दर्शक इस इंडस्ट्री को बदल रहे हैं: इरफान खान

एक्टर इरफान खान की 'बैक टू बैक' दो हफ्तों में दो फिल्में रिलीज हो रही हैं. पिछले हफ्ते 'तलवार' और इस बार 'जज्बा' के साथ एक बार फिर से इरफान रुपहले परदे पर दिखेंगे. इरफान के साथ खास बातचीत के पेश है कुछ मुख्य अंश.

Advertisement
इरफान खान इरफान खान

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 अक्टूबर 2015,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST

एक्टर इरफान खान की 'बैक टू बैक' दो हफ्तों में दो फिल्में रिलीज हो रही हैं. पिछले हफ्ते 'तलवार' और इस बार 'जज्बा' के साथ एक बार फिर से इरफान रुपहले परदे पर दिखेंगे. इरफान के साथ खास बातचीत के पेश है कुछ मुख्य अंश:

सबसे पहले 'तलवार' की अच्छी शुरुआत के लिए बधाई.
बहुत शुक्रिया.

'तलवार' का अनुभव कैसा रहा?
वह फिल्म पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है. सबसे अच्छी बात है की भारतीय दर्शक उस फिल्म को देख रहे हैं और यह फिल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर भी कर रही है.

Advertisement

'जज्बा' में आपके संवाद काफी दमदार हैं ?
मुझे लगता है की संजय गुप्ता ने मेरे ऊपर ही लाइन लिखी है.

गानो के बीच में भी आपके डायलाग हैं?
जी हां, मैं गाना गा नहीं पाता तो उसके बीच में घुसने का मेरा यही तरीका है. गाने का हिस्सा बन जाने में मुझे मजा आ रहा है.

आपकी कम अंतराल के अंदर ही दो फिल्में रिलीज हो रही हैं?
जी हां ये इंडस्ट्री का बदलता हुआ स्वरुप है की हर तरह का मनोरंजन दर्शकों को चाहिए. तो फिल्में उसी तरह से रिलीज हो रही हैं. छुट्टियों में विभिन्नता भी जरूर है. दर्शक इस इंडस्ट्री को बदल रहे हैं. अलग-अलग तरह की कहानियां बन रही हैं.

फिल्म में आप छानबीन करते नजर आ रहे हैं?
इसमें दर्शक छानबीन करेंगे (हंसते हुए) कि‍ उन्हें यह फिल्म पसंद आएगी या नहीं.

Advertisement

साल 2015 आपके लिए काफी व्यस्तता वाला साल है?
जी पहले 'पीकू', 'जुरासिक वर्ल्ड' और अभी 'तलवार' और 'जज्बा' .

कोई सफलता का मंत्र प्रयोग में ला रहे हैं?
जी सफलता आपके हाथ में नहीं होती, कुदरत आपको लेकर एक अलग चित्र बनाती है. मैं जब इंडस्ट्री में आया था तो कोई भी चाह नहीं रखी थी, बस काम कर रहा हूं और पूरी तरह से कर्मठ हूं.

सफलता से डर लगता है?
नहीं, बिल्कुल नहीं, सफलता से अगर गलतफहमी हो जाए फिर गड़बड़ होती है फिर आप किस्सा बन जाते हैं. तो
सफलता मिलने पर भी काम करते रहना चाहिए. खुद की 'औकात' का पता होना चाहिए.

खुद को खुशकिस्मत मानते हैं?
हां, जिंदगी ने मुझे वक्त से पहले कुछ नहीं दिया है. हमेशा टेस्ट करने के बाद ही दिया है. तो मैं खुद को काफी खुशकिस्मत मानता हूं.

आपके हिसाब से इंडस्ट्री में कौन सही मायने में एक्टर हैं?
अभी तो इंडस्ट्री में बहुत सारा टैलेंट है 'तलवार' में गजराज हैं, वहीं 'आंखों देखी' वाले संजय मिश्रा भी उम्दा कलाकार हैं.

क्या आप डायरेक्शन में भी हाथ आजमांएंगे?
नहीं, अगर कोई कहानी आएगी, तो देखेंगे.

आपके बारे में बाकी स्टार्स की तरह कोई कॉन्ट्रोवर्सी सुनने में नहीं आई?
जी कभी नहीं. मीडिया जब क्लास लेने लगेगी तो दिक्कत होगी. अच्छा है अभी तक नहीं फंसा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement