पितृत्व मामला: कोर्ट में एनडी तिवारी की याचिका खारिज

आंध्र प्रदेश के पूर्व राज्यपाल नारायण दत्त तिवारी को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज उनके आग्रह को खारिज कर दिया और उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई का फैसला किया जिसने खुद को तिवारी का बेटा बताया है.

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aajtak.in

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  • 17 मार्च 2010,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST

आंध्र प्रदेश के पूर्व राज्यपाल नारायण दत्त तिवारी को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज उनके आग्रह को खारिज कर दिया और उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई का फैसला किया जिसने खुद को तिवारी का बेटा बताया है.

न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की अध्यक्षता वाली पीठ ने 84 वर्षीय कांग्रेस नेता के उस आग्रह को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने मामले को इस आधार पर खारिज करने की अपील की थी कि याचिकाकर्ता ने पैदा होने के 31 साल बाद याचिका दायर की.

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अदालत ने एकल पीठ के उस फैसले को दरकिनार कर दिया जिसमें कानून स्नातक रोहित शेखर द्वारा दायर पितृत्व वाद को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि यह स्वीकार योग्य नहीं है.

पीठ ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को निर्देश दिया कि वे सात अप्रैल को एकल न्यायाधीश के समक्ष पेश हों जब मामले में गुण दोष के आधार पर सुनवाई होगी.

तिवारी को उस समय आंध्र प्रदेश के राज्यपाल का पद छोड़ना पड़ा था जब उन्हें एक स्टिंग आपरेशन में कथित तौर पर तीन महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया.
 अदालत ने 11 मार्च को वाद में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. तिवारी ने शेखर की याचिका पर सुनवाई का जोरदार ढंग से विरोध किया. शेखर ने अदालत से तिवारी को उसका जैविक पिता घोषित करने का निर्देश देने का आग्रह किया था. उसने अपनी याचिका खारिज किए जाने के एकल पीठ के फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी थी.

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न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा ने गत तीन नवम्बर को फैसला दिया था कि शेखर की याचिका स्वीकार योग्य नहीं. अदालत ने कहा था कि उसके पास मामले की सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार नहीं है क्योंकि आंध्र प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल हैदराबाद में थे और उनके खिलाफ सिर्फ उसी शहर में वाद दायर किया जा सकता था .

शेखर ने अपने वाद में दावा किया था कि वह अपनी मां उज्ज्वला शर्मा और तिवारी के बीच संबंधों के परिणामस्वरूप पैदा हुआ.

नवम्बर 2008 में अदालत ने तिवारी को इस मामले में जवाब देने का निर्देश दिया था. जवाब में तिवारी ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा था कि वाद उन्हें बदनाम करने के लिए दायर किया गया है.

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