डेवोन कॉनवे: क्रिकेट के जुनून में बेच दी थी अपनी जायदाद, अब डेब्यू टेस्ट में दिखा जलवा

न्यूजीलैंड के सलामी बल्लेबाज डेवोन कॉनवे ने अपने डेब्यू टेस्ट मैच में रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी. उन्होंने लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के पहले मैच में दोहरा शतक जड़ दिया.

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Devon Conway (Getty) Devon Conway (Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:04 AM IST
  • डेवोन कॉनवे ने अपने डेब्यू टेस्ट मैच में रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी
  • अफ्रीका की राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिलने के बाद न्यूजीलैंड चले गए थे

न्यूजीलैंड के सलामी बल्लेबाज डेवोन कॉनवे ने अपने डेब्यू टेस्ट मैच में रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी. उन्होंने लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के पहले मैच में दोहरा शतक जड़ दिया. कॉनवे इंग्लिश सरजमीं पर डेब्यू टेस्ट में सबसे बड़ी पारी खेलने वाले बल्लेबाज बन गए हैं. उन्होंने लॉर्ड्स में अपने पदार्पण टेस्ट मैच में सर्वाधिक स्कोर बनाने का पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली का 25 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया.

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न्यूजीलैंड के नवोदित ओपनर डेवोन कॉनवे की कहानी निश्चित रूप से दिल को छू लेने वाली है. साउथ अफ्रीका की राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं बना पाने के बाद कॉनवे 2017 में न्यूजीलैंड आ गए. साउथ अफ्रीका छोड़ने से पहले कॉनवे ने अपनी सारी जायदाद और कार बेच दी, क्योंकि वह न्यूजीलैंड में नए सिरे से शुरुआत करना चाहते थे. आखिरकार कड़ी मेहनत और क्रिकेट के प्रति जुनून ने उन्हें मंजिल तक पहुंचा ही दिया. 

पिछले साल नवंबर में कॉनवे को न्यूजीलैंड की तरफ से टी20 में डेब्यू करने का मौका मिला था. जिसके बाद इस खिलाड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. कॉनवे को बुधवार को इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में अपना टेस्ट डेब्यू करने का भी मौका मिला. इस मौके को भुनाते हुए कॉनवे ने शानदार दोहरा शतक (200 रन) जड़ दिया. 

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फुटबॉल से था बेहद लगाव 

कॉनवे जोहानिसबर्ग के बाहर हिस्से में एक विशाल भूखंड पर पले-बढ़े. उनके पिता एक स्थानीय क्लब में फुटबॉल कोच रहे हैं. साथ ही उन्हें मोटरस्पोर्ट्स से भी काफी लगाव था. डेवोन कॉनवे का भी पहला प्यार फुटबॉल था. उन्होंने अपने दोस्त एल्टन जांटजी के साथ ट्रेनिंग की, जो स्प्रिंगबोक्स के लिए फुटबॉल खेले. बाद में कॉनवे ने पेशेवर रूप से क्रिकेट खेलना पसंद किया, क्योंकि उनका मानना था कि यह लंबे समय तक चल सकता है. 

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साउथ अफ्रीका के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी जिमी कुक 12 साल की उम्र में कॉनवे के पहले कोच थे. कॉनवे को नील मैकेंजी की बल्लेबाजी काफी पसंद थी, जिन्हें कॉनवे ने टीवी पर खेलते हुए देखा था.

... इस वजह से छोड़ा देश

ईएसपीएनक्रिकइंफो को दिए इंटरव्यू में कॉनवे ने कहा, 'मैं हमेशा घरेलू टीम से अंदर-बाहर होता रहता था. टीम में मेरा बैटिंग क्रम तय नहीं था. मुझे अलग-अलग क्रमों पर बल्लेबाजी करनी पड़ती थी. टी20 मैचों में मैं ओपनिंग करता था, वहीं वनडे मैचों में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी कर रहा था. चार दिवसीय मैचों में मुझे टीम में तभी शामिल किया जाता था, जब कोई बाहर होता था. मैंने लगभग हर क्रम पर बल्लेबाजी की थी, कई बार नंबर 7 पर भी. इतना ही नहीं, मुझसे गेंदबाजी भी नहीं कराई जाती थी, भविष्य को लेकर मेरी अनिश्चितता ने मुझे यह फैसला लेने पर मजबूर किया. इसके बाद मैंने देश से बाहर जाना ही सही रहेगा. 

