ये है 175 साल पुराना स्कूल, गांधी टोपी पहनकर पढ़ते हैं छात्र

जानें- उस स्कूल के बारे में जहां हर रोज छात्र और शिक्षक पहनकर आते हैं गांधी टोपी

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प्रतीकात्मक फोटो  (फोटो: विक्रम शर्मा) प्रतीकात्मक फोटो (फोटो: विक्रम शर्मा)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 4:29 PM IST

  • 175 साल पुराने स्कूल में गांधी टोपी में जाते हैं बच्चे
  • 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की टोपी समेत अनेक ऐसी चीजें हैं जो दुर्लभ और ऐतिहासिक हो गई हैं. वहीं हम आपको ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं जहां के बच्चे आज भी गांधी टोपी पहनकर स्कूल जाते हैं. इतना ही नहीं ये बच्चे बापू के प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजाराम' नियमित रूप से प्रार्थना के समय गाते भी हैं.

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आपको बता दें, ये स्कूल मगर मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में स्थित है. इस गांव के शासकीय माध्यमिक बालक शाला का नजारा अन्य स्कूलों से जुदा होता है, क्योंकि यहां पढ़ने  वाले पहली से 8वीं तक के  हर बच्चे के सिर पर गांधी टोपी जो नजर आती है और ये टोपी तब तक रहती है जब तक वह स्कूल परिसर में रहते हैं. बता दें,  2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है.

स्कूल के एक शिक्षक संदीप शर्मा ने बताया कि  "जब यह प्रथा शुरू हुई तो हमें ठीक-ठीक पता नहीं है. लेकिन स्कूल में एक दीवार पर एक तारीख अंकित है जो कहती है कि 3 अक्टूबर, 1945 को महात्मा गांधी स्कूल पहुंचे थे. इसमें कहा गया है, ‘सत्य और अहिंसा के संपूर्ण पालन की भरसक कोशिश करूंगा, बापू का आशीर्वाद.’

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उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों को याद है कि गांधी ने असहयोग आंदोलन के दौरान गांव का दौरा किया था और तब से, ग्रामीणों ने टोपी पहनना शुरू कर दिया, और तभी से स्कूल भी इसी परंपरा का पालन कर रहे हैं.

शर्मा कहते हैं, "मैंने यह टोपी तब भी पहनी थी जब मैं इस स्कूल में पढ़ रहा था और आज मैं यहां एक शिक्षक हूं और सिर पर टोपी पहनता हूं. स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि गांधी टोपी पहनने से बच्चों में विश्वास, देशभक्ति और सही मूल्यों का विकास होता है.

बता दें, रिकॉर्ड के अनुसार, स्कूल 1844 में शुरू किया गया था. लगभग 175 साल पुराने इस स्कूल में कभी उद्योग कक्ष भी हुआ करता था, जिसमें विद्यालय के उपयोग में आने वाली सामग्री उदाहरण के तौर पर टाट, पट्टी, टोपी आदि बनाई जाती थी. इस टोपी को छात्र लगाते थे और बैठने के उपयोग में आने वाली पट्टी भी बनती थी. लेकिन अब तो चरखा आदि के अवशेष भी नहीं बचे हैं.

नरसिंहपुर में यह स्कूल लोकप्रिय है क्योंकि बच्चे और स्थानीय लोग गांधी टोपी पहनने में गर्व महसूस करते हैं. देश के बाकी लोगों ने भले ही टोपी पहनना छोड़ दिया हो लेकिन यह स्कूल परंपरा के साथ जारी है.

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