सपाइयों के टीपू भइया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शनिवार को लल्लनटॉप के मंच पर पहुंचे और अपनी जिंदगी के अनुभव और कहानियां साझा की. अखिलेश के सामने पहला सवाल सपा के अधिवेशन के खबरों में रहने को लेकर था. सपा अध्यक्ष ने कहा कि समाजवादी पार्टी की कोई भी बात हो, खबरों में रहती है. पार्टी अध्यक्ष बनने पर मुलायम सिंह के रिएक्शन पर उन्होंने कहा कि पिताजी ने आशीर्वाद दिया.
धौलपुर के अपने स्कूल की बात करते हुए अखिलेश ने कहा कि सबसे पहले ये बात ध्यान रखने वाली है कि सैन्य स्कूल और मिलिट्री स्कूल में फर्क है. मिलिट्री स्कूल में मैंने जो सीखा है वो ये कि रगड़ा कैसे लगता है. सुबह 6 बजे से लेकर 10 बजे तक कैसे अनुशासन में रहना है. खाने का वक्त क्या है. पढ़ने का वक्त क्या है. खेलने का वक्त क्या है और दोस्त कितना साथ दे सकते हैं, कितना धोखा दे सकते हैं. ये मिलिट्री स्कूल में सीखा.
बी.टेक करने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि जो बच्चे इंजीनियरिंग कर रहे हैं या करने जा रहे हैं. उन्हें मालूम होगा कि सिविल इंजीनियरिंग रॉयल इंजीनियरिंग मानी जाती है. सिविल इनवॉयरमेंट इंजीनियरिंग तो उससे भी ज्यादा रॉयल हो गई. उन्होंने कहा कि उस समय मुझे पता नहीं था कि मैं आगे चलकर राजनीति करने वाला हूं.
'जितनी बैक मेरी लगी, उतनी किसी की नहीं'
अखिलेश ने कहा कि एग्जाम के दौरान जितनी बैक मेरी लगी, उतनी तो शायद किसी बच्चे की नहीं लगी होगी. उन्होंने एक किस्सा शेयर करते हुए बताया कि फर्स्ट सेमेस्टर के दौरान हम लोग रिजल्ट देखने गए तो नोटिस बोर्ड पर सिर्फ दो सब्जेक्ट दिख रहे थे. हमने सोचा कि सिर्फ दो सब्जेक्ट में फेल हुए लेकिन बाद में पता चला कि हम गलत रिजल्ट देखकर आए हैं. दरअसल ये वो रिजल्ट था जिन सब्जेक्ट में हम पास हुए थे बाकी में हम फेल हुए थे. अखिलेश ने बताया कि जब फर्स्ट ईयर समाप्त हुआ तो मैंने सभी सब्जेक्ट को क्लियर किया था.
'कॉलेज में जिप्सी का क्रेज था'
कॉलेज के दिनों में जिप्सी की सवारी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हर युवा गाड़ी और कार के सपने देखता है, मैंने भी देखा था. मुझे लगा था कि अगर कॉलेज में जिप्सी होगी तो माहौल थोड़ा अलग होगा. जिप्सी का उस समय बड़ा क्रेज था. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि जिप्सी क्या है? ये लखनऊ वाले भौकाल से आगे ही नहीं जा पा रहे.
डिंपल से पहली मुलाकात का किस्सा
अपनी पत्नी डिंपल से पहली मुलाकात के बारे में अखिलेश ने कहा कि हमारी मुलाकात लखनऊ के कैंट इलाके में हुई थी, जहां मैं खेलने के लिए जाया करता था. हाऊ टू अप्रोच ए गर्ल के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा कि ये जमाना कैसा है. मुझे नहीं मालूम लेकिन आज के युवाओं का मोबाइल छीन लो, तो सब पता लग जाएगा. हमारे समय में मोबाइल नहीं था, व्हाट्स ऐप नहीं था. तो हम सीधा-सीधा बात करते थे.
डिंपल के बारे में पहले दादी को बताया, बोलीं- बेटा, जो हो रहा, होने दो
उन्होंने कहा कि डिंपल के बारे में जब घर पर बताना था तो मैंने दादी का सहारा लिया. मैंने उनका फायदा ये उठाया कि उनको सब बताया, तो उन्होंने कहा कि बेटा, जो हो रहा है. होने दो. डिंपल के पिता को मुलायम सिंह से मिलवाने के बारे में उन्होंने कहा कि पिता जी तब रक्षामंत्री थे और उन्हें बहुत कुछ बताना ठीक नहीं था. हमने सिर्फ इतना कहा कि कर्नल अंकल आ रहे हैं.
