरी साजोसामान से लैस होकर ऊंची चट्टानों को पार करते हुए आगे बढ़ती है. अक्टूबर महीने में ही पूरा इलाका बर्फ से ढका है, यहां तापमान माईनस 5 से 10 तक पहुंच जाता है.
यहां तैनात ये जवान 6 हजार फ़ीट ऊंचे गिलेशियर में स्नो हट के अंदर रहते हैं. इन स्नो हट के अंदर जवानों के रहने और खाने-पीने की सारी चीजें मौजूद हैं, लेकिन दुश्मन से ज्यादा कुदरत के जानलेवा हमले से बचना जरूरी है. ऐसे में देशभक्ति का जज़्बा ही इन जवानों हौसला बढ़ाता है.
वहीं जब बात दिवाली की हो तो इनके लिए परिवार से पहले देश है. इस त्योहार के मौके पर भी ये जवान सरहद पर डटे हैं और यहां उन्होंने दिवाली का अलग ही रंग जमा रखा है. गढ़वाल स्कॉउट्स के जवान कड़कड़ाती ठंड में बॉनफायर पर पकवान बनाकर लजीज़ व्यंजनों का लुत्फ उठाया. खाने के बाद जवानों ने ढोलक की ताल पर खूब नाच गाना किया. गढ़वाल स्कॉउट्स के जवानों ने बेडू पाको बारा मासो के पारंपरिक उत्तराखंडी गाने पर झूमना शुरू कर दिया.
चीन सरहद पर दिवाली के इस अनोखे रंग के बीच गढ़वाल स्कॉउट्स के सीओ कर्नल हिमांशु मिश्रा ने सभी जवानों को दिवाली की शुभकामाएं दी. इस मौके पर जवानों का जोश देखते ही बन रहा था. इसके इसके साथ ही बद्री विशाल लाल की जय और भारत माता की जय के उद्धघोषों से पूरी माणा घाटी गूंज उठी.
मंजीत नेगी