इंसान को हमेशा असफलताओं से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए. इसका ताजा उदाहरण भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत हैं. 2019 विश्व कप में खराब प्रदर्शन ने पंत को बहुत आहत किया था. इसके बाद पंत ने अपनी गलतियों से सबक लेकर भारत को मैच जिताने की जिद ठान ली और वह इसमें कामयाब रहे.
ऋषभ पंत ब्रिस्बेन टेस्ट में नाबाद 89 रन बनाकर भारत को जीत तक पहुंचाया. पंत ने टेस्ट सीरीज में भारत के लिए सबसे ज्यादा 274 रन बनाए. स्वदेश लौटने के बाद पंत ने ऑस्ट्रेलिया दौरे की यादें साझा की हैं. 23 साल के पंत ने इंडिया टुडे से कहा कि वह हमेशा भारत के लिए मैच जीतना चाहते हैं. टेस्ट मैचों में ड्रॉ कभी विकल्प नहीं हो सकता.
पंत ने कहा, 'मुझे इसमें कोई संदेह नहीं था कि भारत 328 रनों का पीछा कर लेगा और इसमें हम सफल रहे. मैं अपनी टीम के लिए सीरीज जीतना चाहता था. इससे पहले सिडनी टेस्ट में मेरे लिए अच्छा मौका था, लेकिन मैं भारत को जीत के द्वार तक नहीं पहुंचा पाया. मैं ब्रिस्बेन टेस्ट में यह गलती फिर से दोहराना नहीं चाहता था. दूसरा मौका आपको हमेशा नहीं मिलता है. भारत को जीत के द्वार तक पहुंचाकर मैं बहुत खुश हूं.'
मैच का आखिरी शॉट खेलते ही मैंने दूसरे छोर पर मौजूद नवदीप सैनी से तीन रन भागने के लिए कहा. मैं भूल गया था कि सैनी को ग्रोइन में चोट लगी हुई है. मैंने कहा कि दो नहीं, हमें तीन रन ही भागने हैं. तब मैंने देखा कि मिडऑफ का खिलाड़ी गेंद की तरफ नहीं भाग रहा है और गेंद सीमा रेखा के बाहर चली गई.'
पंत ने गाबा टेस्ट के आखिरी दिन को याद करते हुए कहा, 'नाथन लियोन की एक गेंद काफी टर्न हुई. उसके बाद मुझे पता था कि अब वह गेंद को स्टंप के बाहर डालकर टर्न कराने का प्रयास करेंगे. तब मैंने लियोन की गेंदों पर कदमों का प्रयोग करके शॉट्स खेले.'
पंत ने कहा कि 2019 विश्व कप में मेरे लिए हीरो बनने का मौका था, लेकिन मैं असफल रहा. सेमीफाइनल में भारत की हार से मैं कई महीनों तक निराश था. तब मुझे नहीं पता था कि फिर ऐसा मौका कब आएगा. मैं हमेशा से कठिन परिस्थितियों में भारत को मैच जिताना चाहता था. मैं बहुत प्रसन्न हूं कि ब्रिस्बेन में ऐसा करने में सफल रहा.
बोरिया मजूमदार