सीने से बाहर धड़कता है बेटी का दिल, इलाज के लिए मजबूर पिता ने लगाई मदद की गुहार

बच्ची 5 अप्रैल को खजुराहो के अस्पताल में पैदा हुई थी. जन्म से ही उसका दिल शरीर से बाहर था. डॉक्टरों ने उसे छतरपुर के जिला अस्पताल में रेफर किया. यहां से उसे पहले ग्वालियर और फिर भोपाल के एम्स भेजा गया. हालांकि यहां भी बच्ची के इलाज के लिए सुविधाएं नहीं हैं.

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एक्टोपिया कॉर्डिस नाम की दुर्लभ बीमारी की शिकार है बच्ची एक्टोपिया कॉर्डिस नाम की दुर्लभ बीमारी की शिकार है बच्ची

लव रघुवंशी

  • भोपाल,
  • 09 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST

दिल की बीमारियां तो आम बात हैं लेकिन क्या आपने ऐसा कोई शख्स देखा है जिसका दिल सीने से बाहर धड़कता हो? भोपाल के एम्स में इन दिनों एक ऐसी ही बच्ची जिंदगी के लिए जूझ रही है.

4 दिन पहले जन्मी बच्ची
ये बच्ची 5 अप्रैल को खजुराहो के अस्पताल में पैदा हुई थी. जन्म से ही उसका दिल शरीर से बाहर था. डॉक्टरों ने उसे छतरपुर के जिला अस्पताल में रेफर किया. यहां से उसे पहले ग्वालियर और फिर भोपाल के एम्स भेजा गया. हालांकि यहां भी बच्ची के इलाज के लिए सुविधाएं नहीं हैं.

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मजबूर पिता की गुहार
बच्ची के पिता अरविंद पटेल खजुराहो मंदिर में प्राइवेट सेक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं. ये उनकी पहली संतान है. उनके मुताबिक छतरपुर अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची का इलाज देश से बाहर ही मुमकिन है और इसमें 25-30 लाख के बीच खर्च आएगा. बच्ची के बारे में सुनकर अरविंद के पिता भी बीमार पड़ गए हैं. परिवार की माली हालत बेहद खराब है और इलाज के लिए अरविंद ने छतरपुर के कलेक्टर से गुहार लगाई है.

मदद का भरोसा
छतरपुर के कलेक्टर रमेश भंडारी का कहना है कि बच्ची के इलाज के लिए हर मुमकिन मदद दी जाएगी. उसे प्रशासन की मदद से एंबुलेंस के जरिये भोपाल के एम्स अस्पताल में भेजा गया है. भंडारी की मानें तो प्रशासन इस बच्ची की हालत पर बराबर नजर बनाए हुए है.

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क्या है बीमारी?
डॉक्टरों के मुताबिक ये बच्ची एक्टोपिया कॉर्डिस नाम की बीमारी का शिकार है. औसतन 10 लाख बच्चों में महज 8 ही इस बीमारी से पीड़ित होते हैं. मध्य प्रदेश में ये इस तरह का पहला मामला है. दुनिया में इस तरह के मरीजों की कामयाब सर्जरी हो चुकी है. लेकिन इसमें जान का जोखिम रहता है.

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