भारतीय शतरंज के इतिहास में पहली बार FIDE महिला विश्व कप का खिताब भारत के नाम होगा, क्योंकि कोनेरू हम्पी और दिव्या देशमुख खिताबी मुकाबले में आमने-सामने होंगी. यह फाइनल मुकाबला शनिवार को खेला जाएगा और दोनों के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद है.
यह पहली बार है, जब इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के फाइनल में दो भारतीय शतरंज खिलाड़ी आमने-सामने हैं. दोनों ही खिलाड़ी अब 2026 में होने वाले महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई कर चुकी हैं, 8 खिलाड़ियों के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट से अगले विश्व महिला चैम्पियनशिप मैच में मौजूदा विश्व चैम्पियन चीन की जू वेनजुन की प्रतिद्वंद्वी का फैसला होगा.
कोनेरू हम्पी ने सेमीफाइनल में चीन की टिंगजेई ली के खिलाफ टाईब्रेक में जबरदस्त वापसी करते हुए जीत दर्ज की. 38 साल की हम्पी पहले विश्व रैपिड चैम्पियन रह चुकी हैं और हाल ही में महिला ग्रां प्री में भी संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर रहीं.सेमीफाइनल से पहले वह स्विट्जरलैंड की पूर्व विश्व चैम्पियन अलेक्जैंड्रा कोस्टेनियुक और चीन की युक्सिन सोंग को हरा चुकी थीं.
वहीं, 19 साल की दिव्या देशमुख ने इस टूर्नामेंट में कई बड़े उलटफेर किए. उन्होंने दूसरी वरीयता प्राप्त जिनेर झू (चीन) को हराया. फिर भारत की डी. हरिका को हराकर पूर्व विश्व चैम्पियन टैन झोंगयी को सेमीफाइनल में हराया.
खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाएं -
हम्पी ने कहा -
'यह शतरंज प्रशंसकों के लिए सबसे खुशी के क्षणों में से एक है क्योंकि अब खिताब भारत में ही रहेगा. लेकिन खिलाड़ी के तौर पर मैच आसान नहीं होगा. दिव्या ने इस पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया है.'
दिव्या ने कहा-
'मुझे बस नींद और खाना चाहिए... ये दिन मेरे लिए काफी तनावपूर्ण रहे हैं. मुझे लगता है कि मैं और अच्छा खेल सकती थी. एक समय मैं जीत रही थी, लेकिन फिर स्थिति उलझ गई और मुझे लगा कि मैंने मिडलगेम में गड़बड़ की.'
फाइनल मुकाबला
शनिवार का फाइनल भी दो क्लासिकल मैचों में खेला जाएगा और अगर परिणाम 1-1 से बराबर रहता है, तो विजेता का निर्धारण करने के लिए कम अवधि के मैच खेले जाएंगे.
हम्पी के पास लंबे अनुभव और सटीक रणनीति की ताकत है. दिव्या के पास आक्रामक और जोखिमभरी शैली है, जिसने उन्हें इस टूर्नामेंट में चमकने का मौका दिया.
इनामी राशि -
विजेता को मिलेगा: $50,000 (लगभग ₹43 लाख)
उपविजेता को मिलेगा: $35,000 (लगभग ₹30 लाख)
भारतीय शतरंज के लिए ऐतिहासिक क्षण
यह फाइनल सिर्फ हम्पी या दिव्या की व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय महिला शतरंज अब विश्व पटल पर नई ऊंचाइयों पर पहुंच चुका है. यह एक ऐसा मुकाबला होगा- जहां अनुभव और युवावस्था, साहस और रणनीति आमने-सामने होंगे.
aajtak.in