Olympics 2020, India vs Argentina Women Hockey Semifinals: पैसे की कमी, घुटने की चोट और परिवार से दूरी भी सुशीला चानू (Indian Hockey Midfielder Sushila Chanu) के हौसले को डिगा नहीं सके और आज वो भारतीय टीम की रीढ़ के रूप में टीम में मौजूद हैं. मणिपुर की राजधानी इम्फाल की रहने वाली सुशीला चानू का टीम इंडिया तक का सफर काफी संघर्ष भरा रहा है. पैसे की कमी के कारण वो दो साल तक घर से दूर रही थीं.
सुशीला टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं और रियो ओलंपिक में उन्होंने टीम की अगुवाई की थी. सुशीला टीम इंडिया के लिए 150 से ज्यादा मैच खेल चुकी हैं. इसमें एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स शामिल हैं. टोक्यो ओलंपिक में हॉकी के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को मात देने में सुशीला की अहम भूमिका रही.
29 वर्षीय सुशीला चानू को 2018 में घुटने में चोट लगी जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड कप, एशियन गेम्स, चैंपियन्स टॉफ्री से बाहर होना पड़ा. हालांकि इसके बाद उन्होंने जबरदस्त वापसी की और ऑस्ट्रेलिया के सफर को ओलंपिक में रोकने में अहम भूमिका निभाई.
सुशीला के कोच परमजीत सिंह के मुताबिक सुशीला में खेल को लेकर काफी जुनून था, वो समय से पहले ग्राउंड पर पहुंच जाती थीं. हॉकी को लेकर वो बेहद फोकस्ड थीं. यही कारण है कि आज वो मेहनत व निरंतरता उन्हें कामयाबी के रास्ते पर ले आई और वो टीम इंडिया की मजबूत कड़ी बन गईं.
साल 2006 में सुशीला चानू को महिला हॉकी अकादमी में दाखिला मिला. अगले 6 साल तक वो यहां रहीं और अपने खेल को निखारा. मणिपुर में उनके पिता के पास कोई काम नहीं था और घर का खर्च उनकी मां काम करके चलाती थीं. घर में पैसों की आर्थिक तंगी ऐसी थी कि सुशीला चानू दो साल तक पैसे न होने की वजह से घर नहीं गईं.