टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया. ओलंपिक के इतिहास में भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए सात मेडल अपने नाम किए. भारत ने वेटलिफ्टिंग, बैडमिंटन, हॉकी, कुश्ती जैसे खेलों में मेडल जीता है. जिन खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का नाम रोशन किया है वह नीरज चोपड़ा, मीराबाई चनू, रवि दहिया, बजरंग पुनिया, पीवी सिंधु, लवलीना बोरगोहेन और पुरुष हॉकी टीम है. इसके अलावा महिला हॉकी टीम ने भी ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बनाई.
नीरज चोपड़ा ने कहा कि ये मेहनत 4-5 साल की नहीं है. ये शुरू से है. मतलब जबसे मैंने जैवलिन शुरू की. ये मेहनत 2011 से चल रही है. और अब इसका नतीजा मिला है. नीरज ने कहा कि देश में अब खिलाड़ियों को सुविधाएं मिल रही हैं. स्टेडियम काफी हो गए हैं. देश में खेल को लेकर लोगों के सोच में बदलाव आया है.
नीरज चोपड़ा ने कहा कि मुझे शुरू से ही सेना पसंद रही है. मेरे पास नौकरी के कई ऑफर थे लेकिन आर्मी पसंद थी. और मैंने ज्वाइन किया. जवानों के साथ मिलकर बहुत अच्छा लगता है. फाइनल में उस ऐतिहासिक थ्रो पर नीरज चोपड़ा ने कहा कि हर एथलीट को मालूम पड़ जाता है कि उसको थ्रो कितना दूर गया है. 10-11 साल की ट्रेनिंग में इतना अनुभव हो जाता है.
नीरज चोपड़ा ने कहा कि मैंने मेडल के लिए मेहनत की थी. सभी खिलाड़ी मेहनत करते हैं. मैं अपने आपको लकी मानता हूं कि मैं जीत पाया. दुनिया के कई दिग्गज खिलाड़ी फाइनल में थे. लेकिन वो मेरा दिन था और मैं जीत पाया.
शाम 5 बजे देश का वो हीरो सबके सामने होगा जिसने भारत को पहली बार ओलंपिक एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल दिलाया है. ये खिलाड़ी गोल्डन ब्वॉय के नाम से मशहूर हो चुका है और इनका नाम है नीरज चोपड़ा. नीरज ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता है. उन्होंने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतकर 'फ्लाइंग सिख' मिल्खा सिंह के सपने को साकार किया है. नीरज की बातों के साथ ही इस कार्यक्रम का समापन होगा.
मनप्रीत सिंह ने कहा कि मेडल जीतने के बाद जब मैंने घर पर मां को कॉल किया तो वो रोने लगी थीं. मेरे पिता का सपना था कि मैं ओलंपिक में जाऊं और मेडल लाऊं. लेकिन इस चीज को देखने के लिए वो यहां पर नहीं हैं. इस चीज का दुख मां को था और मुझे भी बहुत बुरा लग रहा था. आज सबकुछ है लेकिन ये देखने के लिए पिता नहीं हैं.
कांस्य पदक वाले मैच में लास्ट पेनल्टी कॉर्नर के दौरान दिमाग में क्या चल रहा था. इस सवाल पर मनप्रीत सिंह ने कहा कि हमने सोचा था कि हमें अपना 100 प्रतिशत देना है. रिजल्ट के बारे में नहीं सोचना है. क्योंकि हमें पता था कि ये हमारा लास्ट मैच है. और आखिरी के 6 सेकंड में हमारे दिमाग में यही था कि गेंद को गोलपोस्ट के अंदर नहीं जाने देनी है. हमारा डिफेंस अच्छा था. हम लोगों ने प्लान के मुताबिक खेला और वो गोल बचाया. बता दें कि भारतीय टीम ने कांस्य पदक के मैच में जर्मनी को मात दी थी.
महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने कहा कि हम मेडल के करीब थे. लेकिन उसके बाद भी महिला हॉकी को जो प्यार और इज्जत मिल रही है वो पहले कभी मेडल लाने पर नहीं मिला. हॉकी को लेकर देश में काफी बदलाव आया है. लोग महिला टीम के मैचों को भी देखना शुरू कर रहे हैं.
पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा कि हमने मेडल जीता, बहुत अच्छा लगा रहा है. हमने 41 साल का इंतजार खत्म किया.
4 बजे पुरुष और महिला हॉकी टीम के खिलाड़ी मंच पर होंगे. टोक्यो ओलंपिक में इन दोनों टीमों ने जबरदस्त खेल दिखाया. पुरुष टीम कांस्य पदक जीतने में सफल रही तो वहीं महिला टीम पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची. 41 साल बाद भारत ने हॉकी में मेडल जीता है. भारतीय हॉकी के लिए ये ऐतिहासिक पल है. ये जश्न कई दिनों तक चलता रहेगा.
पीवी सिंधु ने कहा कि मुझे सरकार से बहुत सपोर्ट मिला. बैडमिंटन संघ ने भी सपोर्ट किया. खिलाड़ियों के लिए ये सपोर्ट बहुत जरूरी होता है. क्योंकि इससे प्रेरणा मिलती है. सिंधु ने कहा ओलंपिक में मैं पहले से सोच रही थी कि हर एक मैच जरूरी है. क्योंकि आपको नहीं पता है कि उस दिन क्या होने वाला है. कुछ भी हो सकता है. कई बार आप अच्छा खेल सकते हैं और कई बार नहीं. क्वार्टरफाइनल मैच अच्छा था. लेकिन सेमीफाइनल के बारे में मुझे पता था कि ये टफ मैच होने वाला है. और मैं इसके लिए तैयार थी. लेकिन वो मेरा दिन नहीं था और मैं हार गई. मैच के बाद मैं रोई थी. मेरे कोच और माता-पिता दुखी थे. माता-पिता ने कॉल करके समझाया कि जो हो गया वो हो गया. कल भी मैच है.आराम करो और अगले मैच की तैयारी करो.
पीवी सिंधु ने कहा कि मैं किसी भी टूर्नामेंट में जाती हूं तो लोगों को उम्मीद होती है कि सिंधु मेडल लेकर आएगी. लेकिन ये एक तरह से सकरात्मक होता है. लोगों का सपोर्ट होता है. मुझे भी लगता है कि मुझे मेडल जीतना है. लोगों की उम्मीदों को पूरा करना है. लेकिन जब मैं कोर्ट पर जाती हूं तो ये सब मेरे दिमाग में नहीं आता है. मैं ये सारी चीजें दिमाग से निकाल देती हूं.
पीवी सिंधु ने कहा कि रियो ओलंपिक और टोक्यो ओलंपिक के अलग-अलग अनुभव हैं. रियो मेरा पहला ओलंपिक था. तब ऐसा था कि सिंधु जाकर ओलंपिक खेल रही है. लेकिन इस बार दबाव था. उम्मीदें ज्यादा थीं. मुझे लगता है कि टोक्यो ओलंपिक का मेडल ज्यादा टफ था.
स्टार शटलर पीवी सिंधु ने आजतक के शो 'जय हो' में कहा कि ओलंपिक में मेडल जीतना आसान नहीं होता है. हर एथलीट का ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना होता है. मेरा भी सपना था. मैं बहुत खुश हूं कि मैंने दो ओलंपिक में मेडल जीता. मैंने मेहनत की और ये उस मेहनत का ही नतीजा है.
दोपहर 3 बजे स्टार शटलर और टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली पीवी सिंधु आजतक के मंच पर होंगी. सिंधु ने लगातार दूसरी बार ओलंपिक में पदक जीता है. इससे पहले उन्होंने रियो ओलंपिक में रजत पदक अपने नाम किया था. सिंधु बैडमिंटन की दुनिया में भारत का नाम ऊंचा कर रही हैं. सिंधु के खेल के आगे चैम्पियन खिलाड़ी भी फेल हो जाते हैं.
बजरंग पुनिया ने कहा कि मिल्खा सिंह से बहुत प्रेरणा मिली. मैं उनसे एक कार्यक्रम में भी मिला था. मुझे ये देखकर अच्छा लगा था कि वो हमको जानते हैं. उन्हें मेरा हालचाल पूछा था.
