टोक्यो पैरालंपिक में पैरा एथलीटों ने कमाल कर दिखाया है. मरियप्पन थंगावेलु ने सिल्वर मेडल जीता, जबकि शरद कुमार को कांस्य मिला. पुरुषों की ऊंची कूद टी63 स्पर्धा में मरियप्पन ने 1.86 मीटर, जबकि शरद ने 1.83 मीटर की कूद लगाई. अमेरिका के सैम ग्रेव गोल्ड मेडल (1.88) जीतने में कामयाब रहे. टोक्यो पैरालंपिक में भारत के पदकों की संख्या 10 तक पहुंच गई.
टोक्यो खेलों की ऊंची कूद में भारत के अब तीन पदक हो गए. इससे पहले भारत के निषाद कुमार ने रविवार को पुरुषों की ऊंची कूद टी47 स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड के साथ रजत पदक जीता था.
स्पर्धा में हिस्सा ले रहे तीसरे भारत और रियो 2016 पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता वरुण सिंह भाटी 9 प्रतिभागियों में 7वें स्थान पर रहे, वह 1.77 मीटर की कूद लगाने में नाकाम रहे.
टी42 वर्ग में उन खिलाड़ियों को रखा जाता है, जिनके पैर में समस्या है. पैर की लंबाई में अंतर है, मांसपेशियों की ताकत और पैर की मूवमेंट में समस्या है. इस वर्ग में खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा पेश करते हैं.
इसके साथ ही मरियप्पन थंगावेलु ने पैरालंपिक खेलों में लगातार दूसरा पदक जीतने का कारनामा किया है. उन्होंने इससे पहले रियो 2016 में गोल्ड पर कब्जा किया था, लेकिन इस बार उन्हें सिल्वर से संतोष करना पड़ा. भाला फेंक पैरा एथलीट देवेंद्र झाझरिया के नाम पैरालंपिक में दो स्वर्ण (2004, 2016) पदक दर्ज हैं.
मौजूदा पैरालंपिक में भारत ने अब तक 10 पदक जीत लिये हैं. भारत के खाते में अब 2 स्वर्ण, 5 रजत और 3 कांस्य पदक हैं. यह पैरालंपिक के इतिहास में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. रियो पैरालंपिक (2016) में भारत ने 2 स्वर्ण सहित 4 पदक जीते थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी
मरियप्पन और शरद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट किया - ऊंची और ऊंची उड़ान! मरियप्पन थंगावेलु निरंतरता और उत्कृष्टता के पर्याय हैं, रजत पदक जीतने पर उन्हें बधाई. भारत को उनके इस कारनामे पर गर्व है.
अदम्य! शरद कुमार ने कांस्य पदक जीतकर हर भारतीय के चेहरे पर मुस्कान ला दी है. उनकी जीवन यात्रा कई लोगों को प्रेरित करेगी. उन्हें बधाई.
5 साल की उम्र में बस के नीचे कुचले जाने के बाद तमिलनाडु के मरियप्पन को दाहिना पैर खराब हो गया था. उनके पिता ने परिवार को छोड़ दिया, जिसके बाद मां ने उन्हें अकेले पाला. उनकी मां मजदूरी करती थी और बाद में सब्जी बेचने लगी. मरियप्पन का बचपन गरीबी और अभावों में बीता.
वहीं, पटना के रहने वाले कुमार को दो साल की उम्र में पोलियो की नकली खुराक लेने के बाद बाएं पैर में लकवा मार गया था. वह दो बार एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं.
शूटिंग में सिंहराज को कांस्य मिला
मंगलवार को ही टोक्यो पैरालंपिक्स की शूटिंग स्पर्धा में भारत के सिंहराज ने ब्रॉन्ज मेडल जीता. उन्होंने पुरुषों के 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 के फाइनल में तीसरा स्थान हासिल किया. हरियाणा के पैरा शूटर ने 216.8 का स्कोर किया और भारत को कांस्य पदक दिलाया.
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