फिजियन अखबार ने खोली पोल
ऑस्ट्रेलिया में अपनी पढ़ाई के दौरान के अनुभव बताते हुए अखिलेश ने कहा कि सिडनी में मैं जिस फैमिली के साथ पेइंग गेट्स के रूप में रहता था, उनमें हसबैंड ऑस्ट्रेलियन थे और वाइफ फिजियन थीं. एक बार जब अमिताभ बच्चन सिडनी आए तो मैं उनसे मिलने के लिए गया. एक अखबार ने अमिताभ बच्चन के साथ मेरी तस्वीर छाप दी. उस तस्वीर में मैं अमर सिंह और अमिताभ बच्चन के साथ था. उस दिन सब जान गए कि मैं इतने बड़े लोगों को जानता हूं.
राजनीति में एंट्री पर छोटे लोहिया बोले- संघर्ष का परिवारवाद
एक सवाल के जवाब में अखिलेश ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अमर सिंह ने ही मुलायम को मनाया था कि उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए. परिवारवाद के सवाल पर जनेश्वर मिश्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि छोटे लोहिया ने कहा था कि ये परिवारवाद नहीं है, ये नया लड़का है और ये संघर्ष के परिवारवाद में जा रहा है. ये जनता तय करेगी कि ये सदन में जाएगा या नहीं जाएगा.
'मुझे पता नहीं था लोग गाय-गोबर पर वोट मांगेंगे'
2012 में सपा की जीत पर सपा अध्यक्ष ने कहा कि जनता बहुजन समाज पार्टी से नाराज थी. जनता काम चाहती थी और इसी के लिए हमें चुना. 2017 में हार के बारे में उन्होंने कहा कि ये वोट देने वाले लोग बेहतर बता पाएंगे. हम समाजवादी लोग जनता को अपना काम बताते रहे हैं और बीजेपी के लोग बहकाते रहे हैं. जो मुख्यमंत्री आज हैं उनका तो कहीं नाम भी नहीं था. हमने काम के आधार पर जनता से वोट मांगा. हमने सड़कें बनाई और काम किए और उस आधार पर वोट मांगे. मैं लैपटॉप बांटता रहा, लेकिन मुझे क्या पता था कि लोग गाय के नाम पर वोट मांगेंगे, गोबर पर चर्चा करेंगे. अगली बार हम भी इस पर बात करेंगे.
'नया भारत चाहने वाले लोगों को देना नहीं चाहते'
कांग्रेस के साथ दोस्ती पर अखिलेश ने कहा कि मैं चाहता था कि दो युवा एक साथ आएं और देश को आगे बढ़ाएं. आज लोग नया भारत बनाना चाहते हैं, मगर लोगों को कुछ नहीं देना चाहते हैं. कैंसर इंस्टीट्यूट को लेकर सीएम योगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को नहीं पता कि कैंसर का इलाज कैसे होता है. कहां होता है. मुझसे बता देते, मैं बता देता कि मरीजों को कहां भेजना है. उनको लोहिया भेज देते. मेडिकल कॉलेज भेज देते. खैर ये वैसी ही बात है कि मुझसे मंत्र पढ़ने को कहोगे तो कैसे करूंगा. मुझसे लैपटॉप लाने को कहो तो दुनिया का सबसे अच्छा लैपटॉप ला देता.
'2019 आ जाएगा, कुछ नहीं बनेगा'
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने तो गोमती का किनारा भी नहीं बनने दिया. सारे लड़के-लड़कियों से पूछिए. वो यही चाहते हैं- वहां लाइट लग जाए, फव्वारे लग जाएं, ताकि सारे लोग वहीं जाएंगे सेल्फी लेने. दरअसल, योगीजी सोचते हैं दिल्ली वाले बना देंगे. दिल्लीवाले सोचते हैं, उत्तर प्रदेश वाले बना लेंगे. 2019 आ जाएगा और दोनों कुछ नहीं बनवाएंगे.
'लोग बुआ को साथ आने नहीं आने देंगे'
अपनी सरकार में पांच मुख्यमंत्री के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा कि बड़ों से सलाह लेना गलत नहीं है. बीजेपी के यहां तो एक मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्री और दो बोलने वाले मुख्यमंत्री हैं. इनके बारे में भी बात करिए. उन्होंने कहा कि ईवीएम के बारे में लोगों को शक है. मैंने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. मायावती के साथ गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोग हमें साथ नहीं आने देंगे. हम उनको बुआ कहते हैं. शायद वो साथ आ जाएं.
'अन वेरीफाइड अकाउंट से सेलेब्रिटीज को फॉलो करना'
बीएचयू में लाठीचार्ज पर अखिलेश ने कहा कि पूरे प्रदेश का यही हाल है. ग्राम रोजगार सेवकों पर भी लाठी चली है. सेलेब्रिटीज को फॉलो करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वेरीफाइड वाले से बहुत कम लोगों को फॉलो करता हूं और अन वेरीफाइड से कई लोगों का फॉलो करता हूं. आखिरी फिल्म टॉयलेट एक प्रेमकथा देखी थी और उन्हें बधाई भी दी.
नंदलाल शर्मा