बजरंग पुनिया ने कहा कि जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ता गया लोगों की उम्मीद भी बढ़ती गई. जैसे इस बार ओलंपिक में कांस्य जीता तो लोगों की उम्मीद बढ़ गई होगी कि अगली बार रजत पदक जीतना है. खुद से भी उम्मीदें बढ़ती गईं. सभी का सपोर्ट मिला. बजरंग ने कहा कि हमारे बहुत खिलाड़ी इस ओलंपिक में अच्छा नहीं कर पाए. हो सकता है ऐसा दबाव की वजह से हुआ हो. लेकिन मैं कभी दबाव में नहीं खेलता. मेरे मन में एक बार भी नहीं आया कि मैं मेडल लेकर आउंगा.
बजरंग पुनिया ने कहा कि मैं जिस भी टूर्नामेंट में भाग लिया वहां पहली बार में ही मेडल जीता. मेरे पिता का सपना था कि उनका एक बेटा पहलवान बने. मैंने 7 साल की उम्र में पहलवानी शुरू कर दी थी. पहलवानी शुरू करने की कोई उम्र नहीं होती. लेकिन जितनी कम उम्र में शुरू करेंगे उतना फायदा होगा.
दोपहर 2 बजे रेसलर बजरंग पुनिया शिरकत करेंगे. बजरंग आजतक के मंच से उन तमाम युवाओं को कुश्ती के टिप्स देते नजर आ सकते हैं जो पहलवानी को अपना करियर बनाना चाहते हैं. बजरंग टोक्यो ओलंपिक से जुड़े अपने अनुभव भी साझा करेंगे. उन्होंने 'खेलों के महाकुंभ' में कांस्य पदक जीता है. बजरंग ने टोक्यो के दंगल में ऐसे-ऐसे दांव चले जिससे दिग्गज से दिग्गज रेसलर भी चित हो गए.
देश की युवा लड़कियों को मीराबाई चनू ने संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि लड़कियां कुछ नहीं कर सकतीं. घर पर ही रहना है. खाना बनाना है. मैं ये कहती हूं कि अभी ये सब करने की जरूरत नहीं है. परिवार का सपोर्ट होना बहुत जरूरी है. आपको जो भी अच्छा लगता है वो करें. खेल में जरूर जाइए और मेहनत करिए. कभी हार नहीं माननी चाहिए. ज्यादा से ज्यादा लड़कियां वेटलिफ्टिंग में आएं और मेरे साथ रहें और देश का नाम रोशन करें.
डाइट के बारे में बात करते हुए मीराबाई चनू ने कहा जब मैंने ये गेम शुरू किया था तो बहुत मुश्किल हुई थी. मां की चाय की दुकान है. मैं हाई फैमिली से नहीं आती हूं. अंडा, मिल्क लेती थी. लेकिन ये भी रोज नहीं मिलता था. मां के पास हफ्ते में दो-तीन दिन ही ये देने का पैसा था. फिर भी उन्होंने बहुत सपोर्ट किया. उन्होंने मुझसे कहा था कि कुछ भी होगा मैं तुम्हारे साथ हूं. मेरे परिवार में लोगों को खेल बहुत पसंद हैं. मां फुटबॉल खेलती थी. मीराबाई ने कहा कि मेरे परिवार ने मुझे सपोर्ट किया. मेडल जीतने के बाद मैंने सबसे पहले मां को ही फोन किया था. पूरा गांव उस वक्त मेरे घर में था. मीराबाई ने कहा कि मैं ट्रेनिंग पर ज्यादा फोकस करती हूं. मुझे पिज्जा बहुत पसंद है. मैं सलमान खान की फैन हूं. उनसे मिलकर मैं रोने लगी थी.
