राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने केन्द्र सरकार से सिफारिश की है कि सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए बनी क्रीमीलेयर की सीमा दोगुनी करके इसे 9 लाख रुपये वार्षिक आय कर दिया जाए.
सरकारी नौकरियों में क्रीमीलेयर की वर्तमान सीमा में फिलहाल साढे चार लाख रुपये वार्षिक आय वाले ओबीसी सदस्य आते हैं. अगर आयोग की सिफारिशों को केन्द्र सरकार हरी झंडी दिखा देती है तो देश में ओबीसी के लिये क्रीमीलेयर की सामान्य सीमा नौ लाख रुपये सालाना और देश के चार महानगरों के लिए यह सीमा 9 लाख रुपये सालाना से भी अधिक हो जाएगी. अभी देश के महानगरों और अन्य क्षेत्रों के लिये यह सीमा एक समान (साढ़े चार लाख रुपये) है.
आयोग के सदस्य डाक्टर शकील अंसारी ने कहा, ‘आयोग ने कई सर्वेक्षणों के बाद ओबीसी क्रीमीलेयर की सीमा में बढ़ोत्तरी करने की सिफारिश की है. उम्मीद है कि जल्द ही सरकार विचार विमर्श के बाद इन सिफारिशें को मंजूरी देगी.’ अंसारी ने कहा कि हर तीन साल बाद क्रीमीलेयर की सीमा की समीक्षा की जाती है. वर्तमान क्रीमीलेयर में ओबीसी के बड़े तबके को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है, इसलिए ये सिफारिशें की गई हैं.
आयोग के सदस्य अंसारी ने कहा कि इन सिफारिशों में पहली बार क्रीमीलेयर को दो भागों में बांटा है जिसके तहत चार महानगरों के लिए सीमा को बाकी पूरे देश से अलग किया गया है. सामान्य सीमा नौ लाख रुपये सालाना आय रखने जबकि चार महानगरों के लिए यह राशि और बढाने की सिफारिश की गई है.
अंसारी ने क्रीमीलेयर में बढोत्तरी को जायज ठहराते हुए कहा कि महंगाई दर बढी है, सरकारी नौकरियों में वेतनमान भी बढ़ा है, किसानों का समर्थन मूल्य भी बढ़ा है, ऐसे में वर्तमान सीमा (साढे चार लाख रुपये) कम पड़ती है. उन्होंने हालांकि कहा कि अगर सरकार चाहती है तो इसमें संशोधन किया जा सकता है. अभी कई सरकारी एजेंसियां इन सिफारिशों की समीक्षा करेंगी और उसके बाद ही इन्हें कैबिनेट मंजूरी देगी.
भाषा