भारत की संसद सोमवार को एक ऐतिहासिक मौके की गवाह बनी. सोमवार को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में 250वें सत्र की शुरुआत हुई. 67 सालों के इतिहास में राज्यसभा ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं. इस मौके पर राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने लोकसभा के 67 सालों के सफर पर एक पुस्तक 'राज्यसभा: द जर्नी सिंस 1952' जारी की है. इसमें आंकड़ों के माध्यम से राज्यसभा की कामयाबियों को दर्शाया गया है. राज्यसभा का गठन 1952 में हुआ था, संसद के इस उच्च सदन में 245 सदस्य होते हैं.
आंकडों के आईने में राज्यसभा
राज्यसभा से जारी पुस्तक के मुताबिक 67 सालों में राज्यसभा ने 3817 बिल पास किए हैं. इस दौरान राज्यसभा की 5466 बैठकें हुई. राज्यसभा में 120 बिलों में संशोधन किया गया और इसने संसद के निम्न सदन लोकसभा द्वारा पास 5 बिलों को खारिज कर दिया.
अबतक 2282 सदस्य
1982 से राज्यसभा में अबतक 2,282 शख्सियतें राज्यसभा के सदस्य बन चुके हैं. इनमें 208 महिलाएं हैं और 137 मनोनीत सदस्य हैं. राज्यसभा में महिलाओं की संख्या दोगुनी होने में 62 साल लग गए. 1952 में राज्यसभा में महिलाओं की संख्या 15 थी जो कि 2014 में 31 हुई.
जब राज्यसभा सभापति ने वोट डाला
संसद के उच्च सदन में सिर्फ एक बार ऐसा हुआ जब राज्यसभा के सभापति ने किसी विधेयक पर अपना वोट डाला था. 1991 में जब आपराधिक प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अध्यादेश पर वोटिंग के दौरान विपक्ष की ओर से 39 सांसदों ने वोट किए और सत्तापक्ष के सांसदों ने भी 39 वोट दिए. इस स्थिति में सभापति ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
राष्ट्रपति शासन को अनुमोदन
67 सालों के इतिहास में राज्यसभा ने सिर्फ दो बार राष्ट्रपति शासन का अनुमोदन किया है. 1977 में राज्यसभा ने तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दी थी, जबकि 1991 में हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी दी गई थी. इस दौरान लोकसभा विघटित अवस्था में थी.
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