सांसदों द्वारा अपने वेतन और भत्तों में स्वयं वृद्धि करने से सुखिर्यों में आया विधेयक अंतत: लोकसभा में पेश किया गया, जिसके तहत सांसदों का वेतन अब तीन गुने से भी ज्यादा बढाकर 50 हजार रुपये महीना और उनके दिल्ली एवं निर्वाचन क्षेत्र के कार्यालयों के भत्ते 20-20 हजार रुपये से बढाकर 45-45 हजार रुपये करने का प्रावधान है.
संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने यह विधेयक पेश किया. विधेयक में सांसदों का वेतन 16 हजार रुपये से बढाकर 50 हजार रूपये महीना करने का प्रावधान है. इसमें सडक मील भत्ता 13 रूपये से बढाकर 15 रूपये प्रति किलोमीटर, पूर्व सांसदों की पेंशन आठ हजार रूपये से बढाकर 20 हजार रूपये करने, गाडी खरीदने के लिए अग्रिम राशि को एक लाख रूपये से बढाकर चार लाख रूपये करने का भी प्रस्ताव है.
विधेयक के प्रस्ताव में सांसदों का मूल वेतन 16 हजार से 50 हजार रूपये करने का जिक्र है. सांसदों के कार्यालय और चुनाव क्षेत्र में भत्तों को भी बीस बीस हजार रूपये से बढाकर 40-40 हजार रूपये करने का प्रावधान था लेकिन कुछ सांसदों के इस बढोतरी से खुश नहीं होने पर कैबिनेट ने नये सिरे से संशोधन प्रस्ताव को मंजूर करते हुए भत्तों को 40-40 हजार रूपये की बजाय 45-45 हजार रूपये महीना करने का निर्णय किया. {mospagebreak}
इस मुद्दे पर पिछले सप्ताह राजद, सपा और जद यू सदस्यों ने जमकर हंगामा किया. ये लोग अपना वेतन बढाकर कम से कम 80001 रूपये करने की मांग की ताकि उन्हें कैबिनेट सचिव से अधिक वेतन मिल सके. राजद प्रमुख लालू प्रसाद, सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे ने वेतन बढोतरी के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही का स्वांग भी किया था, जिसकी काफी आलोचना हुई.
सांसदों के वेतन के मुद्दे पर सरकार को समझा पाने में विफल रहे विपक्ष और अन्य पार्टियों के सदस्यों ने पिछले सप्ताह सदन की बैठक नहीं चलने दी. बाद में करीब 70 सांसदों ने संसद सत्र का स्वांग किया. भाजपा के कुछ सदस्य भी इसमें शामिल हुए. लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा आज सुबह बुलायी सर्वदलीय बैठक में इस मसले पर राजनीतिक दलों के नेताओं ने अफसोस भी व्यक्त किया.
भाषा