नकली इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड बनाने वाले हाई-टेक गिरोह का भंडाफोड़

इन नकली इंटरनेशनल कार्ड के जरिए उन्होंने विदेशी बैंकों से इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन फैसिलिटी के जरिए 30 लाख रुपये से अधिक की राशि लूटी.

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हाई-टेक गिरोह में 2 IT  इंजीनियर भी शामिल हैं हाई-टेक गिरोह में 2 IT इंजीनियर भी शामिल हैं

आशीष पांडेय

  • हैदराबाद,
  • 18 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:48 PM IST

राचाकोंडा की स्पेशल ऑपरेशन टीम (एसओटी) के खुफिया अधिकारियों ने अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड की नकल तैयार करने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है. SOT ने पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जिसमें दो आईटी इंजीनियर भी शामिल हैं.

यह गिरोह अमेरिका, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया जैसे देशों के क्रेडिट कार्ड की नकल तैयार करता था. पुलिस ने उनके पास से 16 POS मशीनें, मैग्नेटिक कार्ड रीडर और नकदी बरामद किया है.

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गिरफ्तार किए गए संदिग्धों की पहचान तमिलनाडु के रहने वाले 30 वर्षीय अय्यप्पन, अंध्र प्रदेश के ओंगोल के रहने वाले 32 वर्षीय पी राघवेंद्र, हैदराबाद के कोठापेट के रहने वाले 25 वर्षीय पाल्लेचेर्ला वाम्शी कृष्ण, विशाखापट्टनम के रहने वाले 43 वर्षीय चल्ला भास्कर राव और रांगेरेड्डी जिले में वसंथलीपुरम के रहने वाले 45 वर्षीय सिधुला भास्कर के रूप में हुई है. संदिग्धों में मुख्य आरोपी अय्यप्पम और राघवेंद्र IT इंजीनियर हैं और प्रौद्योगिकी में सिद्धहस्त हैं.

हाई-टेक लुटेरे

राचाकोंडा के पुलिस कमिश्नर महेश एम भगत ने आजतक को गिरोह के काम करने का तरीका बताते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी में महारत यह गैंग सिर्फ विदेशियों को निशाना बनाता था ताकि उनके खिलाफ शिकायत न हो सके और वे गिरफ्तारी से बचे रहें. लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया. एक POS मालिक और कारोबारियों ने युवकों की संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए शिकायत दर्ज कराई. शिकायत पर SOT सक्रिय हुई और जब उसने संदिग्धों की धर-पकड़ की तो वे इस हाई-टेक गैंग की कारगुजारियां देख हैरान रह गए.

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महेश भगत ने बताया, "हमारे सामने इस तरह बिना पिन नंबर वाले नकली अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड बनाने वाले गिरोह का सामना पहली बार हुआ. दोनों मुख्य आरोपी उच्च शिक्षा प्राप्त और प्रौद्योगिकी में सिद्धहस्त हैं. एक आरोपी राघवेंद्र तो दिल्ली की एक पत्रिका में लेख भी लिखता रहा है. वे डार्कनेट कंपनी से क्रेडिट कार्ड के आंकड़े खरीदते थे, जिसका उपयोग कर वे नकली क्रेडिट कार्ड बनाते थे."

दोनों IT इंजीनियर थे इस गिरोह के मास्टरमाइंड

कमीशन एजेंट का काम करने वाला अय्यप्पन ने इंस्टैंट मैसेजिंग एप ICQ पर सक्रिय था, जहां उसने विभिन्न ग्रुप्स जॉइन कर क्रेडिट कार्ड क्लोनिंग की जानकारी हासिल की. अय्यप्पन ने ही ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए क्लोनिंग डिवाइस (MSR606) भी खरीदा. वह अमेरिका, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया से विभिन्न इंटरनेट स्रोतों के जरिए अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड की जानकारियां खरीदता था, ओपन सोर्स के जरिए जुटाता था. ICQ एप के जरिए भी वह इन अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड का जानकारियां जुटाता था और शेयर भी करता था.

जुटाई गई अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड की जानकारियों को वह बिन चेकर एप्लिकेशन के जरिए जांचता था, जहां से उसे अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड की बिन, ब्रांड, बैंक, कार्ड टाइप और देश के नाम का पता चल जाता था. इन जानकारियों की पुष्टि के बाद उन्हें वह व्हाट्सएप के जरिए राघवेंद्र को भेज देता था. राघवेंद्र इन जानकारियों को सादे मैग्नेटिक कार्ड पर दर्ज कर देता था. वे MSR 606 मैग्नेटिक कार्ड राइटर का इस्तेमाल कर विशेष तौर पर बिग बाजार, रिलायंस डिजिटल, शॉपर्स स्टॉप के प्रमोशनल कार्ड की नकल तैयार करते थे.

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आरोपी मैग्नेटिक कार्ड रीडर और सॉफ्टवेयर की मदद से प्रमोशनल MICR कार्ड पर इन चुराए गए कार्ड डिटेल्स को दर्ज कर देते थे. इन नकली इंटरनेशनल कार्ड के जरिए उन्होंने विदेशी बैंकों से इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन फैसिलिटी के जरिए 30 लाख रुपये से अधिक की राशि लूटी.

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