भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) को डेक्कन चार्जर्स के अनुबंध समाप्ति से जुड़े मामले में बंबई हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. बीसीसीआई को अब डेक्कन चार्जर्स को 4800 करोड़ रुपये का हर्जाना नहीं देना होगा. न्यायाधीश जीएस पटेल की खंडपीठ ने पंचाट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें बीसीसीआई को 4800 करोड़ रुपये अदा करने थे.
यह पूरा मामला साल 2012 का है, जब बीसीसीआई ने डेक्कन चार्जर्स (DC) का अनुबंध खत्म कर दिया था. बीसीसाई के मुताबिक डेक्कन चार्जर्स ने बैंक गारंटी के तौर पर 100 करोड़ रुपये जमा नहीं किए थे, जो उसके अनुबंध समाप्त करने की बड़ी वजह बना. बाद में हैदराबाद की फ्रेंचाइजी ने बीसीसीआई के इस फैसले को चुनौती देते हुए बंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद पूरे मामले की जांच के लिए अदालत ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश सीके ठक्कर को पंचाट (आर्बिट्रेटर) नियुक्त किया था.
पिछले साल जुलाई में पंचाट ने बीसीसीआई के साथ विवाद में डेक्कन क्रॉनिकल्स होल्डिंग्स लि. (DCHL) के पक्ष में फैसला देते हुए बीसीसीआई को डीसीएचएल को 4800 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा था. बाद में बीसीसीआई ने इस फैसले को चुनौती देते हुए बंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
बीसीसीआई का एक ऐसे ही मामले में कोच्चि टस्कर्स केरला से भी विवाद चल रहा है. 2011 में बीसीसीआई ने केरल की फ्रेंचाइजी को आईपीएल से निलंबित कर दिया था. क्योंकि यह फ्रेंचाइजी 156 करोड़ रुपए के सालाना भुगतान की बैंक गारंटी देने में नाकाम रही थी. इसके बाद फ्रेंचाइजी ने उसी साल बंबई हाई कोर्ट में बीसीसीआई के खिलाफ आर्बिट्रेशन दायर की थी. जिसके बाद पंचाट ने बीसीसीआई को 850 करोड़ रुपये का हर्जाना भरने का आदेश दिया था. पंचाट के इस फैसले को भी बीसीसीआई ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
डेक्कन चार्जर्स की टीम ने साल 2008 से 2012 तक आईपीएल में भाग लिया था. 2009 में एडम गिलक्रिस्ट के नेतृत्व में डेक्कन चार्जर्स आईपीएल का खिताब जीतने में सफल रही थी. डेक्कन चार्जर्स को हटाए जाने के बाद हैदराबाद फ्रेंचाइजी के लिए बोली सन टीवी नेटवर्क ने जीती थी. जिसके बाद सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) की टीम ने आईपीएल में खेलना शुरू किया था.
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