लोग मेरे खेल को सर्कस जैसा समझते थे: दीपा कर्माकर

दीपा ने कहा, 'लोक मुझसे पूछा करते थे कि जिम्नास्टिक्स क्या होता है, क्या यह सर्कस जैसा कुछ है? और जब मैंने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया, तो मुझ पर पदक लाने का दबाव काफी बढ़ गया. लेकिन, वहां पहुंचते ही मैंने अपने दिमाग से यह सारी बातें निकाल दी और अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश की.'

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दीपा कर्माकर दीपा कर्माकर

अंजलि कर्मकार

  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:40 AM IST

रियो ओलंपिक में जिम्नास्टिक्स के फाइनल तक पहुंचने वाली देश की पहली महिला जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने शनिवार को कहा कि लोग उनसे अक्सर पूछा करते थे कि क्या उनका खेल सर्कस के जैसा है? ओलंपिक के जिम्नास्टिक्स स्पर्धा में क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनने के बाद दीपा ने शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल में मामूली अंतर से चूक गई थीं

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दीपा ने कहा, 'लोक मुझसे पूछा करते थे कि जिम्नास्टिक्स क्या होता है, क्या यह सर्कस जैसा कुछ है? और जब मैंने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया, तो मुझ पर पदक लाने का दबाव काफी बढ़ गया. लेकिन, वहां पहुंचते ही मैंने अपने दिमाग से यह सारी बातें निकाल दी और अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश की.'

रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक भी कार्यक्रम में मौजूद थीं और पदक जीतने के बाद मिली सराहना से वह बेहद खुश नजर आईं. साक्षी ने कहा, 'पदक जीतने के बाद निश्चित तौर पर जीवन काफी बदल गया है. मैं अकेली गई थी, लेकिन जब मैं लौटी तो मैंने पाया कि पूरा देश मेरे साथ है. मुझे ऐसा अहसास कराया गया कि मैं खास हूं.'

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