राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से करीब 200 किमी दूर यमुना नदी के किनारे आबाद आगरा भले ही सदियों पुराना शहर है, लेकिन देश में शहरीकरण तेज होने के साथ ही यह शहर अपनी हदों को लांघ रहा है. यमुना एक्सप्रेस-वे से शहर की ओर जाने पर एकबारगी ऐसा लगता है कि शहर के पास फैलने के लिए पर्याप्त जमीन है लेकिन जमीन की कीमतों के आसमान छूने की वजह से इस पुराने शहर के नए इलाकों के क्षितिज पर बहुमंजिली इमारतें उभर रही हैं.
शहर के इस वर्टिकल ग्रोथ के बारे में पुष्पांजलि हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च सेंटर और पुष्पांजलि कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. के चेयरमैन डॉ. वी.डी. अग्रवाल का कहते हैं, ''इसकी कई वजहें हैं. एक तो भूमि अधिग्रहण आसान नहीं है. दूसरी, जमीन की कमी है. इसकी वजह से पिछले तीन-चार साल में जमीन बहुत महंगी हो गई है. इन सबसे बढ़कर हर व्यक्ति शहर में रहना चाहता है, वहां की सुख-सुविधाओं का लाभ उठाना चाहता है.” जमीन की कमी की वजह से बहुमंजिला रिहाइशी और व्यावसायिक इमारतों का चलन चल पड़ा है.
लेकिन शहर में निर्माण संबंधी नियमों में अब भी खास बदलाव नहीं आया है. बहुमंजिली इमारतों के निर्माण के लिए कई तरह की शर्तों का पालन करना पड़ता है, जिसमें फायर ब्रिगेड समेत कोई दर्जनभर विभागों से मंजूरी लेनी पड़ती है. आगरा में अग्निशमन विभाग के पास पांच मंजिल से ऊंची इमारतों में आग को बुझाने के लिए कोई इंतजाम नहीं है. आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाष दुबे का कहना है, ''नगर में फायर हाइड्रेंट न के बराबर रह गए हैं जिसके कारण अग्निशमन विभाग की दमकलों को कई घटनाओं के समय पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा है.” हालांकि दूसरे शहरों की तरह यहां भी फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) की व्यवस्था है. इस वजह से ज्यादातर रिहाइशी इमारतें पांच मंजिल से ऊपर नहीं पहुंच पातीं.
आगरा के प्रमुख व्यावसायिक केंद्र संजय प्लेस में आठ मंजिला इमारतें हैं. लेकिन फतेहाबाद रोड पर आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) ने एडीए हाइट्स और पुष्पांजलि कंस्ट्रक्शंस ने पुष्पांजलि हाइट्स बनाकर मानो शहर में इमारतों की ऊंचाई का नया मानक तैयार कर दिया है. इन दोनों जगहों पर इमारतों की ऊंचाई 14 मंजिल है. जहां एडीए हाइट्स आगरा के सबसे ज्यादा महंगे इलाकों में शुमार फतेहाबाद रोड पर स्थित है, वहीं पुष्पांजलि हाइट्स शहर की सीमा पर स्थित दयालबाग में यमुना के किनारे बनी है.
एडीए के सचिव रविंद्र गुप्ता का कहना है, ''एडीए हाइट्स की खासियत है कि यहां की खिड़कियों से विश्व प्रसिद्ध इमारत ताज महल का दीदार होता है, जिस वजह से यहां बने सारे अपार्टमेंट हाथोहाथ बिक गए. यहां तक कि सबसे ऊपर बने दो पेंटहाउस भी पहले दिन ही बुक हो गए.” हालांकि इसमें फ्लैट बुक कराने वाले कुछ लोगों का कहना है कि सभी खिड़कियों से ताज महल नहीं दिखता.
गौरतलब है कि ये ऊंची इमारतें शहर के बाहरी इलाकों में बन रही हैं. शहर के कोलाहल से दूर आशियाना बनाने की इसी चाहत को भुनाने के लिए आगरा में कई बिल्डर अपनी परियोजना पर काम कर रहे हैं. एडीए के अलावा अंसल और जेपी ग्रुप जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इनमें से कुछ बिल्डर टाउनशिप बसा रहे हैं.