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आखिरी मैच में जड़ा था दोहरा शतक

डेवॉन कॉन्वे ने मार्च 2017 में वांडरर्स के मैदान पर खेलते हुए गोटेंग प्रोविंस के लिए अपना पहला दोहरा शतक लगाया था. साउथ अफ्रीका के घरेलू क्रिकेटर के रूप में यह कॉनवे की आखिरी पारी थी. इस पारी के बाद उनकी किस्मत बदल जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. और उनके करियर ने उड़ान भरने की बजाए अंत देखा. कॉनवे प्रांतीय स्तर के लेवल-2 क्रिकेट में लगातार रन बना रहे थे. लेकिन वह शीर्ष स्तरीय फ्रेंचाइजी क्रिकेट में मिले मौके को नहीं भुना पाए. वह लॉयन्स के लिए 12 मैचों में 21.29 की औसत से ही रन बना सके, जिसमें सिर्फ एक अर्धशतकीय पारी शामिल रही. 

...पार्टनर के कहने पर लिया रिस्क 

डेवोन कॉनवे के लिए कोलपैक के तहत इंग्लैंड सबसे अच्छा विकल्प था. क्योंकि वह आधे दशक से अधिक समय तक इंग्लैंड में खेले थे. लेकिन अपनी पार्टनर किम के कहने पर कॉनवे ने न्यूजीलैंड जाकर बसने और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के सपने को पूरा करने का फैसला किया. 

क्या है कोलपैक डील?

यूरोपीय यूनियन (EU) में शामिल देशों के नागरिकों को यूनियन के किसी भी देश में जाकर काम करने की छूट होती है. लेकिन कोलपैक डील के अंतर्गत वैसे देश भी आते हैं, जिनके साथ यूरोपीय यूनियन का एग्रीमेंट होता. इनमें साउथ अफ्रीका, जिम्बाब्वे जैसे देश शामिल हैं. इन देशों के खिलाड़ी यूरोपीय यूनियन के देशों में जाकर क्रिकेट खेल सकते हैं. वहां उन्हें विदेशी खिलाड़ी नहीं माना जाता है.

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कॉनवे ने बताया, 'वांडरर्स खेली गई आखिरी पारी से पहले मैं अपनी दोस्त किम के साथ गोल्फ खेल रहा था. इस दौरान मैंने उससे कहा कि मुझे लग रहा है कि यहां मेरा करियर सही दिशा में नहीं जा रहा है. मैं न्यूजीलैंड जाकर खेलने के बारे में सोच रहा हूं. इस पर मेरी दोस्त ने कहा कि ऐसा ही करते हैं. मुझे लगा कि वो मजाक कर रही है, लेकिन वो सीरियस थी. इसके बाद मैंने यह रिस्क लेने का फैसला किया. मुझे लगता है कि यह वो फैसला था, जो हम कभी नहीं भूलेंगे.' 

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बन गए वेलिंग्टन की रन मशीन 

कॉनवे अगस्त 2017 में वेलिंग्टन पहुंचे. वह खिलाड़ी और कोच की दोहरी भूमिका में विक्टोरिया यूनिवर्सिटी क्रिकेट क्लब के साथ जुड़े. न्यूजीलैंड पहुंचने के चार दिनों के भीतर ही उन्हें घर मिल गया. 2 साल के अंदर ही डेवॉन कॉनवे अपनी शानदार बल्लेबाजी से सेलेक्टर्स को प्रभावित करने में सफल रहे. वेलिंगटन फायरबर्डस की ओर से खेलते हुए कॉनवे ने पहले 17 फर्स्ट क्लास मैचों में 72.63 की औसत से 1598 रन बनाए. कॉनवे ने अक्टूबर 2019 में कैंटेबरी के खिलाफ 327 रनों की पारी खेली. कॉनवे ने 2019-20 के दौरान सीजन के सभी टूर्नामेंट्स में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे.

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कोहली के खेल से मिली मदद

कॉनवे ने विराट कोहली, एबी डिविलियर्स और जो रूट से काफी कुछ सीखा है. कॉनवे इन तीनों खिलाड़ियों की गेंद से पहले होने वाली पैरों की मूवमेंट को देखते हैं. शुरू में कॉनवे को विराट कोहली जैसे दिग्गजों की तकनीक अपनाने में थोड़ी दिक्कत हुई. इसकी वजह से उनका प्रदर्शन खराब हुआ. उन्हें कोच ने इस रणनीति से हटने के लिए भी कहा, लेकिन कॉनवे ने खुद पर भरोसा कायम रखा.

29 साल के डेवोन कॉनवे ने नवंबर 2020 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना टी20 इंटरनेशनल डेब्यू किया था. 14 टी20 इंटरनेशनल मैचों में उनका एवरेज 59.12 और स्ट्राइक रेट 151.11 का रहा है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हालिया पांच मैचों की टी20 सीरीज में कॉनवे ने 48 की औसत से 192 रन बनाए थे. उन्होंने इसी साल बांग्लादेश के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू भी किया था. कॉनवे ने तीन मैचों की उस वनडे सीरीज में 225 रन बनाए थे.
 

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