10वीं ड्रॉप आउट थे करुणानिधि, फिल्मी कहानियों से बदल दी तमिल राजनीति

दक्ष‍िण की राजनीति के पितामह करुणानिधि का मंगलवार को निधन हो गया. उन्होंने फिल्मों में लेखन के लिए अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी.

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करुणानिधि करुणानिधि

पुनीत उपाध्याय

  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करूणानिधि का 94 साल की उम्र में निधन हो गया है. पिछले कुछ दिनों से वे बीमार थे और चेन्नई के कावेरी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. वे दक्षिण की राजनीति के सबसे बड़े नेताओं में से एक थे. करुणानिधि ने द्रविण राजनीति के प्रचार-प्रसार के लिए फिल्म और नाटकों का भी सहारा लिया.

रिपोर्ट्स के मुताबिक वे 14 साल की उम्र से राजनीति में थे. करुणानिधि तमिलनाडु में द्रविण राजनीति से प्रभावित थे. उन्होंने कई नाटक और फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी. 

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KARUNANIDHI का निधन, नहीं रहा दक्षिण की राजनीति का पितामह

इसके अलावा उन्होंने साउथ सिनेमा को कई सफल एक्टर भी दिए. तमिल सिनेमा के बेहतरीन कलाकारों में शुमार शिवाजी गणेशन और एस एस राजेंद्रन उन कलाकारों में हैं जिन्हें करुणानिधि ने ही लॉन्च किया था. खुद करुणानिधि 10वीं ड्रॉप आउट थे. उन्होंने अपनी कलम की धार से पूरी दक्षिण की राजनीति का समीकरण बदल दिया.

राजनीति में सफल करियर के साथ वो राइटिंग में भी काफी सक्रिय थे. मगर उनकी राह इतनी आसान नहीं रही. जैसे-जैसे उनकी फिल्में और प्ले पॉपुलर होने लगे वैसे-वैसे उन्हें सेंसरशिप का भी सामना करना पड़ा. 1950 के दशक में उनके दो प्ले बैन कर दिए गए थे.

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करुणानिधि की पराशक्ति तमिल की महत्वपूर्ण फिल्म थी. इसकी कहानी करुणानिधि ने लिखी थी. राजनीतिक विवादों की वजह से इसे बैन कर दिया गया था. पटकथा लेखक के तौर पर करूणानिधि ने जो दूसरी महत्वपूर्ण तमिल फिल्में लिखीं उनमें नल्ला थाम्बी (1949) वेल्लईकरी (1949), राजकुमारी (1947) और मंथिरी कुमारी (1950) जैसी फिल्में शामिल हैं.

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