नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक के जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. वह ओलंपिक के ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए. ओलंपिक के जैवलिन थ्रो इवेंट में हमेशा नॉर्डिक देशों (स्वीडन, डेनमार्क, आइसलैंड, नॉर्वे, फिनलैंड) और मध्य यूरोप के खिलाड़ियों का दबदबा रहा है. यहां तक कि कोई भी चीनी या कोरियाई पुरुष एथलीट अब तक ओलंपिक के थ्रोइंग इवेंट में पदक नहीं जीत सका है. ऐसे में नीरज चोपड़ा का टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना किसी चमत्कार से कम नहीं.
आइए जानते हैं नीरज चोपड़ा के इस सुनहरे प्रदर्शन से जुड़े खास Facts -
1. नीरज चोपड़ा ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाले पहले एशियाई पुरुष जैवलिन थ्रोअर हैं. इससे पहले किसी एशियाई ने ओलंपिक खेलों में पुरुषों की जैवलिन थ्रो में पदक तक नहीं जीता था. दिलचस्प बात यह है कि नीरज त्रिनिदाद एंड टोबैगो के केशोर्न वालकॉट के बाद जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीतने वाले दूसरे अश्वेत पुरुष खिलाड़ी हैं. वालकॉट ने 2012 के लंदन ओलंपिक में पीला तमगा हासिल किया था.
2. नीरज चोपड़ा ओवरऑल ओलंपिक के जैवलिन थ्रो इवेंट में पदक जीतने वाले दूसरे एशियाई खिलाड़ी हैं. इससे पहले चीन की लियू शियिंग ने टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं के जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीता था.
3. नीरज चोपड़ा ओलंपिक के थ्रोइंग इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाले तीसरे एशियाई पुरुष एथलीट हैं. इससे पहले कोजी मुरोफोशी (जापान) और दिलशोद नजारोव (ताजिकिस्तान) हैमर थ्रो इवेंट में यह मुकाम हासिल कर चुके हैं. मुरोफोशी ने एथेंस ओलंपिक (2004) और नजारोव ने रियो ओलंपिक (2016) में स्वर्ण पदक जीता था. कोजी के पिता शिगेनोबु मुरोफुशी एशियाई खेलों में पांच बार हैमर थ्रो इवेंट में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. वहीं, उनकी मां सेराफिना मोरित्ज रोमानिया के लिए जैवलिन थ्रो में प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.
4. वास्तव में, केवल चार एशियाई पुरुष एथलीट ओलंपिक के थ्रोइंग इवेंट में पदक जीत पाए हैं. हैमर थ्रोअर कोजी मुरोफोशी ने एथेंस ओलंपिक में स्वर्ण और लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. वहीं, ईरान के डिस्कस थ्रोअर एहसान हदादी ने 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता था. हैमर थ्रोअर दिलशोद नजारोव रियो ओलंपिक, जबकि नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में पीला तमगा हासिल करने में कामयाब रहे.
5. पिछले 50 सालों में केवल तीन पुरुष जैवलिन थ्रोअर अपने पहले ही थ्रो के दम पर प्रतियोगिता जीत सके हैं. हंगरी के मिक्लोस नेमेथ ने मॉन्ट्रियल ओलंपिक (1976) और जैन जेलेजनी ने बार्सिलोना ओलंपिक (1992) में यह उपलब्धि हासिल की थी. अब भारत के नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में यह अनूठा मुकाम हासिल किया.
6. नीरज ने 2018 में एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीता था. इस दोनों में उनके सभी थ्रो दूसरे स्थान पर रहने वाले एथलीट के बेस्ट थ्रो से ज्यादा रहे थे. टोक्यो ओलंपिक में नीरज के पहले दो थ्रो फाइनल के टॉप-2 में शुमार रहे. गौरतलब है कि फाइनल में नीरज चोपड़ा ने पहले प्रयास में 87.03 मीटर और दूसरा प्रयास में 87.58 मीटर दूर जैवलिन फेंका था. टोक्यो में रजत, कांस्य और चौथे स्थान पर रहने वाले जैवलिन थ्रोअर ने अपने सीजन के सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंके, फिर भी नीरज का थ्रो उन सबों से लगभग एक मीटर ज्यादा था.
7. 2016 में नीरज ने 86.48 मीटर थ्रो कर वर्ल्ड U-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. नीरज का यह प्रदर्शन उन्हें रियो ओलंपिक में कांस्य पदक दिला सकता था. लेकिन उस वक्त रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफिकेशन की अवधि समाप्त हो गई थी. जिसके चलते नीरज को ओलंपिक खेलने के लिए पूरे पांच साल का इंतजार करना पड़ा.
8. नीरज चोपड़ा विश्व चैम्पियनशिप को छोड़कर सीनियर लेवल पर आयोजित हर बड़े इवेंट में पदार्पण पर ही गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. 2017 में एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. इसके बाद 2018 में हुए राष्ट्रमंडल और एशियन गेम्स में उन्होंने पीला तमगा जीतकर सुर्खियां बटोरी थीं. फिर नीरज चोपड़ा 2019 के विश्व चैम्पियनशिप में चोट के चलते भाग नहीं ले पाए थे. इसकी भरपाई उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के साथ कर दी है.
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