सांसदों के वेतन में तीन गुना वृद्धि करते हुए इसे 16 हजार से बढ़ाकर 50 हजार करने वाले और दो महत्वपूर्ण भत्तों की राशि 45-45 हजार तक करने वाले बहुप्रतीक्षित और बहुप्रचारित विधेयक को शुक्रवार को लोकसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया.
‘संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन (संशोधन) विधेयक’ पर हुई चर्चा में करीब दस सदस्यों ने भाग लिया और वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की अगुवाई में अधिकतर सदस्यों ने सरकार से भविष्य में उनके वेतन वृद्धि का फैसला करने के लिए एक स्वतंत्र ईकाई गठित किए जाने की अपील की.
उनके विचारों से सहमति जताते हुए विधेयक पेश करने वाले संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा, ‘सदस्यों के वेतन तथा पेंशन में संशोधन के लिए एक तंत्र की स्थापना किए जाने की जरूरत है. लेकिन इसके लिए व्यापक विचार विमर्श की जरूरत है और इसे एक संसदीय समिति को भेजना होगा.’ विधेयक में सदस्यों के दैनिक भत्ते को एक हजार से बढ़ाकर दो हजार रुपये तथा निर्वाचन क्षेत्र और कार्यालय व्यय भत्ते दोनों को बढ़ाकर 20 हजार से 45-45 हजार रुपये कर दिया गया है. {mospagebreak}
इसमें पूर्व सदस्यों की पेंशन को आठ रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये करने का भी प्रावधान है जो पिछले वर्ष 18 मई को मौजूदा लोकसभा के गठन से प्रभावी होगा. कांग्रेस सदस्य चरणदास महंत की अध्यक्षता वाली संसद की सांसदों के वेतन तथा भत्तों संबंधी एक संयुक्त समिति ने सांसदों के वेतन को मौजूदा 16 हजार रुपये से बढ़ाकर 80001 रुपये करने की सिफारिश की थी जो भारत सरकार के सचिव के वेतन से एक रुपया अधिक है.
बंसल ने इस विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कहा, ‘हम जनसेवक नहीं हैं. हमें अपनी तुलना सरकारी कर्मचारियों से करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. हमें उन दिनों में दैनिक भत्ता नहीं लेना चाहिए जिस दिन संसद में कामकाज नहीं होता है.’ उन्होंने कहा, ‘जनता के बीच राजनेताओं को लेकर निराशा बढ़ रही है और इसलिए हमें सांसदों के वेतन भत्तों के संबंध में कोई तंत्र स्थापित करने के मुद्दे को व्यापक विचार विमर्श के लिए समिति में लेकर जाना होगा.’
विधेयक पर सदन में चर्चा की शुरूआत होने पर वाम दलों ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि सांसदों को ऐसे समय में वेतन वृद्धि की मांग नहीं करनी चाहिए जब लोग महंगाई का सामना कर रहे हैं. माकपा सदस्य राम चंद्र डोम ने कहा कि विशेष तंत्र की स्थापना किए जाने तक विधेयक पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. बाद में विधेयक का विरोध करते हुए वाम दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया. {mospagebreak}
पूर्व सदस्यों की पेंशन को 20 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये करने संबंधी राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा पेश संशोधन को सदन ने नामंजूर कर दिया. इससे पूर्व, विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए आडवाणी ने इस बात पर हैरानी जतायी कि जब कैबिनेट ने 2006 में ही मंजूरी दे दी थी तो सांसदों के वेतन का निर्धारण करने संबंधी विशेष तंत्र की स्थापना में चार साल की देरी क्यों हुई है.
इस मामले में और देर नहीं करने की सरकार को सलाह देते हुए आडवाणी ने कहा, ‘इसे (विशेष तंत्र) जल्द स्थापित किया जाना चाहिए और यह तंत्र पारदर्शी होना चाहिए. यह कोई पेचीदा मुद्दा नहीं है तथा सरकार को मानसून सत्र की समाप्ति से पूर्व इसकी घोषणा करनी चाहिए.’ वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि कई बार सांसद अपना वेतन बढ़ाने की दुहाई दे चुके हैं और बेहतर वेतन वृद्धि की इस प्रकार खुली मांग करना उनके हिसाब से ‘सही स्थिति’ नहीं है.
विधेयक पेश करते हुए बंसल ने स्वीकार किया कि विशेष पैनल गठित करने में ‘देरी हुई है’ और इसे सदन के सभी पक्षों से विचार विमर्श के जरिए ‘बेहद जल्द’ किया जाएगा. चर्चा में हिस्सा लेते हुए राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह तथा तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने वाम दलों के वाकआउट को ‘दोहरे मापदंड’ करार दिया और कहा कि विशेष तंत्र स्थापित होने तक इन सदस्यों को बढ़ा हुआ वेतन नहीं लेना चाहिए. चर्चा के बाद सदन ने ध्वनिमत से इस विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी.
भाषा