नालंदा ग्रुप के डायरेक्टर संतोष कटारा का कहना है, ''आगरा में बहुमंजिला इमारतें बनाने की योजना बनाई थी लेकिन यहां वायु सेना अड्डा होने के कारण काफी बंदिशें हैं इसलिए आठ-मंजिला इमारतों—नालंदा क्राउन और नालंदा हाइट्स पर ही इस समय काम चल रहा है.” गौर तलब है कि हवाई अड्डे से दो मील की परिधि में किसी ऊंची इमारत का निर्माण नहीं किया जा सकता. वैसे, इस ग्रुप ने आगरा से सिर्फ 60 किमी दूरी पर स्थित वृंदावन में संस्कार सिटी नाम से 14 मंजिला इमारतों का टाउनशिप बसाया है.
नगर विकास के लिए जिम्मेदार एजेंसी एडीए ने आगरा में इमारतों की ऊंचाई के मानक को और ऊंचा कर दिया है. वह अब मथुरा रोड पर शास्त्रीपुरम हाइट्स के निर्माण की योजना बना रहा है. इसमें 17 मंजिला इमारतें होंगी. आगरा में अधिकतर बहुमंजिली इमारतें या तो फतेहाबाद और शम्साबाद मार्ग के त्रिकोणीय इलाके में स्थित हैं, या फिर दयालबाग और आगरा-मथुरा राजमार्ग पर बनी हैं. इन सभी इलाकों में नया निर्माण हो रहा है और जमीन की कीमत के खासी ऊंची होने के कारण बिल्डर बहुमंजिला इमारतों पर अधिक जोर दे रहे हैं.
इन बुलंदियों के साथ जुड़ा दुखद पहलू यह है कि शहर में बुनियादी संरचना और संसाधनों की कमी है. सामाजिक कार्यकर्ता विशाल शर्मा का कहना है, ''ग्राउंड वाटर का लेवल हर साल एक मीटर से नीचे जा रहा है, और अभी तक शहर में पानी की सप्लाइ का पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया है.” नई इमारतों में बिजली के तार और फिटिंग्स का ठेका लेने वाले जैन इलेक्ट्रिकल्स के किशोर जैन का कहना है, ''इन इमारतों में ज्यादातर निवेशक ही बुकिंग करा रहे हैं.”
इसकी प्रमुख वजह एक ही जगह पर सभी सुविधाएं उपलब्ध होना है. जहां पुराने शहर में वाहन पार्किंग भी एक समस्या है, इन सभी इमारतों में अंडर-ग्राउंड पार्किंग की व्यवस्था है. सुरक्षा के लिहाज से भी लोग बहुमंजिली इमारतों में रहना पसंद कर रहे हैं और एक सम्मिलित इमारत में रहने से रखरखाव का खर्च भी कम आ रहा है. साथ ही बिजली, पानी, केबल टीवी आदि सभी सुविधाओं के सम्मिलित रूप से लेने के कारण ये सस्ती पड़ रही हैं.
शहर के खासकर उच्च वर्ग के लोग भी धीरे-धीरे बड़ी आलीशान कोठियों से हटकर सुरक्षा के लिहाज से महफूज इन इमारतों में जा रहे हैं. मनीष प्रकाशन के मालिक मुरारीलाल अग्रवाल शहर के पॉश इलाके विजयनगर की आलीशान कोठी में रहते थे. लेकिन अब वे आशीर्वाद रेजिडेंसी के एचआइजी अपार्टमेंट में रह रहे हैं. उनके अनुसार, ''यहां सुरक्षा और अच्छा वातावरण है.”
इमारतों की बुलंदी आगरा के लिए कोई नई बात नहीं है. लेकिन अब जमीन की किल्लत और एक ही जगह पर शहर की सारी सुख-सुविधाएं मुहैया होने की वजह से दूसरे शहरों की तरह आगरा का वर्टिकल ग्रोथ तय है.
सिराज कुरैशी