देश भले ही महंगाई से जूझ रहा हो या आम आदमी की प्लेट से दाल गायब हो जाए लेकिन नेताओं और मंत्रियों को शायद न कभी कोई फर्क पड़ा है न पड़ेगा. अफसोस तब होता है जब जनता के गंभीर सवालों पर मंत्रीजी के हल्के और बेसिरपैर के जवाब आते हैं.
दाल की कीमत पर दिया सतयुग का हवाला
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह अपने मंत्रालय की दो साल की उपलब्धियां गिनाते वक्त दाल की आसमान छूती कीमतों पर सवाल के जवाब में त्रेता और सतयुग में लेकर चले गए. उन्होंने कहा कि दालों पर बफर स्टॉक बनाने की पहले से जरूरत थी. हम अब बना रहे हैं. ऐसा पुराने समय त्रेता और सतयुग में होता था जब आपके कर्मों का फल उसी समय मिलता था. इस युग में आप जो काम करोगे वो आपके बेटे और आने वाली पीढ़ी को भोगना होगा.
आने वाली पीढ़ी के लिए काम कर रही है मोदी सरकार
किसानों की आत्महत्या के सवाल पर भी उन्होंने बातें घुमाई. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जो काम कर रही है उसका असर इतनी जल्दी नहीं दिखेगा. पिछली सरकार के कामों को ठीक करना है. आत्महत्या रोकने के लिए जो काम हमने किया वो आज प्रकट नहीं होंगे. जरूरी नहीं कि काम का परिणाम उसी समय दिखे. वो बाद में दिखाई देगा. इसे आने वाली पीढ़ी भोगेगी.
महंगाई और गरीबी से कोई राहत नहीं देता ऐसा बयान
कृषि मंत्री के ये बोल जाहिर है गरीबी और कर्ज में डूबे किसानों को राहत का कोई पैगाम नहीं देते. न ही इस बात की गंभीरता दिखाते हैं कि आम आदमी की प्लेट में कम होती दाल पर सरकार की नजर है. हैरान होने की जरूरत नहीं है, राधामोहन सिंह ऐसे बयानों के लिए जाने जाते रहे हैं.
किसानों की खुदकुशी पर भी दिया था बेतुका बयान
इससे पहले भी राधामोहन सिंह ने राज्यसभा में किसान आत्महत्या की वजह में कर्ज, फसल न होना या खराब हो जाना और सूखा के साथ ही पारिवारिक समस्याएं, बीमारी, नशे की लत, बेरोजगारी, संपत्ति विवाद, व्यावसायिक या रोजगार संबंधी समस्या, प्रेम प्रसंग के मामले, बांझपन एवं नपुंसकता, विवाह न होना या तलाक होना, दहेज समस्या, सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी को भी आत्महत्या से जोड़ दिया था.
यूपीए सरकार में शरद पवार ने दिया था विवादित बयान
राधा मोहन सिंह इकलौते मंत्री नहीं जो बार-बार विवादित बयान देकर चुप हो जाएं. उनसे पहले यूपीए सरकार के कृषि मंत्री शरद पवार ने चीनी की बढ़ती दर पर बयान दिया था कि वे ज्योतिषी नहीं हैं, जो यह बता सकें कि चीनी के दाम कब घटेंगे. उनके बयान पर राजनीति में उबाल आया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हस्तक्षेप करना पड़ा. उन्होंने कहा कि महंगाई कम करने के लिए केंद्र सरकार हर संभव कदम उठाएगी.
रीमा पाराशर