भारत की युवा गोल्फर अदिति अशोक टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने से चूक गईं. उनका एक शॉट उनके पीछले तीन दिन के प्रदर्शन पर भारी पड़ा और मेडल से दूर कर दिया. अदिति भले पदक से चूक गईं, लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से हर किसी को प्रभावित किया है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने उनके खेल की प्रशंसा की है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया, अच्छा खेलीं, अदिति अशोक! भारत की एक और बेटी ने पहचान बनाई! आज के ऐतिहासिक प्रदर्शन से आपने भारतीय गोल्फ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. आपने बेहद शांत और शिष्टता के साथ खेला है. प्रभावशाली प्रदर्शन के लिए बधाई.'
पीएम मोदी ने ट्वीट किया,' आपने टोक्यो ओलंपिक के दौरान जबरदस्त कौशल और संकल्प दिखाया है. पदक से दूर रह गईं, लेकिन आप किसी भी भारतीय से कहीं आगे निकल गई हैं. आपके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं.'
चौथे स्थान पर रहीं अदिति
अदिति महिला व्यक्तिगत स्ट्रोक प्ले में चौथे स्थान पर रहीं. अदिति शुक्रवार को खत्म हुए तीसरे राउंड के बाद दूसरे स्थान पर थीं. अदिति आज (शनिवार) चौथे राउंड में भी लगातार टॉप-4 में बनी हुई थीं. अदिति अशोक ने अपने आखिरी शॉट में बर्डी हासिल करने की कोशिश की, लेकिन वह नाकाम रहीं. केवल एक स्ट्रोक ने उनसे ऐतिहासिक मेडल छीन लिया.
दुनिया की नंबर एक गोल्फर नैली कोरडा ने दो अंडर 69 के साथ 17 अंडर कुल स्कोर करके स्वर्ण पदक जीता. मेजबान जापान की Mone Inami ने सिल्वर मेडल जीता, जबकि रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली Lydia Ko ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया.
अदिति 13वें होल तक दूसरे स्थान पर चल रही थीं, लेकिन आखिरी पांच होल में वह जापान की Mone Inami और न्यूजीलैंड की Lydia Ko से पिछड़ गईं.
अदिति ने खराब मौसम से प्रभावित चौथे दौर में तीन अंडर 68 का स्कोर किया. आखिरी दौर में उन्होंने पांचवें, छठे, आठवें, 13वें और 14वें होल पर बर्डी लगाया और नौवें तथा 11वें होल पर बोगी किए. अदिति पूरे समय पदक की दौड़ में थीं, लेकिन दो बोगी से वह Lydia Ko से पीछे रह गईं, जिन्होंने आखिरी दौर में नौ बर्डी लगाए.
अदिति मुकाबले में 15 अंडर 269 स्कोर के साथ चौथे स्थान पर रहीं. अदिति ने शनिवार सुबह दूसरे नंबर से शुरुआत की थी, गेम आगे बढ़ने के साथ वह पिछड़ती गईं. अदिति पूरे समय पदक की दौड़ में थी, लेकिन दो बोगी से वह Lydia Ko से पीछे रह गईं, जिन्होंने आखिरी दौर में 9 बर्डी लगाए. रियो ओलंपिक में 41वें स्थान पर रहने वाली अदिति ने टोक्यो ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन किया.
ऐसे शुरू हुआ अदिति का 'गोल्फ सफर'
मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं (29 मार्च 1998- बेंगलुरु में) गोल्फर अदिति अशोक ने महज 5 साल की उम्र में गोल्फ खेलना शुरू किया था, लेकिन तब बेंगलुरु में सिर्फ तीन गोल्फ कोर्स थे. बेटी के गोल्फ सीखने की जिद के बाद अदिति के पिता उन्हें कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन ड्राइविंग रेंज ले जाने लगे. अदिति ने गोल्फ को ही अपना करियर बना लिया.
अदिति पहली बार महज 13 साल की उम्र में तब सुर्खियों में आईं, जब उन्होंने 2011 में बेंगलुरु में खेली गई इंडियन ओपन प्रो चैम्पियनशिप में भारत की जानी-मानी गोल्फर स्मृति 'सिमी' मेहरा को पराजित किया. फिर अदिति ने 2013 में एशियन यूथ खेल और 2014 में हुए यूथ ओलंपिक खेल में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
.. लगातार जुड़ती गईं उपलब्धियां
इसके बाद 17 साल की उम्र में अदिति अशोक ने मोरक्को में हुए लल्ला आइचा टूर स्कूल (Lalla Aicha Tour School) जीता. इस जीत के साथ वह क्वालिफाइंग स्कूल जीतने वाली पहली भारतीय और सबसे कम उम्र की गोल्फर बन गईं.
2016 में अदिति ने 3-अंडर 213 के स्कोर के साथ हीरो महिला इंडियन ओपन का खिताब जीता. इसके साथ ही वह लेडीज यूरोपियन टाइटल (LET) जीतने वाली पहली भारतीय गोल्फर बन गईं. इसके दो हफ्ते बाद उन्होंने कतर लेडीज ओपन में अपनी दूसरी जीत हासिल की और उस सीजन के ऑर्डर ऑफ मेरिट में दूसरा स्थान हासिल किया.
इस शानदार प्रदर्शन के चलते उन्होंने 2016 का रूकी ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीता. साथ ही अदिति क्वालिफाइंग टूर्नामेंट के जरिए 2017 सीजन के लिए एलपीजीए टूर कार्ड भी प्राप्त किया. 2017 में अदिति भारत की पहली एलपीजीए (Ladies Professional Golf Association) खिलाड़ी बनीं और लुईस सुग्स रोलेक्स रूकी ऑफ द ईयर स्टैंडिंग में उन्होंने 8वां स्थान प्राप्त किया. अदिति को 2020 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
टोक्यो में मां थीं अदिति की कैडी
अदिति के पिता का अपनी बेटी की सफलता में बड़ा हाथ रहा है. 2016 के रियो ओलंपिक में अशोक गुडलामणि अपनी बेटी के कैडी बनकर गए थे. जिसका मतलब यह था कि अशोक रियो में अपनी बेटी का बैग गोल्फ कोर्स में उठाया करते थे. वहीं, अब टोक्यो ओलंपिक में अदिति की मां माहेश्वरी अशोक अपनी बेटी की कैडी बनकर गई हैं.
टोक्यो का सफर: अदिति अशोक ने क्वालिफाइंग सूची में 45वां स्थान हासिल कर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था. इससे पहले अदिति ने रियो ओलंपिक में भी महज 18 साल की उम्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया. इसके साथ ही वह ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला गोल्फर बन गई थीं. हालांकि रियो में उनका प्रदर्शन उतना प्रभावशाली नहीं रहा था और वह 41वें स्थान पर रही थीं.
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