स्टार खिलाड़ी जोशना चिनप्पा ने सोमवार को 12वें दक्षिण एशियाई खेलों की महिला एकल स्क्वॉश के तनावपूर्ण फाइनल में पाकिस्तान की मारिया तूरपाकी वजीर को हराकर पुरुष स्पर्धा में मिली भारत की निराशा की भरपाई की. शीर्ष वरीय और वर्ल्ड रैंकिंग में 14वें स्थान पर काबिज चिनप्पा ने एक सेट से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए आर जी बरुआ स्पोर्ट्स परिसर में दूसरी वरीय वजीर को 10 -12, 11-7, 11-9, 11-7 से शिकस्त दी.
चिनप्पा के स्वर्ण से भारत ने अभी तक स्क्वॉश में तीन पदक जीत लिए हैं जिसमें सौरव घोषाल और हरिंदर पाल सिंह संधू ने पाकिस्तानी प्रतिद्वंद्वियों से हारने के बाद कांस्य पदक प्राप्त किए थे. इस तरह चिनप्पा की जीत से टीम प्रबंधन को राहत मिली क्योंकि पुरुष खिलाड़ी फाइनल में पहुंचने में असफल रहे थे. महिलाओं के फाइनल मैच में वैसा ही ड्रामा हुआ जो पुरुष सेमीफाइनल में हुआ था और चिनप्पा ने मैच अधिकारियों से वजीर के ‘आक्रामक’ खेल पर भी नाराजगी जाहिर की क्योंकि यह पाकिस्तानी खिलाड़ी शीर्ष रैंकिंग की भारतीय से थोड़ी सी फिजिकल होने की कोशिश कर रही थी.
दुनिया की 50वीं रैंकिंग की खिलाड़ी वजीर ने बराबरी के बाद पहला सेट 12-10 से जीत लिया लेकिन दूसरे सेट में 7-7 के स्कोर पर वह चोटिल हो गई. चिनप्पा से संपर्क के बाद उनकी बाईं भौं के पास खून निकलने लगा, जिससे खेल थोड़ी देर के लिए रुका ताकि उनका उपचार किया जा सके.
पाकिस्तानी खिलाड़ी का तुरंत उपचार किया गया और कुछ मिनट बाद वह कोर्ट पर आ गईं. ऐसा लगता है कि इस ब्रेक ने चिनप्पा को अपने खेल का आकलन करने का समय दे दिया और इसके बाद भारतीय खिलाड़ी ने मैच पर दबदबा बनाना शुरू कर दिया. चिनप्पा ने बाद में कहा कि वह रेफरियों द्वारा मैच आयोजित कराने के तरीके से खुश नहीं थी और वह अपने मैच का लुत्फ नहीं उठा सकीं क्योंकि उनकी प्रतिद्वंद्वी बहुत अधिक ‘आक्रामक’ थी और ‘फेयर’ खेल नहीं खेल रही थीं.
उन्होंने मैच के बाद कहा, ‘वजीर अच्छी खिलाड़ी है लेकिन वह बहुत आक्रामक थी. शुक्र है कि मैंने स्वर्ण पदक जीत लिया लेकिन मुझे फाइनल खेलने में मजा नहीं आया. मैं पेशेवर सर्किट में खेलती हूं और इसमें इस तरह की चीजें जैसे, काफी हस्तक्षेप करना और प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी द्वारा रोका जाना, नहीं होतीं.’ चिनप्पा ने कहा, ‘मैंने खुद को शांत रखने की कोशिश की लेकिन मुझे मैच अधिकारियों को भी बताना था कि कोर्ट पर क्या हो रहा था.’
इनपुटः भाषा
अभिजीत श्रीवास्तव / BHASHA