अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) ने मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के तौर पर शुरुआत की थी और छात्रों के लिए इसके दरवाजे 1877 में खोले गए थे. 95 साल पहले विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल करने वाली यूनिवर्सिटी आज भारत में उच्च शिक्षा के बेहतरीन केंद्रों में शुमार है.
इन दिनों यूनिवर्सिटी ने डिजिटाइजेशन का अभियान छेड़ा हुआ है. अगले दो साल में यूनिवर्सिटी के हरेक विभाग में कम से कम एक स्मार्ट क्लासरूम बनाने की योजना है, जिसमें पढ़ाई की विभिन्न डिजिटल सुविधाएं होंगी. ऐसे और क्लासरूम भी बनाए जाएंगे. यूनिवर्सिटी के कर्ताधर्ताओं ने हालांकि बुनियादी ढांचे को और बेहतर बनाने और नए कोर्स तथा संकाय खोलने के लिए यूजीसी से धन की मांग की है, लेकिन साथ ही वे “पुराने छात्रों” के नेटवर्क को भी खंगाल रहे हैं ताकि वे आगे आएं और एएमयू को विश्व स्तर की यूनिवर्सिटी बनाने के लिए अपना योगदान दें.
तीन साल पहले कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह ने एक ऐसी पहल की, जिसने देखते ही देखते रफ्तार पकड़ ली और जो अब शायद देश का सबसे कामयाब एलुम्नाइ (पूर्व छात्र) प्रोग्राम बन गया है. मिसाल के तौर पर, 2014-15 के वित्त वर्ष में पूर्व छात्रों ने एएमयू को 13 करोड़ रु. से ज्यादा का योगदान दिया है.
शाह कहते हैं, “दानदाताओं की गाढ़ी कमाई के इस्तेमाल की ठोस योजनाओं के साथ हम उन्हें भरोसा दिलाने में कामयाब रहे.” यूनिर्सिटी के एक अधिकारी बताते हैं कि एक पूर्व छात्र ने ओलंपिक जितना बड़ा नया स्वीमिंग पूल और जिमनैजियम बनाने के लिए 5 करोड़ रु. दिए हैं. एलुम्नाइ के योगदान का एक बड़ा हिस्सा छात्रों को स्कॉलरशिप के लिए अलग रखा जाता है. मिसाल के तौर पर, उर्मिला मित्तल मेमोरियल ट्रस्ट, जो दिल्ली के मार्केटिंग कंसल्टेंट सी.डी. मित्तल ने अपनी मां के नाम पर कायम किया है, 75 छात्राओं को हर माह 500 रु. से 2,500 रु. तक का वजीफा देता है.
यूनिवर्सिटी के 467 हेक्टेयर के परिसर में आज तकरीबन 19,000 छात्र, 111 विषयों के 1,100 से ज्यादा शिक्षक, पांच संस्थान और 80 आवासीय हॉस्टल हैं. शाह बताते हैं कि एएमयू 3,000 छात्राओं को सशक्त बनाने पर खास ध्यान दे रही है. 2014 में पहली बार 50 लड़कियों ने अलीगढ़ में नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) के कैंप में हिस्सा लिया था और इस साल लड़कियों ने शूटिंग, ड्रिल और रस्साखींच में गोल्ड मेडल जीते हैं. उम्मीद है कि मार्च 2016 तक कैंपस के भीतर 1,500 छात्राओं के लिए आवासीय हॉस्टल बनकर तैयार हो जाएगा. फिलहाल कैंपस से बाहर बना वूमेंस हॉस्टल यहां से 2 किमी की दूरी पर पड़ता है.
पिछले साल यूनिवर्सिटी ने अंडरग्रेजुएट छात्राओं को हर इतवार तीन घंटे के लिए प्रतिष्ठित मौलाना आजाद लाइब्रेरी में जाने की छूट दी थी. इसे आम तौर पर सेंट्रल लाइब्रेरी कहा जाता है और यह भारत में किताबों और पांडुलिपियों के सबसे बड़े भंडारों में से एक है, जहां 20 लाख से ज्यादा किताबें हैं. इसके पांडुलिपि सेक्शन में कोई 16,000 अनूठे और दुर्लभ मूलग्रंथ हैं, जिनमें बाबर, अकबर-ए-आजम, शाहजहां, उनके बेटे औरंगजेब और शाह आलम की मुहर लगे हुए शाही हुक्मनामे भी हैं. इसके बेशकीमती खजाने में भगवद्गीता, महाभारत और गणित पर संस्कृत की महान किताब लीलावती का फारसी अनुवाद भी है. लाइब्रेरियन डॉ. अमजद अली कहते हैं, “लाइब्रेरी का एक बड़ा हिस्सा लाइबिस 7.0 सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन भी मौजूद है.” यह सॉफ्टवेयर कैंपस के 3,000 कंप्यूटरों को भी आपस में जोड़ता है.
शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एएमयू के दिग्गजों ने 2013 में एक इनोवेशन काउंसिल बनाई और साल के दो सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ताओं के लिए 1-1 लाख रु. के दो पुरस्कार शुरू किए. 2014 में यूनिवर्सिटी ने सर सैयद इनोवेशन फेस्टिवल शुरू किया, जिसके तहत यूनिवर्सिटी के छात्र को 50,000 रु. और यूनिवर्सिटी स्कूल के छात्र को 25,000 रु. का पुरस्कार दिया जाता है. इससे नए विचारों को बढ़ावा मिलता है. नतीजाः 2011-12 में जहां 186 शोध परियोजनाएं थीं, वहीं 2014-15 के अकादमिक सत्र में ऐसे 300 प्रस्ताव आए.
शाह कहते हैं कि उनका मकसद सिलेबस को अपडेट करना और नौकरी के लिए छात्रों को तैयार करना है. पिछले साल इंजीनियरिंग और मेडिसिन में ग्रेजुएट करने वाले एएमयू के सभी छात्रों को प्लेसमेंट मिल गया था. यूनिवर्सिटी अधिकारी बताते हैं कि पिछले साल एएमयू के 15 छात्र उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड की राज्य न्यायिक सेवाओं में चुने गए थे.
एएमयू ने यूपी के सभी 75 जिलों में अंग्रेजी माध्यम का कम से कम एक इंटरमीडिएट कॉलेज खोलने की योजना बनाई है. इन स्कूलों को क्रिश्चियन मिशनरी संस्थाओं की तर्ज पर खोलने की योजना है जो सबके लिए खुले हों लेकिन मुस्लिम छात्रों के लिए इनमें कुछ आरक्षण भी हो. इन स्कूलों का संचालन एएमयू के संरक्षण में चलने वाला ऑल इंडिया मुस्लिम एजुकेशन फाउंडेशन करेगा और ऐसा पहला स्कूल अगस्त में मुजफ्फरनगर के एक गांव जौला में खुल जाएगा, जो 2013 के सांप्रदायिक दंगों का शिकार गांव है.
इन नए स्कूलों की जरूरत क्यों है, वाइस चांसलर शाह कहते हैं, “हमारे ज्यादातर छात्रों के पास स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी मेडिकल या इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं में मुकाबला करने की काबिलियत नहीं होती. ऐसे में, यूनिवर्सिटी होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम स्कूल स्तर से इन छात्रों को उच्च शिक्षा तक पहुंच हासिल करने के हुनर से लैस करें.”
शाह के संरक्षण में एएमयू ने दीनी मदारिस (मदरसा प्रणाली) के स्नातकों के लिए ब्रिज कोर्सेज की शुरुआत की है. 2013 में शुरू किया गया एक साल का मदरसा ब्रिज कोर्स निःशुल्क है. शाह बताते हैं कि ऐसा “आत्मविश्वास को बढ़ावा देने और मदरसा छात्रों की प्रोफाइल को बाजार की जरूरतों के अनुकूल बनाने के लिए” किया गया है. धीमे-धीमे अपने शताब्दी वर्ष की तरफ बढ़ते हुए एएमयू ने इंडिया टुडे समूह-नीलसन के बेस्ट यूनिवर्सिटीज सर्वे में लगातार अपनी रैंक में सुधार किया है, और अब शायद वह उस परिकल्पना के और नजदीक आ गई है, जो मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के संस्थापक, महान सुधारक सर सैयद अहमद खान के जेहन में थीः एक ऐसा संस्थान जो अपने इस्लामिक मूल्यों से समझौता किए बगैर पश्चिमी शिक्षा प्रणाली के अनुरूप हो.
अलग किस्म के कोर्स
-इस्लामिक अध्ययन में यूजी, पीजी, एमफिल और पीएचडी
-प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी (टूल और डाइ) में बैचलर, वोकेशनल डिग्री (बी.वोक)
-शिया और सुन्नी धर्मशास्त्र में पीजी और यूजी कोर्स
मजेदार बातें
-हरेक छात्र के लिए दाखिले के वक्त एक पौधा लगाना अनिवार्य है.
-एएमयू भारत की इकलौती यूनिवर्सिटी है जहां घुड़सवारी क्लब है.
-प्रशासन बिजली उत्पादन के लिए सौर ऊर्जा में 20 करोड़ रु. निवेश कर रहा है. इससे एएमयू भारत की पहली ग्रीन यूनिवर्सिटी बन जाएगी.
मशहूर पूर्व छात्र
हामिद अंसारी
भारत के उपराष्ट्रपति
राजनीतिविज्ञान में एमए (1961)
इरफान हबीब
इतिहासकार
इतिहास में एमए (1953)
नसीरुद्दीन शाह
अभिनेता
अंग्रेजी में बीए (1971)
आशीष मिश्र