कोरोना महामारी अपने साथ कई तरह के रहस्य भी लाई है. इन्हीं तमाम रहस्यों में से एक ये भी है कि भारत में किसी और राज्य की अपेक्षा महाराष्ट्र में ज्यादा लोगों की मौत क्यों हो रही है.
महाराष्ट्र में संक्रमण की दर भी काफी ज्यादा रही जिसके कई कारण हैं. महामारी के शुरुआती दिनों में यहां अंतरराष्ट्रीय और घरेलू आवाजाही काफी ज्यादा रहने संक्रमण तेज फैला. दूसरे, सघन आबादी में रह रहे निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए आइसोलेशन बहुत मुश्किल रहा. लेकिन ये सवाल उठता है कि महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां पर अपेक्षाकृत बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, फिर भी यहां कोरोना की मृत्यु दर इतनी ज्यादा क्यों है?
जबसे महामारी शुरू हुई है तभी से भारत में सबसे जयादा केस मृत्यु दर (CFR) गुजरात में थी, लेकिन अब यह तस्वीर बदल सकती है. शुक्रवार को, महामारी की शुरुआत के बाद से गुजरात में सबसे कम केस मृत्यु दर दर्ज की गई और महाराष्ट्र संभवतः कुछ दिनों के भीतर गुजरात से आगे निकल सकता है.
राज्य में मौतों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है और अब हर दिन 300-400 के बीच मौतें हो रहीं हैं. भारत में रोज कोरोना से जितनी मौतें हो रही हैं, उसका एक तिहाई अकेले महाराष्ट्र में हो रही हैं.
बड़ी समस्या ये है कि ऐसा महाराष्ट्र के सिर्फ बड़े शहरों में नहीं हो रहा है. भारत में सबसे ज्यादा केस मृत्यु दर (CFR) वाले 10 जिलों में से छह महाराष्ट्र के हैं. इनमें अकोला और जलगांव जैसे कम विकसित जिले भी शामिल हैं. इस सूची में पुणे, मुंबई और ठाणे के साथ नासिक, सांगली और नागपुर जिले भी शामिल हैं.
ये समस्या पूरे महाराष्ट्र की है. राज्य के सिर्फ सात जिले ऐसे हैं जिनकी मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से कम है. महाराष्ट्र के लिए उच्च मृत्यु दर से निपट पाना आसान नहीं है और ये समस्या पूरे राज्य में है.
सवाल ये भी है कि मृत्यु दर के मामले में महाराष्ट्र अपेक्षाकृत ज्यादा संघर्ष क्यों कर रहा है, इसका अभी तक ठोस जवाब नहीं मिल सका है.
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