अमर सिंहः कांग्रेस से शुरू, BJP संग नजदीकी से खत्म हुआ सियासत के संकमोचक का सफर

कभी यूपी की सियासत में समाजवादी पार्टी के सबसे ताकतवर नेताओं में गिने जाने वाले अमर सिंह ने डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के लिए भी उस समय संकटमोचक की भूमिका निभाई थी, जब वाम दलों ने अमेरिका से परमाणु समझौते का विरोध करते हुए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.

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राज्यसभा सांसद अमर सिंह का सिंगापुर में निधन (फाइल फोटो- PTI) राज्यसभा सांसद अमर सिंह का सिंगापुर में निधन (फाइल फोटो- PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 11:06 PM IST

  • पूर्वी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से था ताल्लुक
  • कांग्रेस से हुई थी सियासी सफर की शुरुआत

राज्यसभा सांसद अमर सिंह का सिंगापुर के एक अस्पताल में शनिवार को निधन हो गया. 64 साल के अमर सिंह के दोनों गुर्दे और आंत खराब थी. मूल रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से ताल्लुक रखने वाले अमर सिंह की छवि सियासत में संकटमोचक की रही. कभी यूपी की सियासत में समाजवादी पार्टी के सबसे ताकतवर नेताओं में गिने जाने वाले अमर सिंह ने डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के लिए भी उस समय संकटमोचक की भूमिका निभाई थी, जब वाम दलों ने अमेरिका से परमाणु समझौते का विरोध करते हुए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.

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अमर सिंह का सिंगापुर के अस्पताल में निधन, PM मोदी ने जताया शोक

ऐसा माना जाता है कि अमर सिंह के कहने पर ही समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उस समय अपना ही खड़ा किया तीसरा मोर्चा छोड़कर मनमोहन सरकार का समर्थन किया था. बॉलीवुड के साथ ही कारोबारी जगत में भी अच्छी पैठ रखने वाले अमर सिंह की सहमति के बगैर कभी सपा में एक भी फैसले नहीं होते थे, लेकिन मनमोहन सरकार बचाने के लिए वोट के बदले सांसदों को कैश देने के मामले में अमर सिंह गिरफ्तार क्या हुए, सियासत का ग्लैमर बॉय जैसे दरकिनार ही कर दिया गया.

अमर सिंह के वो बयान और किस्से जिससे आया था राजनीति में भूचाल

सपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. सपा में वापसी तो हुई, लेकिन चंद माह बाद ही 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम परिवार में मचे घमासान की वजह बताकर उन्हें अखिलेश यादव ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. सपा से बाहर होने के बाद अमर सिंह भारतीय जनता पार्टी के करीब आए. कांग्रे से नजदीकी के साथ शुरू हुआ अमर सिंह का सियासी सफर भाजपा से नजदीकी के साथ खत्म हुआ.

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अलीगढ़ में हुआ था जन्म

अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था. इसके कुछ समय बाद ही अमर सिंह का परिवार कोलकाता के बड़ा बाजार इलाके में जाकर बस गया. अमर सिंह की शिक्षा-दीक्षा कोलकाता में ही हुई. साधारण परिवार से आने वाले अमर सिंह के मन में सियासी महत्वाकांक्षा हिलोरे लेने लगी थी.

छात्र जीवन में हुई थी प्रियरंजन दास मुंशी से मुलाकात

अमर सिंह जब सेंट जेवियर्स कॉलेज के छात्र थे, तभी उनकी मुलाकात कांग्रेस नेता सुब्रत मुखर्जी और प्रियरंजन दासमुंशी से हुई थी. अमर सिंह कांग्रेस के करीब आ गए, लेकिन उन्हें इस बात का एहसास भी हो गया था कि पश्चिम बंगाल की सियासत में उनका कोई भविष्य नहीं है. अमर सिंह ने उत्तर भारत का रुख किया और वे वीर बहादुर सिंह और माधवराव सिंधिया के संपर्क में आए. इसी दौरान उनकी मुलाकात मुलायम सिंह यादव से भी हुई थी.

सिंधिया ने दिया था ग्वालियर में टिकट बांटने का मौका

माधवराव सिंधिया के करीबियों में रहे अमर सिंह को साल 1996 में ग्वालियर की सीटों पर उम्मीदवार तय करने के लिए कहा था. यह किसी चुनाव के लिए उम्मीदवारों को टिकट बांटने का अमर सिंह के लिए पहला मौका भी था. अमर सिंह खुद भी उत्तर प्रदेश की सीमावर्ती भिंड सीट से जुनाव लड़ने के लिए टिकट की दावेदारी करने के साथ ही चुनावी तैयारी भी शुरू कर दी थी. लेकिन अंतिम समय में सिंह को टिकट नहीं मिला.

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