जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने और उसके केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार में वहां कुछ राजनीतिक प्रक्रिया शुरू हुई है. इस कड़ी में पूर्व विधायकों और राजनेताओं के एक समूह ने उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू से मुलाकात की.
इस प्रकार से राजनीतिक प्रक्रिया और मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के सदस्यों के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ. इस मुलाकात को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि हो न हो कश्मीर में तीसरे मोर्चे का गठन हो सकता है.
दिलचस्प बात यह है कि नेताओं ने नौकरियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण और राज्य की बहाली के मुद्दों को उठाया, लेकिन अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण पर कोई बात नहीं की.
पूर्व विधायकों और राजनेताओं के इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पूर्व मंत्री और पीडीपी के वरिष्ठ नेता सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने किया.
उपराज्यपाल के साथ पूर्व विधायकों और राजनेताओं की बैठक अहम मानी जा रही है क्योंकि यहां से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के सदस्यों के साथ राजनीतिक प्रक्रिया और बातचीत शुरू हुई है.
इस प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मंत्री मोहम्मद दिलावर मीर, गुलाम हसन मीर, पीडीपी के अध्यक्ष जफर इकबाल, पूर्व एमएलसी व पूर्व विधायक जावेद हसन बेग, नूर मोहम्मद शिख, चौधरी कमर हुसैन और राजा मंजूर अहमद शामिल रहे. इन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों की सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक आकांक्षाओं के संबंध में उपराज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा.
शुजा उल हक