साहित्य आजतक 2018 के तीसरे दिन बॉलीवुड के महशूर अभिनेता अन्नू कपूर ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने अपने करियर के सबसे मुश्किल रोल के बारे में बात की. अन्नू कपूर ने बताया कि वो एक्टर तो दिल्ली में बन गए थे, लेकिन मुंबई पैसा कमाने आए थे.
'साहित्य आजतक' के सुहानी सेशन में मीनाक्षी कंडवाल के साथ बातचीत में 'एक रुका हुआ फैसला' में काम मिलने को लेकर अन्नू कपूर ने बताया, "मुझे फिल्म में 70 साल के शख्स का रोल प्ले करने को मिला था. जब मुझे ये काम मिला, उस वक्त मेरी उम्र महज 26 साल थी."
एक्टर ने बताया, "मेरे बड़े भाई रंजीत कपूर ने उस वक्त (1981 में) ये नाटक किया था जिसका नाम था 'एक रुका हुआ फैसला'. बाद में फिल्म बनी. फिल्म से पहले दिल्ली में ये नाटक हुआ था. बहुत बड़े कलाकार इसमें शामिल थे. मैं 81 में एनएसडी पूरा करके निकला ही था, उन्होंने मुझे ये रोल दे दिया. मेरे जैसे जिगरे वाले आदमी बहुत कम ही देखने को मिलेंगे. न शकल थी न सूरत फिर भी मैं मुंबई पहुंच गया."
"मुझे आजतक खुद समझ नहीं आया कि मैं सिनेमा में ही क्यों पहुंचा. भाई साहब ने ये रोल दिया तो मैं थोड़ा सा अपसेट हो गया था. उस वक्त 26 साल का था. मैंने भाई साहब को ये बात बताई तो उन्होंने समझाया और कहा, मैंने कुछ सोच कर ही तुम्हें ये काम दिया है. बाकी के रोल मुश्किल नहीं है. मुझे लगा सबसे मुश्किल यही रोल है, 9 नंबर वाले का. मैंने सवाल भी किया था उस वक्त कि क्या जीवन भर यही त्रासदी रहेगी मेरी. क्या मुझे खुद को साबित करना पड़ेगा." अन्नू कपूर ने कार्यक्रम के दौरान शायरी पढ़ीं और गीत भी गुनगुनाया. उन्होंने आध्यात्मिक बातें भी कीं.
कबीर के नाम का मतलब
अभिनेता ने उम्र और अनुभव के आधार पर किसी आदमी के छोटे बड़े होने का फर्क 'कबीर' के नाम का मतलब बताते हुए समझाया.
अन्नू कपूर ने बताया, "जिस व्यक्ति को जुलाहे ने पाला, उसका जब नामकरण किया गया तो मौलवी साहब ने कहा कि इस बच्चे का नाम सगीर-चांद खां होना चाहिए. सगीर का मतलब होता है, छोटा. लेकिन मौलवी साहब ने कहा, कुरान ए शरीफ में इनके लिए कबीर ही सबसे सही नाम है. कबीर का मतलब है महान." एक्टर ने कहा, कोई भी व्यक्ति उम्र, अनुभव और कद के आधार पर छोटा नहीं होता. काम उसे बड़ा बनाते हैं."
एक्टर ने अपने करियर को लेकर और भी कई दिलचस्प बातें कीं. अन्नू कपूर ने बताया, मेरे करियर के शुरुआती साल काफी गरीबी में गुजरे. न चाहते हुए भी इस फील्ड में आना पड़ा. दिल्ली में हम 250 रुपये किराये पर रहते थे. एक्टर तो दिल्ली में बन गए थे, लेकिन मुंबई पैसा कमाने के लिए आए थे. मैं आज भी पैसे की पूजा करता हूं. लेकिन मेहनत और ईमानदारी से कमाए पैसे की."
"लेकिन धन कमाने के लिए मैं आपकी जेब नहीं काटूंगा, देश नहीं बेचूंगा और आपका गला नहीं काटूंगा. पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जहां क़ानून, सामाजिक और धार्मिक रूप से धन की पूजा की जाती है.
एक्टर ने कहा, "कुछ हुनर चाहिए बाजार में रहने के लिए.
अब तो बदनामी का शोहरत से वो रिश्ता है कि लोग नंगे हो जाते हैं."
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पुनीत उपाध्याय