मीराबाई चनू ने कहा कि मेरे लिए ये सफर अच्छा रहा है. शुरू में मुश्किल हुई थी. मैंने टोक्यो ओलंपिक के लिए 5 साल मेहनत की. रियो ओलंपिक में नाकाम रहने के बाद मैंने सोच लिया था कि टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतना है. करियर के शुरू में काफी दिक्कत हुई. ट्रेनिंग के लिए ट्रक में लिफ्ट लेकर जाना पड़ता था. मीराबाई ने कहा कि ट्रेनिंग करने का जोश था और इस वजह से डर भी नहीं लगा. मैं ट्रेनिंग मिस नहीं करना चाहती थी. शुरुआत में घरवाले भी डरते थे. लेकिन बाद में मां ने ट्रक ड्राइवर को भी समझाया कि इसका ध्यान रखा करो. बाद में वही ट्रक ड्राइवर घर के सामने इंतजार करता था. मुझे लोगों का बहुत सपोर्ट मिला है.
दोपहर 1 बजे वेटलिफ्टर मीराबाई चनू आजतक के मंच पर होंगी. मीराबाई चनू ने टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक अपने नाम किया. उन्होंने ओलंपिक के पहले दिन ही भारत के पदक के खाते को खोला था. मीराबाई ने 21 साल बाद भारत को वेटलिफ्टिंग में मेडल दिलाया है.
लवलीना ने कहा कि जबसे मैंने बॉक्सिंग शुरू की है, तब से मैंने आराम नहीं किया. कहीं घूमने नहीं गई. पसंद का खाना भी नहीं खाया. अब मैं एक-दो महीने छुट्टी लूंगी और परिवार से साथ घूमने जाऊंगी.
बॉक्सिंग में आपकी सबसे बड़ी ताकत क्या है. इस सवाल पर लवलीना ने कहा कि मैं बॉक्सिंग में हर तरह का गेम खेल सकती हूं. मैं लॉन्ग भी खेल सकती हूं, शॉर्ट भी खेल सकती हूं. आगे भी खेल सकती हूं और पीछे भी. मुझे लगता है कि कोई भी स्थिति आए मैं उसे हैंडल कर सकती हूं.
लवलीना ने कहा कि मैं मोहम्मद अली की फैन हूं. मेरे पिताजी अखबार में मिठाई लाए थे. उसमें मो.अली के बारे में लिखा हुआ था. तब पापा ने मुझे बताया था कि ये मो.अली हैं और बॉक्सर हैं. तब मुझे बॉक्सिंग के बारे में मालूम पड़ा था. मैं चार-पांच साल मार्शल आर्ट में थी. उसमें मुझे बॉक्सिंग का चांस मिला. फिर मैं बॉक्सिंग में आई.
लवलीना ने कहा कि मुझे खुद को साबित करना था. मुझे देश के लिए मेडल लाना था. मैंने खुद को इतना विश्वास दिलाया कि मैं कर सकती हूं. मैं खुद को समझाती हूं. क्योंकि मुझे लगता है कि खुद से ज्यादा खुद को कोई नहीं समझा सकता है. लवलीना ने कहा कि मैं अपनी गेम से संतुष्ट नहीं हूं. मेरा सपना गोल्ड जीतने का है. मुझे ओलंपिक चैम्पियन बनना है. इस ओलंपिक में मेरा सपना था गोल्ड जीतने का. मुझे कांस्य पदक से संतुष्ट होना पड़ा. लेकिन मैं खाली हाथ तो नहीं आई. अब मुझे 2024 के ओलंपिक के लिए तैयारी करनी है.
लवलीना ने कहा कि बॉक्सिंग सीखने में 4-5 साल लग जाते हैं. मुझे 8 साल लगा था क्योंकि मैं अच्छे से नहीं सीख पाई थी. अगर ट्रेनिंग के साथ चलेंगे तो 4 साल में एक बॉक्सर ओलंपिक के लिए तैयार हो जाएगा.
लवलीना बोरगोहेन ने कहा कि मैं पहली बार 15 साल की उम्र में ग्लव्स पहनी थी. तब मैं क्लास 9 में थी. मुझे नहीं बदलना है. मुझे देश के लिए मेडल लाना है. मैं मेडल लाऊंगी तब ही लोग मुझे पहचानेंगे. मुझे देश के लिए लड़ना है. खुद के लिए नहीं. मैं मेडल का कलर बदलती रहूंगी.
