भारत के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक की भाला फेंक (Javelin Throw) प्रतियोगिता के ग्रुप-ए क्वालिफिकेशन में बुधवार को 83.50 मीटर का स्वत: क्वालिफिकेशन हासिल करते हुए फाइनल में जगह बनाई.
ओलंपिक के इतिहास में अब तक कोई भी भारतीय एथलीट ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में पदक नहीं जीत सका है. टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा इस सूखे को खत्म कर सकते हैं.
बुधवार को ओलंपिक में पदार्पण कर रहे 23 साल के चोपड़ा ने अपने पहले ही प्रयास में भाले को 86.65 मीटर की दूरी तक फेंककर फाइनल के लिए क्वालिफाई किया और भारत के लिए पदक की उम्मीद जगाई.
चोपड़ा की ओलंपिक की तैयारियां चोट और कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित हुई थी, लेकिन उन्होंने अपने प्रशंसकों को बिल्कुल निराश नहीं किया और ओलंपिक में अपने पहले ही थ्रो पर फाइनल में जगह बना ली.
भाला फेंक में ग्रुप-ए और ग्रुप-बी से 83.50 मीटर का स्वत: क्वालिफिकेशन स्तर हासिल करने वाले खिलाड़ियों सहित शीर्ष 12 खिलाड़ी फाइनल में जगह बनाएंगे. फाइनल 7 अगस्त को होंगे.
नीरज का बाकी दो प्रयास नहीं करने का फैसला
एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई चैम्पियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता चोपड़ा ने फाइनल के लिए क्वालिफाई करने के बाद अपने बाकी दो प्रयास नहीं करने का फैसला किया. क्वालिफिकेशन में तीन प्रयास का मौका मिलता है, जिसमें से सर्वश्रेष्ठ प्रयास को गिना जाता है.
पूर्व विश्व जूनियर चैम्पियन चोपड़ा ग्रुप-ए में 16 खिलाड़ियों के बीच शीर्ष पर रहे. उनका निजी और सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 88.07 मीटर है, जो उन्होंने मार्च 2021 में पटियाला में इंडियन ग्रां प्री 3 में बनाया था.
खिताब के प्रबल दावेदार वेटर दूसरे स्थान पर
ग्रुप-ए से रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहे और टोक्यो खेलों में खिताब के प्रबल दावेदार माने जा रहे जर्मनी के जोहानेस वेटर (85.64 मीटर) और फिनलैंड के लेसी एटलेटालो (84.50 मीटर) भी क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहते हुए स्वत: क्वालिफिकेशन स्तर हासिल करने में सफल रहे. वेटर ने इससे पहले कहा था कि चोपड़ा के लिए ओलंपिक में उन्हें हराना मुश्किल होगा, लेकिन क्वालिफिकेशन में भारतीय खिलाड़ी जर्मनी के खिलाड़ी पर भारी पड़ा.
दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी वेटर ने अपने तीसरे, जबकि लेसी ने पहले ही प्रयास में फाइनल में जगह बनाई. एटलेटालो का यह प्रयास उनका सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.
भारतीय सेना के चोपड़ा की ओलंपिक की तैयारियां 2019 में कोहनी की चोट और फिर कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित हुई थी. लेकिन उन्होंने अपने प्रशंसकों को निराश नहीं किया और ओलंपिक में अपनी पहली ही थ्रो पर फाइनल में जगह बना ली. वह ओलंपिक से पहले सिर्फ तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले पाए थे. इसमें कुआर्टेन खेल ही विश्व स्तरीय प्रतियोगिता थी जहां चोपड़ा तीसरे स्थान पर रहे थे, जबकि वेटर ने खिताब जीता था.
...लेकिन शिवपाल सिंह का लचर प्रदर्शन
पूर्व विश्व जूनियर चैम्पियन चोपड़ा ग्रुप-ए और ग्रुप-बी में 32 खिलाड़ियों में शीर्ष पर रहे. उनके हमवतन शिवपाल सिंह लचर प्रदर्शन करते हुए पदक की दौड़ से बाहर हो गए. वह अपने पहले प्रयास में 76.40 मीटर, दूसरे में 74.80 मीटर और तीसरे प्रयास में 74.81 मीटर की दूरी ही तय कर पाए और ग्रुप- बी में 16 खिलाड़ियों के बीच 12वें और कुल 27वें स्थान पर रहे. शिवपाल 86.23 मीटर के अपने निजी सर्वश्रेष्ठ और 81.63 मीटर के सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के आसपास भी नहीं पहुंच पाए.
ग्रुप-बी से पाकिस्तान के अरशद नदीम (85.16 मीटर), चेक गणराज्य के याकुब वादलेच (84.93 मीटर) और जर्मनी के जूलियन वेबर (84.41 मीटर) स्वत: क्वालिफिकेशन स्तर हासिल करने में सफल रहे.
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