मध्य प्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन हो गया है. जबकि अभी तक बसपा अकेले ही चुनाव लड़ने की बात कह रही है. उधर सूत्रों की मानें तो अकेले पड़ी कांग्रेस की राज्य इकाई में घबराहट बढ़ने लगी है. इस घबराहट को भांपते हुए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अब थोड़ थोड़ा नरम भी पड़ने लगा है.
दरअसल 17 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने साफ कर दिया कि गठबंधन को लेकर अब वे कांग्रेस का और इंतजार नहीं करेंगे. हालांकि बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ सपा ने गठबंधन के रास्ते खुले रखे हैं.
सूत्रों की मानें तो आगामी दो दिनों के भीतर सपा, बसपा और जीजीपी के बीच बातचीत होनी है. हालांकि इस बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस थोड़ी नरम पड़ती दिख रही है. पार्टी संगठन के सदस्य ने बताया कि कांग्रेस की राज्य इकाई ने शीर्ष नेतृत्व को गठबंधन करने की सलाह दी है. 231 सीटों वाले राज्य में 22-23 फीसदी वोट आदिवासी आबादी का है. एसटी की 47 सीटें रिजर्व हैं.
35 सीटें एस सी के लिए रिजर्व हैं. ऐसे में अगर सपा और जीजीपी के साथ बसपा आ जाती है तो उसका पलड़ा भारी दिखता है. जीजीपी के मुखिया हीरा सिंह मरकाम ने बताया कि हम तो चाहते हैं कि सपा, बसपा, जीजीपी और कांग्रेस चारों साथ चुनाव लड़ें.
क्योंकि हमारा उद्देश्य सांप्रदायिक ताकत के खिलाफ एकजुट होकर उसे सत्ता से बदेखल करना है. उन्होंने बताया, '' अखिलेश से मैंने कहा है जितना जल्दी हो सके बुआ को मना लो. क्योंकि बुआ, भतीजे और दादा मिल गए तो अबकी चुनाव में समीकरण बदलेंगे.'' राज्य में हीरा सिंह मरकाम को ''दादा'' के नाम से जाना जाता है. मरकाम कहते हैं, कांग्रेस अगर अपना हठी रवैया छोड़ती है तो उससे अब भी बात की जा सकती है.
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संध्या द्विवेदी / मंजीत ठाकुर