अब से कुछ देर में टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन आजतक के मंच पर होंगी. वह ओलंपिक मुक्केबाजी इवेंट में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय बॉक्सर हैं. इससे पहले विजेंदर सिंह और एमसीसी मैरीकॉम यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं.
नीरज चोपड़ा के गोल्ड जीतने पर रवि दहिया ने कहा कि देश के लिए गौरव की बात है. ओलंपिक में जब हम गए थे तो सोचे थे कि देश का राष्ट्रगान सुन पाएं. हम तो ये नहीं कर पाए. नीरज ने उसे पूरा किया. वो अच्छा खिलाड़ी है. रवि दहिया ने कहा कि नीरज ने ऐसा काम किया है जिससे हमारे रास्ते खुल गए हैं. आगे हम जाएंगे तो यही सोचकर जाएंगे कि देश के लिए गोल्ड मेडल जीतें.
रवि दहिया के गुरु सतपाल सिंह ने कहा कि रवि साल में एक दिन घर जाता है. वह पूरा समय छत्रपाल स्टेडियम में ही रहता है. वह कड़ा अभ्यास करता है. रवि ने अपना 100 प्रतिशत दिया है. सतपाल ने आगे कहा कि हम 100 बच्चों को सिखाते हैं. जरूरी नहीं है कि सारे बच्चे परिणाम दें. लेकिन रवि का लक्ष्य था. ये हर कोच का प्यारा है. रवि ने कहा था कि गोल्ड आएगा, लेकिन इसने 100 प्रतिशत दिया है. सिल्वर आया ये भी कम नहीं है.
कजाकिस्तान के पहलवान ने मुकाबले में रवि दहिया को दांत से काटा था. रवि के हाथ पर अभी भी वो दाग है. इसपर रवि दहिया ने कहा कि मैं विवाद नहीं चाहता था. मेरा ध्यान गेम पर था. अगले दिन वह पहलवान आकर मुझसे माफी मांगी थी. दोस्त है इस वजह से मैंने शिकायत नहीं की.
रवि दहिया ने कहा कि मैट पर उतरने के कोई बड़ा या छोटा पहलवान नहीं होता है. उस समय बस कुश्ती पर फोकस होता है. रवि के गुरु सतपाल सिंह ने कहा कि रवि में आग है. वह कुछ करना चाहता है. ये शुरू से ही अच्छा पहलवान रहा है.
रवि दहिया ने कहा कि ओलंपिक में गए हम सभी भारतीय खिलाड़ियों का मेडल जीतने का लक्ष्य ही था. सबसे बड़ी बात है कि सभी खिलाड़ियों का फोकस था और उन्होंने करके दिखाया. रवि दहिया ने कहा कि हम ज्यादा से अभ्यास करते हैं. हम विरोधी रेसलर को थकाने की कोशिश करते हैं.
रवि दहिया ने कहा कि सिल्वर मेडल जीतना बड़ी बात है. मेरा फोकस था ओलंपिक में मेडल जीतने का. मेरे गुरुजी को पहले से भरोसा था कि मैं मेडल जरूर जीतूंगा.
रवि दहिया 11 बजे आजतक के मंच पर होंगे और टोक्यो ओलंपिक के अपने अनुभव देश की जनता से साझा करेंगे. रवि दहिया बताएंगे कि उन्हें करियर के शुरुआती दौर में किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा और कैसे वह इस मुकाम तक पहुंचे.
रवि दहिया ओलंपिक में पदक जीतने वाले ओवरऑल पांचवें भारतीय पहलवान हैं. वहीं, वह सिल्वर जीतने वाले भारत के दूसरे रेसलर हैं. रवि दहिया से पहले सुशील कुमार ने 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक अपने नाम किया था.
ये है पूरा शेड्यूल
11 बजे- रजत पदक विजेता रवि दहिया
12- बजे - कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन
1 बजे- रजत पदक जीतने वालीं वेटलिफ्टर मीराबाई चून
2 बजे- कांस्य पदक विजेता बजरंग पुनिया
3 बजे- कांस्य पदक विजेता स्टार शटलर पीवी सिंधु
4 बजे- पुरुष और महिला हॉकी टीम
5 बजे- गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा