साल 2025 बीतने को है और लोग नववर्ष के स्वागत के लिए अभी से तैयारियों में जुटे हुए हैं... भारत को इस साल खेल जगत में काफी सफलताएं मिलीं. हालांकि 2025 भारतीय फुटबॉल के लिए सही नहीं रहा. भारतीय फुटबॉल को इस साल कामयाबी से ज्यादा असफलताओं का ही सामना करना पड़ा. प्रशासनिक अव्यवस्था, कोर्ट के, घरेलू लीग के ठप होने के चलते भी भारतीय फुटबॉल गर्त में चला गया.
अर्जेंटीना के फुटबॉल स्टार लियोनेल मेसी ‘GOAT Tour to India 2025' के तहत इसी महीने भारत दौरे पर आए थे, लेकिन यह टूर इस देश में फुटबॉल की दशा को सुधारने के लिए बिल्कुल नहीं था. कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में मेसी के इवेंट के दौरान जैसी अव्यवस्था देखने को मिली, उसने इंटरनेशनल शर्मिंदगी कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
भारतीय मेन्स फुटबॉल टीम को इस साल सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब वो एएफसी एशियन कप 2027 के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई. फीफा वर्ल्ड कप में तो भारत कभी भाग नहीं ले पाया, अब एशियन कप के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाना बेहद शर्मिंदगी वाली बात रही. एशियन कप क्वालिफायर में भारत को बांग्लादेश और हॉन्ग कॉन्ग जैसी निचली रैंक वाली टीम्स ने हरा दिया.
फीफा रैंकिंग में गिरावट ही गिरावट...
बांग्लादेश के खिलाफ टीम इंडिया 22 सालों में पहली बार हारी, जो भारतीय फुटबॉल में आई गिरावट को सरेआम बयां करती है. बांग्लादेशी मिडफील्डर शेख मोरसालिन ने गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू के पैरों के बीच से जो गोल दागा, वो भारतीय फुटबॉल की बेबसी का प्रतीक था. भारतीय टीम एएफसी एशियन कप के लिए तो क्वालिफाई नहीं कर सकी, साथ ही उसकी फीफा रैंकिंग में भी गिरावट आई. भारत की फीफा रैंकिंग फिलहाल 142 है, जो काफी खराब मानाा जा सकता है.
नया कोच भी किस्मत नहीं बदल सका!
इस साल भारतीय टीम ने एक बार फिर कोच में बदलाव किया. मनोलो मार्केज की जगह खालिद जमील को मुख्य कोच नियुक्त किया गया. जमील के नेतृत्व में भारत ने अपने पहले टूर्नामेंट CAFA नेशन्स कप में अच्छा प्रदर्शन किया. भारतीय टीम ने तब ग्रुप स्टेज में ताजिकिस्तान को निर्धारित समय में हराया और ओमान को पेनल्टी शूटआउट में मात दी. इसके दम पर भारत ने टूर्नामेंट में तीसरा स्थान हासिल किया. यह प्रदर्शन साल की गिनती की सकारात्मक उपलब्धियों में रहा, लेकिन इसका असर लंबे समय तक नहीं दिखा. एशियन कप क्वालिफिकेशन में मिली असफलता ने टीम की मुश्किलें और बढ़ा दीं.
इस साल एक और बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला, जब भारत के रिकॉर्ड गोलस्कोरर सुनील छेत्री ने संन्यास तोड़कर अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में वापसी की. हालांकि उनकी वापसी भी भारतीय टीम की किस्मत बदलने में नाकाम रही. एशियन कप क्वालिफिकेशन में खराब प्रदर्शन के बाद छेत्री ने नवंबर में एक बार फिर इंटरनेशनल फुटबॉल से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया.
ISL कब शुरू होगा?
मैदान से बाहर तो हालात और खराब रहे. ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) नई कमर्शियल पार्टनरशिप हासिल करने में विफल रहा, जिसके चलते इंडियन सुपर लीग (ISL) का 12वां सीजन अब तक शुरू नहीं हो पाया है. 8 दिसंबर को फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड(FSDL) के साथ करार खत्म होने के बाद स्पॉन्सर पीछे हटने लगे, क्लबों ने अपने ऑपरेशन्स रोक दिए और खिलाड़ी भविष्य को लेकर अनिश्चितता में फंस गए.
संकट की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई हुई और खेल मंत्रालय को हस्तक्षेप करना पड़ा. यहां तक कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी फुटबॉल से जुड़े सभी पक्षों से एकजुट होकर काम करने की अपील की. सितंबर में एआईएफएफ का नया संविधान मंजूर होने के बावजूद हालात में कोई ठोस सुधार नहीं दिखा.
जूनियर लेवल पर जगी उम्मीद
निराशाजनक माहौल के बीच महिला और जूनियर टीम्स ने उम्मीद की किरण दिखाई. भारतीय महिला टीम ने इतिहास रचते हुए एएफसी विमेंस एशियन कप 2026 के लिए सीधे क्वालिफाई किया. फाइनल में मेजबान थाईलैंड को हराकर भारतीय महिला टीम ने बड़ा स्टेटमेंट दिया.
ईस्ट बंगाल एफसी AFC महिला चैम्पियंस लीग के मुख्य ड्रॉ में कोई मैच जीतने वाली भारत की पहली टीम बन गई. जूनियर स्तर पर भारत ने SAFF U-17 चैम्पियनशिप जीती और ईरान जैसी मजबूत टीम को हराकर U-17 एशियन कप के लिए क्वालिफाई किया.
भारतीय फुटबॉल और प्रशासन गहरे संकट में है, वहीं युवा खिलाड़ियों का प्रदर्शन भविष्य के लिए उम्मीद जरूर जगाता है. कुल मिलाकर, 2025 भारतीय फुटबॉल के लिए अस्थिरता, निराशाजनक नतीजों और खोए हुए अवसरों का साल रहा, जहां कुछ झलकियों को छोड़ दिया जाए तो टीम उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी.
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