बीएचयू प्रकरण पर सुस्मिता देव ने लिखी निशंक को चिट्ठी

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुस्मिता देब ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को बीएचयू में छात्राओ के साथ छेड़खानी को लेकर एक चिट्ठी लिखी है.

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फोटो सौजन्यः इंडिया टुडे फोटो सौजन्यः इंडिया टुडे

मंजीत ठाकुर

  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्राओं के साथ अश्लील हरकत के मामले में घिरे जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर शैल कुमार चौबे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं.

हालांकि, चौबे को बर्खास्त करने की मांग को लेकर धरने पर बैठी विज्ञान संकाय के छात्रों ने धरना खत्म कर दिया है. क्योंकि बताया जाता है कि कुलपति से धरने पर बैठे छात्रों की कुछ मांगे मान ली हैं, जिसमें तय हुआ है कि एक बार फिर से आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जाएगी. इसी के साथ आरोपी प्रोफेसर को अगली सुनवाई तक के लिए निलंबित कर दिया गया है. 

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लेकिन अब इसमें राजनीति का नया कोण आ जुड़ा है. अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुस्मिता देव ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को इस बाबत एक चिट्ठी लिखी है. अपने खत में देव ने लिखा है, "पिछले कुछ महीनों से मैं देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों खासकर शिक्षा संस्थानों और परिसरों में ऐसी घटनाओं के काफी दुखी हूं."

 अपने खत में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष ने ऐसी घटनाओं पर दुख जताते हुए बीएचयू के आरोपी प्रोफेसर पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. 

इस चिट्ठी में देव ने छात्राओं के उस आरोप का भी जिक्र किया है. जिसके मुताबिक, पुणे टूर के दौरान प्रोफेसर चौबे ने छात्राओं की शारीरिक बनावट को लेकर अश्लील कमेंट करने के साथ अभद्रता भी की थी. इस मामले में दोषी पाए जाने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें बचाने का प्रयास कर रहा है, यह समझ से परे हैं. ऐसा तब हो रहा है जब धरना-प्रदर्शन करने के साथ ही लिखित शिकायत भी की गई थी. 

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असल में, अक्तूबर 2018 में जूलॉजी विभाग की छात्राओं को शैक्षणिक टूर पर पुणे ले जाया गया था. टूर से आने के बाद छात्राओं ने प्रोफेसर चौबे पर अश्लील कमेंट का आरोप लगाते हुए शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से की थी. इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था और जांच चलने तक बाहर जाने पर रोक लगाई गई थी. जांच समिति गठित कर 25 अक्तूबर, 2018 से 30 नवंबर 2018 तक मामले की जांच कराई गई.

फिलहाल, मानव संसाधन मंत्री की तरफ से सुस्मिता देव के इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया है.

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