केजरीवाल सरकार की फजीहत कराने वाले ये हैं पांच विवाद

दिल्ली में केजरीवाल की सरकार ने जैसे ही 49 दिन की दहलीज पर कदम रखा, वैसे ही उस 49 दिन की सरकार की याद ताजा हो गई.

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अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो) अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 4:56 PM IST

दिल्ली में केजरीवाल की सरकार ने जैसे ही 49 दिन की दहलीज पर कदम रखा, वैसे ही उस 49 दिन की सरकार की याद ताजा हो गई, जिसे केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन से बनाया था. इन 49 दिनों में केजरीवाल का ज्यादातर समय उलझनों में गुजरा था. कुछ ऐसा ही इस बार भी होता दिखा. केजरीवाल सरकार से ज्यादा पार्टी की उलझन में फंसते नजर आए. पर कुछ मुद्दों पर सरकार की भी फजीहत हुई. दिल्ली में लगे पोस्टर, अप्रैल फूल यानी केजरीवाल दिवस

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एक नजर ऐसे ही पांच विवादों पर...

1. लोकपाल आंदोलन के गर्भ से ये पार्टी निकली, जिसकी झाड़ू ने दिल्ली में बीजेपी कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. लेकिन 49 दिन में ही ये पार्टी अपने लोकपाल की आलोचना भी बर्दाश्त नहीं कर पाई. पार्टी के पहले लोकपाल एडमिरल रामदास ने ये क्या कहा कि पार्टी में लोकतंत्र नहीं है, उनको बगैर बताए ही लोकपाल के पद से हटा दिया गया.

2. जब योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को लेकर आम आदमी पार्टी में घमासान मचा तो पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुप्पी साध ली. उन्हें पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था पीएसी से हटा दिया गया. पार्टी की बीमारी बढ़ती गई और केजरीवाल अपना इलाज कराने बंगलुरु चले गए. फिर राष्ट्रीय परिषद की बैठक में दिल्ली के चुनाव में गद्दारी के नाम पर प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाने का फैसला कर लिया गया.

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3. ऐसे ही प्रोफेसर आनंद कुमार, मयंक गांधी, आतिशी मार्लेना को प्रवक्ता पद से हटा दिया गया. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से राकेश सिन्हा और अजीत झा की छुट्टी कर दी गई. यानी केजरीवाल के यस मैन पार्टी में बने रहेंगे पर उनकी मुखालफत करने वाले हाशिए पर चले गए.

4. केजरीवाल की राजनीति की एक बुनियाद तो स्टिंग ही है. लेकिन स्टिंग का किंग अब खुद ही उसका शिकार हो रहा है. आप के पूर्व विधायक राजेश गर्ग ने केजरीवाल से बातचीत का एक स्टिंग जगजाहिर किया, जिसमें लोकसभा चुनाव के बाद केजरीवाल कांग्रेस विधायकों के साथ दिल्ली में सरकार बनाने की जोड़तोड़ चाह रहे हैं. इसके बाद केजरीवाल का एक और स्टिंग सामने आयाजिसमें वह वह शालीनता की मर्यादा तोड़ते नजर आए. केजरीवाल ने साफ कर दिया कि पार्टी में वही रहेंगे, जिन्हें वो चाहेंगे और जिन्हें नहीं चाहेंगे. अपनी बात रखने के लिए उन्होंने कुछ अपशब्दों का भी सहारा ले लिया जिसने उनकी विनम्रता की पोल खोलकर रख दी. तो दिल्ली छोड़ देंगे केजरीवाल!

5. बीजेपी शासित एमसीडी से तनातनी में दिल्ली की सड़कों पर फैला कूड़ा आम आदमी पार्टी की इमेज और सरकार के इकबाल पर एक सवाल बन गई. अब सवाल यह भी बना हुआ है कि हरियाणा ने पानी नहीं दिया तो वीवीआईपी का पानी काटकर दिल्ली की जनता को कैसे राहत देंगे केजरीवाल.

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