बुंदेलखंड में बकरियों और कुएं की सियासत

बुंदेलखंड पैकेज के मुआयने पर निकले योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के दौरे का असल मकसद चुनावी तैयारी को धार देना तो नहीं.

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बकरियों का जायजा लेते मोंटेक सिंह अहलूवालिया बकरियों का जायजा लेते मोंटेक सिंह अहलूवालिया

पीयूष बबेले

  • लखनऊ,
  • 10 दिसंबर 2011,
  • अपडेटेड 7:11 AM IST

जब ऑक्सफोर्ड के अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष की कुर्सी संभाली होगी तो उनके दिमाग में बेहतर पंचवर्षीय योजनाओं का खाका ही रहा होगा. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसी नीली पगड़ी पहनने वाले और पगड़ी के नीचे वैसी ही सोच रखने वाले शीर्ष योजनाकार को तब शायद ही अंदाजा रहा हो कि उनके काम का दायरा गांव में जाकर सूखे कुएं गिनने और बीमार बकरियों की नब्ज टटोलने तक फैल जाएगा. लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की उमंगें जिस कदर जोर मार रही हैं, उसमें किस सिपहसालार को कब, कौन-सी जिम्मेदारी मिल जाएगी, इसकी अटकल लगाना, ओखली में सिर देने से कम नहीं है.

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ताजा पहल में अहलूवालिया ने 7,266 करोड़ रु. के बुंदेलखंड पैकेज की जमीनी हकीकत जानने के बहाने झंसी और ललितपुर जिलों का दौरा किया. कांग्रेसी नेताओं से घिरे अहलूवालिया ने पैकेज की  नाकामी के लिए पूरी तरह प्रदेश सरकार को दोषी ठहराया. खासियत यह रही कि पैकेज को उत्तर प्रदेश में बुरी तरह नाकाम बताने के बावजूद अहलूवालिया ने इसकी मियाद एक साल और बढ़ा दी. वहीं पैकेज में शामिल मध्य प्रदेश के एक भी जिले में जाने की जहमत नहीं उठाई.

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अहलूवालिया से पहले भट्टा-पारसौल कांड में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पी.एल. पुनिया, बुंदेलखंड पैकेज में नेशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी (एनआरएए) के सीईओ जे.एस. सामरा और मनरेगा में धांधली को लेकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ऐसी ही भूमिकाएं निभा चुके हैं. इन सारी कवायदों के तौर-तरीके और वक्त इनमें छुपी चुनावी हसरतों की बानगी खुद-बखुद पेश करते हैं.

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उधर, जवाबी कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री मायावती ने 6 दिसंबर को आंबेडकर जयंती के मौके पर बुंदेलखंड के लिए 275 करोड़ रु. की नई पेय जल परियोजनाओं की घोषणा कर डाली.  बुंदेलखंड पैकेज में करीब 4,000 करोड़ रु. की रकम पहले ही पानी के लिए आवंटित है. पानी का मोल समझ्ने के लिए अहलूवालिया झंसी के उल्दन गांव पहुंच गए. इस दौरान केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री और स्थानीय सांसद प्रदीप जैन 'आदित्य' तथा मऊरानीपुर विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी बिहारी लाल आर्य सहित तमाम कांग्रेसी नेता उनके साथ थे.

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इस गांव में पैकेज के तहत 20 कुएं खोदे गए. लेकिन जब अहलूवालिया ने साबुत कुओं की संख्या पूछी तो सिर्फ एक ही आदमी परमानंद ने अपना हाथ खड़ा किया, बाकी 19 कुएं बनने के साथ ही धसक चुके हैं. विजयगढ़ में कुएं की गहराई इतनी कम थी कि उसमें कभी पानी ही नहीं आया. आला अफसरों का दौरा देख एक दिन पहले ही बाहर से पानी लाकर कुएं को भर दिया गया था. गुस्साए लोग कुएं में कूद गए और दिखाया कि वहां घुटनों तक ही पानी है. ललितपुर में पैकेज के तहत बांटी गर्ई 150 बकरियों के मर जाने के मामले में आयोग के निर्देश पर तीन पशु डॉक्टर निलंबित कर दिए गए.

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इलाके में जाकर हालात देखने के बाद अहलूवालिया ने कहा कि पैकेज को लागू करने में गंभीर खामियां पाई गई हैं. राज्य सरकार को इस बारे में ज्यादा गंभीर होना चाहिए. पैकेज अब मार्च 2011 के बजाय मार्च 2012 तक लागू माना जाएगा. पैकेज में अब बागबानी क्षेत्र को भी शामिल कर दिया गया है.

 जिस तरह से कांग्रेस के नेता अहलूवालिया के साथ मौजूद थे, ऐसे में अगर दौरे के सियासी अर्थ निकाले जाएं तो क्या हर्ज है? इस सवाल पर ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन ने कहा, ''बुंदेलखंड पैकेज को स्वीकृति योजना आयोग ने ही दी है. ऐसे में अगर आयोग के उपाध्यक्ष खुद जमीनी सच्‍चाई देखते हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है. जहां तक नेताओं की मौजूदगी का सवाल है तो ऐसा करना जन प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है.'' लेकिन अगर सियासी मकसद नहीं है, तो अहलूवालिया मध्य प्रदेश के जिलों में क्यों नहीं गए, इस सवाल पर जैन ने कहा, ''मीटिंग में दोनों प्रदेश के अधिकारियों को बुलाया गया था, लेकिन मध्य प्रदेश का प्रतिनिधत्व न के बराबर रहा.

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संभव है, इसी कारण आयोग ने वहां का दौरा न किया हो.'' हालांकि हमीरपुर से बसपा सांसद विजय बहादुर सिंह का मानना है कि दौरे में सच्चाई की जांच कम और कांग्रेस की राजनीति ज्यादा हुई है. बेहतर होता, आयोग की मंशा बुंदेलखंड के विकास की होती. कांग्रेस के आरोपों में इसलिए दम नहीं है क्योंकि प्रदेश सरकार अपने स्तर पर भी लगातार बुंदेलखंड के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं लाती रही है.

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वैसे बुंदेले अब यही सोच रहे हैं कि  पैकेज की खामियों के नाम पर सियासी खिचड़ी ही पकती रहेगी या भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुके बुंदेलखंड पैकेज की मरम्मत करने के लिए कुछ उपाय किए जाएंगे

                                 बुंदेलखंड पैकेज में बंटा पैसा

पैकेज की कुल रकम                                                 7,266.00 करोड़ रु.

आवंटित की गई अतिरिक्त रकम                                 200.00 करोड़ रु.

जुलाई तक उत्तर प्रदेश को जारी रकम                       860.97 करोड़ रु.

जुलाई तक मध्य प्रदेश को जारी रकम                   1,060.56  करोड़ रु.

जुलाई तक उत्तर प्रदेश में खर्च रकम                         214.21  करोड़ रु.

जुलाई तक मध्य प्रदेश  में खर्च रकम                        416.00  करोड़ रु.

दिसंबर में मुख्यमंत्री की घोषित योजना की रकम    275.00  करोड़ रु.

-साथ में संतोष पाठक, झांसी में

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