अफगानिस्तान में भारत के योगदान को अमेरिका ने सराहा

भारत ने पिछले साल अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए विकास भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर कर किए थे. अमेरिका ने बुधवार को अफगानिस्तान में भारत के इस योगदान की सराहना की है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल)

केशवानंद धर दुबे

  • वाशिंगटन,
  • 07 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

भारत ने पिछले साल अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए विकास भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर कर किए थे. अमेरिका ने बुधवार को अफगानिस्तान में भारत के इस योगदान की सराहना की है.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप सचिव जॉन सुलिवन ने कहा कि वह उम्मीद करता है कि युद्धग्रस्त राष्ट्र में आर्थिक विकास एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए नई दिल्ली आगे भी ऐसे ही काम करती रहेगी.

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आर्थिक और मानवीय हित साझा किया

अफगानिस्तान पर कांग्रेस की एक सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय के उप सचिव जॉन सुलिवन ने ‘सीनेट फोरेन रिलेशन्स कमेटी’ के सदस्यों से कहा कि अमेरिका और भारत अफगानिस्तान में आर्थिक और मानवीय हित साझा करते हैं.

भारत ने वर्ष 2001 से अभी तक अफगानिस्तन को तीन अरब डॉलर से अधिक की मदद मुहैया कराई है.

भारत आगे भी ऐसे ही काम करता रहेगा

सुलिवन ने कहा, ‘भारत ने पिछले साल एक विकास भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर कर अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को और मजबूत किया. हम इन योगदान की सराहना करते हैं और हम उम्मीद करते है कि अफगानिस्तान में आर्थिक विकास एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत आगे भी काम करता रहेगा.’

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साथ ही सुलविन ने यहां इस बात पर भी जोर दिया कि अफगानिस्तान में मौजूद संकट से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में सुधार के बिना नहीं निपटा जा सकता.

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पाक और अफगान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार आवश्यक

सुलविन ने कहा, ‘भारत, अफगानिस्तान में व्यापार करना चाहता है और अंतत: हमने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी से कहा है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार आवश्यक है. अगर ऐसा होता है, तो हमें लगता है कि अफगानिस्तान के लिए आर्थिक रूप से एक व्यावहारिक भविष्य की उम्मीद है.’

पाक और अफगान के बीच संबंध महत्वपूर्ण

उन्होंने यह भी कहा, ‘मुझे लगता है कि इन सबमें सबसे महत्वपूर्ण अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच के संबंध हैं. अगर हम उन्हें हल कर लेते हैं तो यह समस्या भी ज्यादा देर तक नहीं टिकेगी और अफगानिस्तान में स्थिति बेहतर करना पाकिस्तान के हित में भी है.’

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